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कन्नौज: फूल की खेती करने वाले किसानों का हो रहा भारी नुकसान

उत्तर प्रदेश के कन्नौज में बारिश के कारण फूलों की खेती करने वाले किसानों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. भारी बारिश के चलते फूलों की बाजार में सही कीमत नहीं मिल पाती है और किसान को लागत निकालना भी मुश्किल हो जाता है. जिसके चलते किसानों को आर्थिक तंगी से जूझना पड़ रहा है.

फूल की खेती करने वाले किसानों से बातचीत
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Published : Jul 27, 2019, 1:20 PM IST

कन्नौज: जिले में हो रही झमाझम बारिश से जहां एक ओर लोगों को गर्मी से राहत मिली है, वहीं दूसरी तरफ फूलों की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. खेतों में पानी भर जाने से पेड़ और पत्तियां सड़कर खराब हो रही हैं, वहीं दूसरी तरफ तैयार फूल की खेती में कीड़े भी लग रहे हैं.

फूल की खेती करने वाले किसानों से बातचीत.

किसानों की खेती पर मंडरा रहा संकट:

  • इत्र नगरी कन्नौज में बारिश के चलते सबसे ज्यादा नुकसान फूल की खेती करने वाले किसानों का हो रहा है.
  • खेतों में पानी भर जाने से पेड़ और पत्तियां सड़कर खराब हो रही हैं.
  • बरसात के मौसम में बाजार में फूलों का भाव आधा हो जाता है.
  • फूल की खेती में कीड़े लग जाने से बाजार में उनकी कीमत नहीं मिल पा रही है.
  • कीमत नहीं मिल पाने से फूलों की खेती पर निर्भर किसानों के ऊपर आर्थिक संकट मंडरा रहा है.

हम अपने फूलों को बाजारों में बेचने जाते हैं, लेकिन बरसात के कारण बाजारों में फूलों की कीमत आधी हो जाती है. जिससे हमें लागत मूल्य भी नहीं मिल पाता है.
-मेवाराम, किसान

हमने जो लागत लगाई है, इसकी कीमत न मिल पाने से हमारे जैसे किसानों को बहुत नुकसान उठाना पड़ता है. हम आधी कीमत में ही फूलों का सौदा करके चले आते हैं.
-सुभाष, किसान

फूलों की आधी कीमत मिलने से हमको दो वक्त की रोटी खाकर ही संतुष्ट रहना पड़ता है. लागत मूल्य न मिल पाने से हमें भारी नुकसान और आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है.
-गोकरन, किसान

कन्नौज: जिले में हो रही झमाझम बारिश से जहां एक ओर लोगों को गर्मी से राहत मिली है, वहीं दूसरी तरफ फूलों की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. खेतों में पानी भर जाने से पेड़ और पत्तियां सड़कर खराब हो रही हैं, वहीं दूसरी तरफ तैयार फूल की खेती में कीड़े भी लग रहे हैं.

फूल की खेती करने वाले किसानों से बातचीत.

किसानों की खेती पर मंडरा रहा संकट:

  • इत्र नगरी कन्नौज में बारिश के चलते सबसे ज्यादा नुकसान फूल की खेती करने वाले किसानों का हो रहा है.
  • खेतों में पानी भर जाने से पेड़ और पत्तियां सड़कर खराब हो रही हैं.
  • बरसात के मौसम में बाजार में फूलों का भाव आधा हो जाता है.
  • फूल की खेती में कीड़े लग जाने से बाजार में उनकी कीमत नहीं मिल पा रही है.
  • कीमत नहीं मिल पाने से फूलों की खेती पर निर्भर किसानों के ऊपर आर्थिक संकट मंडरा रहा है.

हम अपने फूलों को बाजारों में बेचने जाते हैं, लेकिन बरसात के कारण बाजारों में फूलों की कीमत आधी हो जाती है. जिससे हमें लागत मूल्य भी नहीं मिल पाता है.
-मेवाराम, किसान

हमने जो लागत लगाई है, इसकी कीमत न मिल पाने से हमारे जैसे किसानों को बहुत नुकसान उठाना पड़ता है. हम आधी कीमत में ही फूलों का सौदा करके चले आते हैं.
-सुभाष, किसान

फूलों की आधी कीमत मिलने से हमको दो वक्त की रोटी खाकर ही संतुष्ट रहना पड़ता है. लागत मूल्य न मिल पाने से हमें भारी नुकसान और आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है.
-गोकरन, किसान

Intro:बरसात में फूल की खेती करने वाले किसानों को हो रहा नुकसान

इत्र नगरी देरी कन्नौज में इन दिनों बरसात के मौसम में सबसे ज्यादा नुकशान फूल की खेती करने वाले किसानों को हो रही है। जहां एक तरफ पानी भर जाने से पेड़ और पत्तियां सड़कर खराब हो रही है, तो वहीं दूसरी तरफ तैयार फूल की खेती में कीड़े लग रहे हैं, जिससे कि फूल भी बेकार हो रहा है और आधा फूल कीड़ा ही खा जाता है, जिससे कि कीड़े लगे फूल की बाजार में भी सही कीमत नहीं मिल पा रही है और बरसात के दिनों में वैसे भी बाजार में भाव भी फूलों का आधा हो जाता है। ऐसे में खेती किसानों के आगे आर्थिक संकट खड़ा हो रहा है । आइए देखते हैं कन्नौज से यह स्पेशल रिपोर्ट।


Body:कन्नौज में इस बार हो रही झमाझम बारिश से जहां एक ओर लोगों को गर्मी से राहत पहुंच रही है, तो वहीं दूसरी तरफ बारिश के पानी से फूल की खेती करने वाले किसानों को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। बारिश का पानी खेतों में भर जाता है। जिससे फूलों के छोटे-छोटे पौधे पानी के भरने से सरकार खत्म हो जाते हैं, तो वही फूलों में भी बरसात का प्रकोप साफ दिखाई पड़ता है। बरसात के दिनों में फूल में कीड़ा लग जाता है, जिस कारण फूल को कीड़ा खाने लगता है और फूल की सुंदरता को कीड़ा दाग लगा देता है, जिससे कीड़े लगे फूल की बाजार में सही कीमत नहीं मिल पाती है और किसान की लागत भी निकलना मुश्किल होती है। अधिक लागत लगने के बावजूद फूलों की कीमत न मिलने से किसान परेशान हो जाता है और किसान को अपने नुकसान के कारण आर्थिक तंगी से जूझना पड़ता है।


Conclusion:बाजारों में नहीं मिल रही कीमत

बारिश के दिनों में फूलों की कीमत भी बाजारों में किसानों को आधी ही मिलती है। किसान अपने फूलों को बाजारों में बेचने जाता है तो बरसात से गिरा हुआ फूल भी घटाकर चला जाता है इसके साथ ही बाजारों में वह कीमत नहीं मिल पाती है जो लागत किसानों ने लगाई है कम कीमत मिलने से किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है और आधी कीमत में भी फूलों का सौदा कर किसान कम से कम दो वक्त की रोटी खाकर ही संतुष्ट रह जाता है बरसात के दिनों में सबसे ज्यादा परेशानी फूल की खेती वाले किसानों को उठानी पड़ती है इस भारी नुकसान से उनको आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ता है।

बाइट - मेवाराम -किसान

बाइट - सुभाष - किसान

बाइट- गोकरन - किसान
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कन्नौज से पंकज श्रीवास्तव
094 15 16 8969

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