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हादसे के इंतजार में कन्नौज जिला अस्पताल, फायर सेंट्रल सिस्टम खराब - महाराष्ट्र में सरकारी अस्पताल

कन्नौज का स्वास्थ्य विभाग महाराष्ट्र के सरकारी अस्पताल में हुए दर्दनाक हादसे से भी सबक नहीं ले रहा. आलम यह है कि जिला अस्पताल में अग्नि सुरक्षा के लिए लगाए गए उपकरण केवल शोपीस बनकर ही रह गए हैं.

जिला अस्पताल में फायर सेंट्रल सिस्टम खराब.
जिला अस्पताल में फायर सेंट्रल सिस्टम खराब.
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Published : Jan 10, 2021, 4:19 PM IST

कन्नौज : महाराष्ट्र के भंडारा जिले में सरकारी अस्पताल में हुए दर्दनाक हादसा में 10 नवजात शिशुओं की मौत के बाद भी स्वास्थ्य विभाग ने सबक नहीं लिया है. जिला अस्पताल में भी आग बुझाने के पुख्ता इंतजाम नहीं है. सेंट्रल फायर सिस्टम सालों से खराब पड़ा है. जिला अस्पताल में अग्नि सुरक्षा के लिए लगाए गए उपकरण केवल शोपीस बनकर ही रह गए हैं. ऐसे हालातों में अगर कोई हादसा होता है तो अस्पताल प्रशासन सिर्फ दमकल विभाग पर ही निर्भर रहेगा. वार्डों के बाहर लगे अग्निश्मन सिलेंडर भी एक्सपायर हो चुके हैं. वहीं जिम्मेदार नाकामी छिपाने के लिए आग बुझाने के पर्याप्त मात्रा में साधन होने की बात कह रहे हैं.

जिला अस्पताल में फायर सेंट्रल सिस्टम खराब.

यह है पूरा मामला
जिला अस्पताल में रोजाना करीब 500 से अधिक मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं. जबकि करीब 50 से ज्यादा मरीज अस्पताल में भर्ती रहते हैं. इसके अलावा एसएनसीयू और एनआरसी वार्ड में मासूम बच्चे भी भर्ती रहते हैं. लेकिन जिला अस्पताल में आग बुझाने के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है. आग बुझाने के लिए लगाया गया सेंट्रल फायर सिस्टम भी सालों से खराब पड़ा है. हालत यह है कि यह उपकरण कई सालों से धूल खा रहे हैं. खानापूर्ति के लिए वार्डों के बाहर लगाए गए अग्निशमन सिलेंडर भी अधिकांश एक्सपायर हो चुके हैं.

दमकल विभाग के सहारे जिला अस्पताल
अगर महाराष्ट्र के भंडारा के जिला अस्पताल जैसी घटना होती है तो अस्पताल प्रशासन के पास इससे निपटने का कोई साधन नहीं है. क्योंकि ऐसी स्थिति में एक भी उपकरण या सिस्टम काम नहीं करेगा. अस्पताल प्रशासन के पास सिर्फ दमकल विभाग पर निर्भर रहने के अलावा कोई और रास्ता नहीं है. उसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग इन सबसे बेखबर बना हुआ है.

सेंट्रल फायर सिस्टम का पाइप खराब

जिला अस्पताल में लगे सेंट्रल फायर सिस्टम की हालत बदत्तर है. इमरजेंसी वार्ड के पीछे लगा नोजल कई सालों से बंद पड़ा है. केबिन और लॉक टूट चुके हैं. परिसर में जगह-जगह लगे वाटर हाइड्रेंट जंग खाकर खराब हो गए हैं. पाइप भी जगह-जगह से गल चुके हैं, इससे उनमें बड़े-बड़े छेद हो गए हैं.

सीएचसी-पीएचसी में भी नहीं हैं आग से निपटने के इंतजाम
जिले में 11 सीएचसी और 32 पीएचसी हैं. लेकिन अधिकांश अस्पतालों में आग से निपटने के इंतजाम नहीं हैं. जो अग्निशमन सिलेंडर लगाए भी गए हैं. वह भी एक्सपायर हो चुके हैं. ऐसे में बड़ी दुर्घटना होने की आशंका बनी हुई है. जिले में संचालित सरकारी अस्पतालों में आग बुझाने के समुचित प्रबंध नहीं है. इसके बावजूद प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग गहरी नींद में सोया है. वहीं इस बाबत सीएमएस डॉ. शक्ति बसु ने बताया कि जिला अस्पताल में सेंट्रल फायर सिस्टम काफी पुराना हो गया है. एक-दो जगह पाइप गल गए हैं. हाल में ही मोटर चलाकर देखा गया था. सिलेंडर रिफिल कराए गए हैं. साथ ही सेंट्रल फायर सिस्टम और अलार्म के लिए पत्राचार किया जा रहा है. जल्द ही उसको ठीक करवा दिया जाएगा.

कन्नौज : महाराष्ट्र के भंडारा जिले में सरकारी अस्पताल में हुए दर्दनाक हादसा में 10 नवजात शिशुओं की मौत के बाद भी स्वास्थ्य विभाग ने सबक नहीं लिया है. जिला अस्पताल में भी आग बुझाने के पुख्ता इंतजाम नहीं है. सेंट्रल फायर सिस्टम सालों से खराब पड़ा है. जिला अस्पताल में अग्नि सुरक्षा के लिए लगाए गए उपकरण केवल शोपीस बनकर ही रह गए हैं. ऐसे हालातों में अगर कोई हादसा होता है तो अस्पताल प्रशासन सिर्फ दमकल विभाग पर ही निर्भर रहेगा. वार्डों के बाहर लगे अग्निश्मन सिलेंडर भी एक्सपायर हो चुके हैं. वहीं जिम्मेदार नाकामी छिपाने के लिए आग बुझाने के पर्याप्त मात्रा में साधन होने की बात कह रहे हैं.

जिला अस्पताल में फायर सेंट्रल सिस्टम खराब.

यह है पूरा मामला
जिला अस्पताल में रोजाना करीब 500 से अधिक मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं. जबकि करीब 50 से ज्यादा मरीज अस्पताल में भर्ती रहते हैं. इसके अलावा एसएनसीयू और एनआरसी वार्ड में मासूम बच्चे भी भर्ती रहते हैं. लेकिन जिला अस्पताल में आग बुझाने के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है. आग बुझाने के लिए लगाया गया सेंट्रल फायर सिस्टम भी सालों से खराब पड़ा है. हालत यह है कि यह उपकरण कई सालों से धूल खा रहे हैं. खानापूर्ति के लिए वार्डों के बाहर लगाए गए अग्निशमन सिलेंडर भी अधिकांश एक्सपायर हो चुके हैं.

दमकल विभाग के सहारे जिला अस्पताल
अगर महाराष्ट्र के भंडारा के जिला अस्पताल जैसी घटना होती है तो अस्पताल प्रशासन के पास इससे निपटने का कोई साधन नहीं है. क्योंकि ऐसी स्थिति में एक भी उपकरण या सिस्टम काम नहीं करेगा. अस्पताल प्रशासन के पास सिर्फ दमकल विभाग पर निर्भर रहने के अलावा कोई और रास्ता नहीं है. उसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग इन सबसे बेखबर बना हुआ है.

सेंट्रल फायर सिस्टम का पाइप खराब

जिला अस्पताल में लगे सेंट्रल फायर सिस्टम की हालत बदत्तर है. इमरजेंसी वार्ड के पीछे लगा नोजल कई सालों से बंद पड़ा है. केबिन और लॉक टूट चुके हैं. परिसर में जगह-जगह लगे वाटर हाइड्रेंट जंग खाकर खराब हो गए हैं. पाइप भी जगह-जगह से गल चुके हैं, इससे उनमें बड़े-बड़े छेद हो गए हैं.

सीएचसी-पीएचसी में भी नहीं हैं आग से निपटने के इंतजाम
जिले में 11 सीएचसी और 32 पीएचसी हैं. लेकिन अधिकांश अस्पतालों में आग से निपटने के इंतजाम नहीं हैं. जो अग्निशमन सिलेंडर लगाए भी गए हैं. वह भी एक्सपायर हो चुके हैं. ऐसे में बड़ी दुर्घटना होने की आशंका बनी हुई है. जिले में संचालित सरकारी अस्पतालों में आग बुझाने के समुचित प्रबंध नहीं है. इसके बावजूद प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग गहरी नींद में सोया है. वहीं इस बाबत सीएमएस डॉ. शक्ति बसु ने बताया कि जिला अस्पताल में सेंट्रल फायर सिस्टम काफी पुराना हो गया है. एक-दो जगह पाइप गल गए हैं. हाल में ही मोटर चलाकर देखा गया था. सिलेंडर रिफिल कराए गए हैं. साथ ही सेंट्रल फायर सिस्टम और अलार्म के लिए पत्राचार किया जा रहा है. जल्द ही उसको ठीक करवा दिया जाएगा.

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