कन्नौज: सरकार मजदूरों की समस्याओं को देखते हुए उन्हें आर्थिक मदद दे रही है, जिसके तहत मजदूरों के खातों में 1000 रुपये की धनराशि भेजी जा रही है. वहीं यह राशि उन्हीं मजदूरों को मिल रही है जो मजदूर श्रम विभाग में पंजीकृत हैं. इसके अलावा जो मजदूर हैं वह इस लाभ से वंचित हैं.
कई मजदूरों का नवीनीकरण तक नहीं हुआ है और नए मजदूरों का लॉकडाउन की वजह से पंजीकरण नहीं हो पा रहा है. यही कारण है कि जो पहले से पंजीकृत मजदूर है उन्हीं मजदूरों को सरकार द्वारा दी जा रही आर्थिक मदद का लाभ मिलेगा.
श्रमिकों का श्रम विभाग में नहीं हुआ पंजीकरण
जिले में शहर के बीच श्रम विभाग का कार्यालय स्थित है, जिसमें मजदूरों का पंजीकरण किया जाता है. इसके अलावा समय-समय पर शिविर लगाकर मजदूरों का पंजीकरण भी किया गया है, लेकिन लॉकडाउन के दौरान मजदूर अपना पंजीकरण नहीं करवा पा रहे हैं. विभाग की माने तो लॉकडाउन की वजह से मजदूरों को आने के लिए मना किया गया है. जिले में करीब दो लाख मजदूर हैं, जिसमें 45,000 श्रमिकों का पंजीकरण है. डेढ़ लाख से ज्यादा श्रमिकों का श्रम विभाग में पंजीकरण नहीं है.
मजदूरों के खाते में डाला गया पैसा
वहीं ऐसे मजदूर भी हैं जिनको पंजीकरण के बारे में या तो जानकारी नहीं है या फिर उन्होंने कभी विभाग से मतलब ही नहीं रखा है. सरकार ने लॉकडाउन के दौरान श्रमिकों को उनके खाते में एक हजार रुपये भेजने का निर्णय लिया, जिसमें कन्नौज जिले में नवीनीकरण कराने वाले 15, 374 श्रमिकों को लाभ दिया जा रहा है. इसमें 12,000 लोगों के खाते में 1000 रुपये डाले भी जा चुके हैं. शेष अन्य मजदूरों के खाते को सही कर उनके खातों में भी रुपये भेजने की कार्रवाई चल रही है.
बाहर से घर लौटे 412 मजदूरों के बनें नए जॉब कार्ड
कोरोना संक्रमण को लेकर गैर प्रांतों से पलायन कर घर पहुंचे मजदूरों को उनके ही क्षेत्रों में काम दिलाने के लिए जिला प्रशासन ने निर्देश जारी किए हैं, जिसको लेकर मजदूरों और कामगारों का जॉब कार्ड बनवाकर सभी लोगों को रोजगार दिया जाएगा. रोजगार सेवक को क्षेत्र में ऐसे लोगों को चिन्हित कर उनके मनरेगा जॉब कार्ड बनवाए जाने के निर्देश दिये गए हैं.
जो लोग बाहर से वापस आए हैं और उन मजदूरों के परिवार के नाम जॉब कार्ड बने हैं उसमें मजदूर का नाम जोड़ा जाये. इस क्रम में अभी तक 412 मजदूरों के नए जॉब कार्ड बनाए गए हैं, जबकि जिले में डेढ़ लाख से अधिक जॉब कार्ड पहले से ही बने हुए हैं. इसमें लगभग 84,000 सक्रिय हैं, जिनको पिछले महीने सरकारी योजना के तहत नि:शुल्क राशन भी दिया गया.
लॉकडाउन की वजह से श्रमिकों को आने से मना किया गया है, इसलिए श्रमिक पंजीकरण के लिए नहीं आ रहे हैं. यही वजह है कि नए मजदूरों का रजिस्ट्रेशन और नवीनीकरण नहीं हो पा रहा है. जो पहले से नवीनीकरण है, उन्हीं को योजना का लाभ मिल रहा है. लॉकडाउन के बाद न तो नए पंजीकरण ही हुए हैं और न ही किसी का नवीनीकरण हुआ है. इस प्रक्रिया के लिए बैंकों में पहले चालान जमा होता है. उसके बाद ही पंजीकरण किया जाता है. यही वजह है कि लॉकडाउन की वजह से श्रमिक नहीं आ रहे हैं.
चंदन, कर्मचारी, श्रम विभाग, कन्नौज