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कन्नौज: धड़ल्ले से चल रहा नीम के पेड़ों का कटान, चुप्पी साधे है प्रशसान!

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Published : Dec 14, 2019, 3:01 PM IST

एक ओर सरकार पर्यावरण को सुरक्षित बनाने के लिए तमाम तरह की योजनाएं बना रही है, तो वहीं दूसरी ओर कन्नौज जिले में ठेकेदार अवैध तरीके से नीम के पेड़ की धड़ल्ले से कटान कर रहे हैं.

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मामले की जानकारी देते जिला वनरक्षक अधिकारी

कन्नौज: जहां एक ओर सरकार पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए हरे पेड़ों को लगवाने के लिए करोड़ों रुपये व्यय कर विभिन्न योजनाएं बना रही है, तो वहीं जिले में बिना किसी रोक टोक के बेधड़क पेड़ों की अवैध तरीके से कटान हो रही है. इन कटान की सूचना मिलने पर स्थानीय पुलिस और वनरक्षक अधिकारी कमीशन लेकर अपना मुंह फेर लेते हैं.

मामले की जानकारी देते जिला वनरक्षक अधिकारी.

धड़ल्ले से कट रहे हरे भरे पेड़
सरकार हरे भरे पेड़ों को बचाने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं चला रही है, तो वहीं कई ऐसी जगहें भी हैं, जहां लोग धड़ल्ले से पेड़ों की कटान कर रहे हैं. कन्नौज के माछा गांव में पेड़ों का कटान जोरों से हो रहा है, जिससे पर्यावरण को काफी नुकसान हो रहा है. ठेकेदार प्रतिबंधित पेड़ों की कटान बिना किसी रोक-टोक के कर रहे हैं और इस कार्य में उन्हें पुलिस और प्रशासन का डर भी नहीं है.

कमीशन लेने का लगता है आरोप
आरोप है कि मामला पुलिस के जानकारी में आने के बाद भी पुलिस कुछ भी नहीं कहती है क्योंकि ठेकेदार के अवैध कार्य करने पर पुलिस अपना कमीशन ले लेती है. ठेकेदार नीम के पेड़ को कटवा रहे हैं और वन विभाग को इस कार्य की भनक भी नहीं है.

इसे भी पढ़ें:- कन्नौज: मंडी समिति निरीक्षक सहित दो उपनिरीक्षकों का रिश्वत लेते वीडियो वायरल

अवैध कटान की सूचना मिलने पर वन क्षेत्राधिकारी और कांस्टेबल मौके पर जाकर कटान को रोकते हैं और कार्रवाई करते हैं. इस ग्रामीण क्षेत्र में फलों के पेड़ कम हैं, इसीलिए घरों के आगे या खेतों में नीम के पेड़ लगे हैं. जहां भी नीम की कटाई होती है, हम लोग उस पर कार्रवाई कर रहे हैं. नवम्बर में हमनें 16 वृक्षों के विरूद्ध कार्रवाई की थी.
-जवाहर लाल गुप्ता, जिला वनरक्षक अधिकारी

कन्नौज: जहां एक ओर सरकार पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए हरे पेड़ों को लगवाने के लिए करोड़ों रुपये व्यय कर विभिन्न योजनाएं बना रही है, तो वहीं जिले में बिना किसी रोक टोक के बेधड़क पेड़ों की अवैध तरीके से कटान हो रही है. इन कटान की सूचना मिलने पर स्थानीय पुलिस और वनरक्षक अधिकारी कमीशन लेकर अपना मुंह फेर लेते हैं.

मामले की जानकारी देते जिला वनरक्षक अधिकारी.

धड़ल्ले से कट रहे हरे भरे पेड़
सरकार हरे भरे पेड़ों को बचाने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं चला रही है, तो वहीं कई ऐसी जगहें भी हैं, जहां लोग धड़ल्ले से पेड़ों की कटान कर रहे हैं. कन्नौज के माछा गांव में पेड़ों का कटान जोरों से हो रहा है, जिससे पर्यावरण को काफी नुकसान हो रहा है. ठेकेदार प्रतिबंधित पेड़ों की कटान बिना किसी रोक-टोक के कर रहे हैं और इस कार्य में उन्हें पुलिस और प्रशासन का डर भी नहीं है.

कमीशन लेने का लगता है आरोप
आरोप है कि मामला पुलिस के जानकारी में आने के बाद भी पुलिस कुछ भी नहीं कहती है क्योंकि ठेकेदार के अवैध कार्य करने पर पुलिस अपना कमीशन ले लेती है. ठेकेदार नीम के पेड़ को कटवा रहे हैं और वन विभाग को इस कार्य की भनक भी नहीं है.

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अवैध कटान की सूचना मिलने पर वन क्षेत्राधिकारी और कांस्टेबल मौके पर जाकर कटान को रोकते हैं और कार्रवाई करते हैं. इस ग्रामीण क्षेत्र में फलों के पेड़ कम हैं, इसीलिए घरों के आगे या खेतों में नीम के पेड़ लगे हैं. जहां भी नीम की कटाई होती है, हम लोग उस पर कार्रवाई कर रहे हैं. नवम्बर में हमनें 16 वृक्षों के विरूद्ध कार्रवाई की थी.
-जवाहर लाल गुप्ता, जिला वनरक्षक अधिकारी

Intro:कन्नौज : हरे पेड़ों का कटान जोरों पर तो कैसे हो सुरक्षित पर्यावरण

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जहाॅ एक ओर सरकार पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए हरे पेड़ों को लगवाने के लिए करोड़ों रूपये पेड़ लगाये जाने को लेकर योजनाओं पर पानी की तरह बहा रही है वहीं हरे पेड़ों को काटने से लोग नही चूक रहे है और स्थानीय पुलिस को उसका कमीशन देकर धड़ल्ले से पेड़ों की अवैध कटान कर रहे है। ऐसा ही एक मामला यूपी के कन्नौज में देखने को मिला जहाॅ बेरोक, बेटोक और बेधड़क हरे पेड़ों का कटान जोरों पर हो रहा है और स्थानीय पुलिस और वनरक्षक अपना कमीशन लेकर मुह फेर लेते है। आइये देखते हैं कन्नौज से यह स्पेशल और एक्सक्लूसिव रिपोर्ट।

Body:पेड़ पर्यावरण का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। वे विभिन्न प्रजातियों के जीवों के अस्तित्व के लिए पर्यावरण को सुंदर और फिट बनाते हैं। पेड़ों के बिना पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं होगा। वे कई मायनों में हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि पेड़ हमें जीवन देते हैं। मनुष्य के अस्तित्व के लिए आवश्यक शर्तों में से एक ऑक्सीजन है और यह पेड़ों द्वारा उपलब्ध कराया गया है। पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड और साँस छोड़ते ऑक्सीजन। हम जितने अधिक पेड़ लगाते हैं उतने ही अधिक ऑक्सीजन हम प्राप्त करते हैं। यही कारण है कि हरे पेड़ों और पौधों से भरे पार्क में सुबह की सैर के लिए जाना हमारी इंद्रियों को फिर से जीवंत करने में मदद करता है और हमें तरोताजा महसूस कराता है। इसके बावजूद आज कुछ लोग अपने चंद फायदे के लिए औषधि जैसे पेड़ों को काटकर पर्यावरण को नुक्सान पहुंचा रहे है जबकि पेड़ हमारे जीवन के लिए कितने फायदेमंद है देखें।

पेड़ सोखते है हानिकारक गैस, देते है आक्सीजन

पेड़ न केवल कार्बन डाइऑक्साइड को साँस लेते हैं बल्कि पर्यावरण से कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड जैसी अन्य हानिकारक गैसों को भी अवशोषित करते हैं। विभिन्न अन्य प्रदूषक भी पेड़ों द्वारा अवशोषित होते हैं। यह प्रक्रिया हवा को शुद्ध करती है और वातावरण को साफ रखती है। अधिक से अधिक पेड़ लगाकर वातावरण में बढ़ते प्रदूषण को कम किया जा सकता है। पेड़ों के बिना हम कुछ भी नहीं हैं क्योंकि पौधे हमें ऑक्सीजन प्रदान करते हैं और वायुमंडलीय तापमान को बनाए रखने में मदद करते हैं। पेड़ पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखते हैं। पेड़ ऑक्सीजन को बाहर निकाल देते हैं, और उनमें प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के लिए हवा से कार्बन-डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं। पेड़ इस प्रकार, हवा में ऑक्सीजन बनाए रखते हैं, जिसे हमें सांस लेने और जीवित रहने की आवश्यकता होती है। कार्बन-डाइऑक्साइड, एक प्रमुख ग्रीनहाउस गैस को अवशोषित करके, पेड़ ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। जल विज्ञान चक्र को बनाए रखने के लिए पेड़ भी आवश्यक हैं। यह जल निकायों को अच्छी तरह से पानी में रखने में मदद करता है, और जल स्तर भी उच्च है। पेड़ भी कई प्राणियों के घर हैं, और मनुष्य और सभी शाकाहारी लोगों के लिए भोजन हैं।

Conclusion:हरे पेड़ हमारे जीवन के लिए काफी उपयोगी और फायदेमद होने के बावजूद यूपी के कन्नौज में हरे पेड़ों का कटान जोरों पर किया जा रहा है। जिससे पर्यावरण को काफी नुकशान पहुँच रहा है और ठेकेदार प्रतिबंधित पेड़ों की कटान बिना रोकटोक धड़ल्ले से कर रहे है न तो उन्हें परेशान का डर है और न पुलिस का भी क्योंकि पुलिस को वह उसका परसेंट यानी हिस्सा दे देते है तो वहीँ मामला संज्ञान में आने के बाद बन विभाग जागता भी है अगर तो उसका जुर्माना अदा कर कार्यवाही की खानापूर्ति हो जाती है यही कारण है कि आज औषधि में काम आने वाला और मनुष्य के जीवन का सबसे अधिक उपयोगी हरा पेड़ नीम प्रतिबंधित होने के बावजूद धड़ल्ले से काटा जा है। अगर ऐसे ही प्रतिबंधित पेड़ों की कटान होती रही तो वह दिन दूर रही जब पर्यावरण की क्षति का खामियाजा मनुष्य को भरना पडेगा. हांलाकि जब अधिकारियों के कानो तक जब यह बात पहुँचती है तबी अधिकारी ऐसे मामलो पर कार्यवाही करने की बात कहते है।

अभी एक ताजा मामला कन्नौज के माछा गांव का है जहां ठेकेदारों द्वारा नीम के पेड़ कटवाए जा रहे है और सबसे बड़ी बात कि इस बात की सूचना वन विभाग के अधिकारियों तक को नहीं है जब इस मामले को ईटीवी भारत में उठाया तब अधिकारियों की नींद उडी और जांच कर कार्यवाही किए जाने के निर्देश दिए गए।

इस मामले की जानकारी देते हुए जिला वनरक्षक अधिकारी जवाहर लाल गुप्ता ने बताया कि अवैध कटान की जब भी सूचना मिलती है तो हमारे वन क्षेत्राधिकारी और कांस्टेबल व दरोगा बीट प्रभारी मौके पर जाकर उस कटान को पकड़ते है और फिर उन पर कार्यवाही करते हैं। कार्यवाही तो सभी प्रतिबन्धित वृक्षों पर की जाती है। चूंकि इस क्षेत्र में और ग्रामीण क्षेत्रों में नीम के पेड़ बहुतायत है। यह पर्वतीय नही है फलों के पेड़ यहाॅ कम है। तो नीम के पेड़ घरों के आगे या खेतों में लगे है, इसलिए नीम का पेड़ ज्यादा काटा जा रहा है और उस पर हम लोग कार्यवाही कर रहे है। यह प्रतिबन्धित प्रजाति है उ0प्र0 हमारे वृक्ष संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत नीम के पेड़ पर प्रतिबन्ध है। इसको काटने के लिए परमीशन की जरूरत होती है। नवम्बर में हमने 16 वृक्षों के विरूद्ध कार्यवाहियां की थी और दिसम्बर में अभी तक दो कटान में बृक्ष काटे गये थे उनके विरूद्ध कार्यवाही की गयी है। नीम का पेड़ या कोई भी प्रतिबन्धित प्रजाति का पेड़ है, उस पर मुआबजा गोलाई बार निर्धारित किया गया है, इसमें दो हजार से लेकर दस हजार तक जितना मोटा पेड़ होता है। उस हिसाब से मुआबजे की रकम हासिल की जाती है।

बाइट - जवाहर लाल गुप्ता - जिला वनरक्षक अधिकारी, कन्नौज

कन्नौज से पंकज श्रीवास्तव
09415168969
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