कन्नौज: यूपी का कन्नौज जिला इत्र की राजधानी के नाम से विख्यात है, लेकिन कोरोना की इस महामारी ने इत्र की खुशबू को भी फीका कर दिया है. हालात यह हो गए हैं कि कोरोना संक्रमण के चलते इत्र व्यापार को ग्रहण लग चुका है. वर्तमान में व्यापार पूरी तरह से ठप पड़ा हुआ है, जिससे इत्र व्यापारियों की परेशानी दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है.
प्राचीन काल में औषधि बनाने में काम आता था इत्र
कन्नौज इत्र एसोसिएशन के अध्यक्ष पवन त्रिवेदी ने बताया कि कन्नौज इत्र के नाम से पहचाना जाता है. इत्र का हमारा व्यापार प्राचीन काल से चला आ रहा है. हमारे ऋषि-मुनि इत्र का उपयोग जड़ी बूटियां बनाने में करते थे, तब से कन्नौज में इत्र का उपयोग और निर्माण होता चला आ रहा है. अभी कोरोना की वजह से पूरा व्यापार बंद हो गया है. इसके अलावा भारत चीन तनाव का असर भी इत्र कारोबार पर पड़ा है. उन्होंने बताया कि चाइना से कुछ मटेरियल कन्नौज आता था, वर्तमान में वह भी नहीं आ पा रहा है. हालांकि धीरे-धीरे हम लोग स्टैंड करने की कोशिश कर रहे हैं.
जिले भर में 350 इत्र के कारखाने
इत्र एसोसिएशन के अध्यक्ष पवन त्रिवेदी ने कहा कि कन्नौज में लगभग 350 छोटे-बड़े कारखाने हैं. कोरोना से पहले इत्र का व्यापार प्रॉपर चल रहा था. जिसके बाद कोरोना काल में व्यापार पूरी तरह से ठप हो गया. पवन त्रिवेदी ने कहा कि अब स्थितियां बदल रही हैं, जैसे-जैसे स्थितियां बदलेंगी तो सम्भवतः व्यापार पहले से बढ़ेगा. वहीं उन्होंने बताया कि कन्नौज की जनसंख्या के 50% लोग प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से इत्र कारोबार से जुड़े हैं.
किसानों को हुई थी परेशानी, छूट के बाद मिली राहत
जिले में इत्र बनाने के लिए गुलाब, बेला, मेहंदी और कई अन्य फूलों की खेती की जाती है. कोरोना काल में काम बंद होने के कारण फूलों के किसान भी परेशान हो गए थे. उनके फूल खेतों में ही बेकार हो रहे थे. अनलॉक में मिली छूट के बाद इत्र का प्रोडक्शन धीरे-धीरे चालू हुआ है. गवर्नमेंट की तरफ से मिली छूट के बाद किसान फूल इत्र कारखानों तक लेकर आ रहे हैं. इससे उनकी भी मुश्किलें कुछ कम हुई हैं. हालांकि अभी ट्रांसपोर्ट, रेल बगैरह बंद है जिस कारण यह व्यापार पटरी पर नहीं आ पा रहा है, लेकिन कुछ न कुछ चल रहा है.
कोरोना काल से पहले होता था करोड़ों का टर्नओवर
इत्र एसोसिएशन के अध्यक्ष पवन त्रिवेदी ने इत्र के टर्नओवर को लेकर बताया कि अनलॉक के बाद व्यापार 15 से 20 प्रतिशत स्टैंड हुआ है. कोरोना के पहले करोड़ों रुपये का टर्नओवर हो जाता था, लेकिन इस समय लाखों तक नहीं पहुंच पा रहा है. अभी पूर्णतया से लॉकडाउन भी नहीं खुला है इस वजह से कोरोना से अभी नुकसान तो है, लेकिन हमलोग मैनेज कर रहे हैं.
इत्र कारखानों में काम करने वाले मजदूरों के सामने समस्या
इत्र व्यवसाय से जुड़े मजदूरों को कोरोना काल में सबसे ज्यादा परेशानी उठानी पड़ रही है. पहले तो लॉकडाउन की वजह से काम बंद हो गया था और अब ज्यादा काम नहीं है, जहां 100 लोग काम करते थे, आज वहां 10 लोगों की ही जरूरत है. ऐसे में मजदूरों के लिए यह संकट की घड़ी है.
अनलॉक के बाद मिली ट्रांसपोर्ट में राहत
इत्र एसोसिएशन के अध्यक्ष पवन त्रिवेदी ने बताया कि कोरोना के कारण बीच में रा-मैटेरियल की प्रॉब्लम हुई थी. अब जब से ट्रांसपोर्टिंग चालू हो गई है तो थोड़ा-थोड़ा रा-मैटेरियल आ रहा है, जिससे काम शुरू हुआ है. इत्र का ज्यादातर प्रयोग खाने-पीने की चीजों और पान-मसाला आदि में होता है. चूंकि हमारी ज्यादा खपत उन्हीं पर है, तो अभी उनके कारखाने और रेस्टोरेंट नहीं खुले हैं.
बाहर नहीं हो पा रहा इत्र का निर्यात
पवन त्रिवेदी ने बताया कि अभी इत्र एक्सपोर्ट भी नहीं हो पा रहा है. ज्यादातर देशों में लॉकडाउन है, जिससे व्यापार को पटरी पर आने में अभी समय लगेगा. उन्होंने आशा जताते हुए कहा कि मुझे लगता है कि अगर स्थिति कंट्रोल हो जाती है तो व्यापार को स्टैंड करने में अभी 6 महीने और लगेंगे.
आखिर में नुकसान को लेकर उन्होंने कहा कि नुकसान तो बहुत है, गवर्नमेंट को टैक्स नहीं मिल पा रहा है. सभी फैक्ट्रियां बंद हो गई हैं. उन्होंने कहा कि हम लोग भगवान से यह प्रार्थना करते हैं कि जल्द इसको खत्म करें, जिससे बेपटरी हुई जिंदगी और व्यापार दोनों पटरी पर आ जाए.