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सुगंध की नगरी कन्नौज में बनेगा इत्र विश्वविद्यालय ! - इत्र विश्वविद्यालय

उत्तर प्रदेश के कन्नौज को दुनिया में इत्र के लिए जाना जाता है. इसके बावजूद यहां कोई विश्वविद्यालय या रिसर्च सेंटर नहीं है. रिसर्च को आगे बढ़ाने के लिए कन्नौज के सांसद सुब्रत पाठक ने एफएफडीसी को ही अरोमा टेक्नो इंडस्ट्रियल यूनिवर्सिटी बनाने का प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजा है.

कन्नौज को दुनिया में इत्र और अतर के लिए जाना जाता है
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Published : Aug 28, 2019, 12:28 PM IST

कन्नौज: इत्र की सुप्रसिद्ध नगरी कन्नौज प्राचीन काल से ही अपनी सुगंध के लिए विख्यात है. इस सुगंध नगरी की देश और दुनिया में एक अलग ही पहचान है. कन्नौज की इस पहचान को और आगे बढ़ाने के लिए काफी दिनों से यहां पर इत्र विश्वविद्यालय बनाए जाने की मांग की जा रही है. इसको लेकर इत्र नगरी कन्नौज को जल्द देश का पहला इत्र विश्वविद्यालय बनाए जाने की स्वीकृति होने वाली है. इसके लिए प्रस्ताव भी भेजा जा चुका है.

कन्नौज में इत्र विश्वविद्यालय बनाने का प्रस्ताव भेजा.
कन्नौज में इत्र और अतर

कन्नौज को दुनिया में इत्र और अतर के लिए जाना जाता है. आज भी यहां सदियों से चली आ रही परंपरा के अनुसार ही इत्र को तैयार किया जा रहा है. वर्ष 1991 से सुगंध एवं सरस विकास केंद्र एफएफडीसी जनपद में संचालित है. यह संस्था यूएनआईडीओ, केंद्र सरकार और राज्य सरकार के सहयोग से स्थापित है. यहां इत्र से संबंधित सभी आयाम जैसे सुगंधित पौधे, प्रसंस्करण, जैव प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण सलाहकार संबंधित कार्य किए जाते हैं. एफएफडीसी करीब 26 एकड़ में फैला हुआ है.

अब फ्रांस के ग्रासे से बेहतर होगी इत्र नगरी कन्नौज
कन्नौज की तरह ही फ्रांस का ग्रासे शहर भी विश्व में सुगंध की राजधानी के रूप में मशहूर है, लेकिन इत्र विश्वविद्यालय बनाए जाने के लिए वहां से ज्यादा संभावनाएं कन्नौज में हैं. क्योंकि वहां से अधिक यहां क्षेत्रफल है. ग्रासे में सिर्फ एसेंशियल ऑयल बनता है, जबकि कन्नौज में अतर, इत्र और एसेंशियल ऑयल तीनों ही बनते हैं. विदेशों में भी कन्नौज शहर से माल खरीदकर उसको नई तकनीकी का प्रयोग कर एक नया प्रोडक्ट बनाकर दुनिया भर में बेचा जाता है. यदि यहां विश्वविद्यालय बनता है तो रिसर्च से भी तकनीकी को सबसे ज्यादा फायदा होगा. इसलिए फ्रांस के शहर ग्रासे से अधिक बेहतर इत्र नगरी कन्नौज को माना जा रहा है.

इत्र विश्वविद्यालय से क्या होगा लाभ
इत्र विश्वविद्यालय बनने पर इत्र उद्योग को न केवल गति मिलेगी, बल्कि किसानों की आय भी दोगुनी हो जाएगी, क्योंकि विश्वविद्यालय बनने से निश्चित तौर पर ऐसे शोध होंगे जिससे उद्योग को नई राह मिलेगी. एफएफडीसी के विश्वविद्यालय बनने से तकनीकी तौर पर प्रशिक्षित किया जाएगा. नए शोध होंगे जो इत्र उद्योग को आगे बढ़ाएंगे. अरोमा इंडस्ट्री से जुड़े प्रशिक्षार्थियों को डिग्रियां मिलेंगी. इससे रिसर्च डेवलपमेंट का काम होगा. अरोमा से संबंधित सेमिनार और वर्कशॉप होगी. किसानों को अरोमा इंडस्ट्री से जुड़ी जानकारियां मिलेंगी. इसके अलावा भी प्रशिक्षण के लिए एक समुचित स्थान होगा जो पूरे देश के इत्र व्यवसाय से जुड़ने का एक केंद्र बिंदु होगा.

जनपद कन्नौज इत्र के लिए प्रसिद्ध है. वर्तमान में यहां एफएफडीसी संस्था इत्र के संबंध में कार्य कर रही है और समय-समय पर विभिन्न वर्गों के लोगों को इनके द्वारा प्रशिक्षण भी दिया जाता है. बहुत दिनों से यह मांग है कि यहां पर अगर एक यूनिवर्सिटी बन जाए तो वहां लोगों को लाभ होगा.

-रविंद्र कुमार जिलाधिकारी

ये भी पढ़ें-सपा-बसपा-कांग्रेस पर मोदी का वार: 'जात पात जपना, जनता का माल अपना

कन्नौज: इत्र की सुप्रसिद्ध नगरी कन्नौज प्राचीन काल से ही अपनी सुगंध के लिए विख्यात है. इस सुगंध नगरी की देश और दुनिया में एक अलग ही पहचान है. कन्नौज की इस पहचान को और आगे बढ़ाने के लिए काफी दिनों से यहां पर इत्र विश्वविद्यालय बनाए जाने की मांग की जा रही है. इसको लेकर इत्र नगरी कन्नौज को जल्द देश का पहला इत्र विश्वविद्यालय बनाए जाने की स्वीकृति होने वाली है. इसके लिए प्रस्ताव भी भेजा जा चुका है.

कन्नौज में इत्र विश्वविद्यालय बनाने का प्रस्ताव भेजा.
कन्नौज में इत्र और अतर

कन्नौज को दुनिया में इत्र और अतर के लिए जाना जाता है. आज भी यहां सदियों से चली आ रही परंपरा के अनुसार ही इत्र को तैयार किया जा रहा है. वर्ष 1991 से सुगंध एवं सरस विकास केंद्र एफएफडीसी जनपद में संचालित है. यह संस्था यूएनआईडीओ, केंद्र सरकार और राज्य सरकार के सहयोग से स्थापित है. यहां इत्र से संबंधित सभी आयाम जैसे सुगंधित पौधे, प्रसंस्करण, जैव प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण सलाहकार संबंधित कार्य किए जाते हैं. एफएफडीसी करीब 26 एकड़ में फैला हुआ है.

अब फ्रांस के ग्रासे से बेहतर होगी इत्र नगरी कन्नौज
कन्नौज की तरह ही फ्रांस का ग्रासे शहर भी विश्व में सुगंध की राजधानी के रूप में मशहूर है, लेकिन इत्र विश्वविद्यालय बनाए जाने के लिए वहां से ज्यादा संभावनाएं कन्नौज में हैं. क्योंकि वहां से अधिक यहां क्षेत्रफल है. ग्रासे में सिर्फ एसेंशियल ऑयल बनता है, जबकि कन्नौज में अतर, इत्र और एसेंशियल ऑयल तीनों ही बनते हैं. विदेशों में भी कन्नौज शहर से माल खरीदकर उसको नई तकनीकी का प्रयोग कर एक नया प्रोडक्ट बनाकर दुनिया भर में बेचा जाता है. यदि यहां विश्वविद्यालय बनता है तो रिसर्च से भी तकनीकी को सबसे ज्यादा फायदा होगा. इसलिए फ्रांस के शहर ग्रासे से अधिक बेहतर इत्र नगरी कन्नौज को माना जा रहा है.

इत्र विश्वविद्यालय से क्या होगा लाभ
इत्र विश्वविद्यालय बनने पर इत्र उद्योग को न केवल गति मिलेगी, बल्कि किसानों की आय भी दोगुनी हो जाएगी, क्योंकि विश्वविद्यालय बनने से निश्चित तौर पर ऐसे शोध होंगे जिससे उद्योग को नई राह मिलेगी. एफएफडीसी के विश्वविद्यालय बनने से तकनीकी तौर पर प्रशिक्षित किया जाएगा. नए शोध होंगे जो इत्र उद्योग को आगे बढ़ाएंगे. अरोमा इंडस्ट्री से जुड़े प्रशिक्षार्थियों को डिग्रियां मिलेंगी. इससे रिसर्च डेवलपमेंट का काम होगा. अरोमा से संबंधित सेमिनार और वर्कशॉप होगी. किसानों को अरोमा इंडस्ट्री से जुड़ी जानकारियां मिलेंगी. इसके अलावा भी प्रशिक्षण के लिए एक समुचित स्थान होगा जो पूरे देश के इत्र व्यवसाय से जुड़ने का एक केंद्र बिंदु होगा.

जनपद कन्नौज इत्र के लिए प्रसिद्ध है. वर्तमान में यहां एफएफडीसी संस्था इत्र के संबंध में कार्य कर रही है और समय-समय पर विभिन्न वर्गों के लोगों को इनके द्वारा प्रशिक्षण भी दिया जाता है. बहुत दिनों से यह मांग है कि यहां पर अगर एक यूनिवर्सिटी बन जाए तो वहां लोगों को लाभ होगा.

-रविंद्र कुमार जिलाधिकारी

ये भी पढ़ें-सपा-बसपा-कांग्रेस पर मोदी का वार: 'जात पात जपना, जनता का माल अपना

Intro:कन्नौज में इत्र विश्वविद्यालय बनाए जाने के लिए शुरू हुई कवायद

- इत नगरी में होगा देश का पहला इत्र विश्वविद्यालय

इत्र अवधि आज की सुप्रसिद्ध नगरी कन्नौज प्राचीन काल से ही अपनी सुगंध से विख्यात है जिससे इस सुगंध नगरी का देश और दुनिया में एक अलग पहचान बनी हुई है कन्नौज की इस पहचान को और आगे बढ़ाने के लिए काफी दिनों से यहां पर इत्र विश्वविद्यालय बनाए जाने की मांग की जा रही है जिसको लेकर इतना ग्री कन्नौज को जल्दी देश का पहला इतर विश्वविद्यालय बनाए जाने की स्वीकृति होने वाली है इसके लिए प्रस्ताव भी भेजा जा चुका है आइए देखते हैं कन्नौज से यह स्पेशल रिपोर्ट।


Body:कन्नौज दुनिया में इत्र और अतर के लिए जाना जाता है। इसके बावजूद यहां कोई विश्वविद्यालय या रिसर्च सेंटर नहीं है । उद्यमी आज भी यहां सदियों से चली आ रही परंपरा के अनुसार ही इत्र को तैयार कर रहे हैं । इत्र कारोबार को आगे बढ़ाने और रिसर्च को आगे बढ़ाने के लिए कन्नौज के सांसद सुब्रत पाठक ने एफएफडीसी को ही अरोमा टेक्नो इंडस्ट्रियल यूनिवर्सिटी बनाने का प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजा है । वर्ष 1991 से सुगंध एवं सरस विकास केंद्र एफडीसी जनपद में संचालित है । यह संस्था यूएनआईडीओ, केंद्र सरकार और राज्य सरकार के सहयोग से स्थापित है । यहां इत्र से संबंधित सभी आयाम जैसे सुगंधित पौधे, प्रसंस्करण, जैव प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण सलाहकार संबंधित कार्य किए जाते हैं । एफएफडीसी करीब 26 एकड़ में फैला हुआ है।

अब फ्रांस के ग्रासे से बेहतर होगी इत्र नगरी कन्नौज

कन्नौज की तरह ही फ्रांस का ग्रासे शहर भी विश्व में सुगंध की राजधानी के रूप में मशहूर है । लेकिन इत्र विश्वविद्यालय बनाए जाने के लिए वहां से ज्यादा संभावनाएं कन्नौज में हैं । क्योंकि वहां से अधिक यहां क्षेत्रफल है । ग्रासे में सिर्फ एसेंशियल आयल बनता है जबकि कन्नौज में अतर, इत्र और एसेंशियल आयल तीनों ही बनते हैं। विदेशों में भी कन्नौज शहर से माल खरीदकर उसको नई तकनीकी का प्रयोग कर एक नया प्रोडक्ट बनाकर दुनिया भर में बेचा जाता है । यदि यहां विश्वविद्यालय बनता है तो रिसर्च से भी तकनीकी को सबसे ज्यादा फायदा होगा । इसलिए फ्रांस के शहर ग्रासे से अधिक बेहतर इत्र नगरी कन्नौज को माना जा रहा है।

इत्र विश्वविद्यालय से क्या होगा लाभ

इत्र विश्वविद्यालय बनने पर इत्र उद्योग को न केवल गति मिलेगी बल्कि किसानों की आय भी दोगुनी हो जाएगी, क्योंकि विश्वविद्यालय बनने से निश्चित तौर पर ऐसे शोध होंगे जिससे उद्योग को नई राह मिलेगी। एफएफडीसी के विश्वविद्यालय बनने से तकनीकी तौर पर प्रशिक्षित किया जाएगा। नए शोध होंगे जो इत्र उद्योग को आगे बढ़ाएंगे । अरोमा इंडस्ट्री से जुड़े प्रशिक्षार्थियों को डिग्रियां मिलेंगी। इससे रिसर्च डेवलपमेंट का काम होगा । अरोमा से संबंधित सेमिनार और वर्कशॉप होगी। किसानों को अरोमा इंडस्ट्री से जुड़ी जानकारियां मिलेंगी । इसके अलावा भी प्रशिक्षण के लिए एक समुचित स्थान होगा जो पूरे देश के इत्र व्यवसाय से जुड़ने का एक केंद्र बिंदु होगा।




Conclusion:कन्नौज के जिला अधिकारी रविंद्र कुमार ने इस संबंध में बताया कि जनपद कन्नौज इत्र के लिए प्रसिद्ध है । वर्तमान में यहां एफएफडीसी संस्था इत्र के संबंध में कार्य कर रही है और समय-समय पर विभिन्न वर्गों के लोगों को इनके द्वारा प्रशिक्षण भी दिया जाता है । बहुत दिनों से यह मांग है कि यहां पर अगर एक यूनिवर्सिटी बन जाए तो वहां लोगों को लाभ होगा और उससे उनको एक निश्चित अवधि है पढ़ाई के पश्चात डिग्री भी मिल सकेगी, तो एक इसका कॉन्सेप्ट नोट अभी तैयार किया गया है और अगर आगे इसमें निर्देश हम लोगों को प्राप्त हो तो हम लोग इसको आगे बढ़ाएंगे । कॉन्सेप्ट नोट तैयार करके सांसद के माध्यम से ऊपर भेजा गया है और जैसे ही ऊपर से कोई निर्देश मिलेंगे हम लोग कार्रवाई करेंगे।

बाइट रविंद्र कुमार जिलाधिकारी कन्नौज
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कन्नौज से पंकज श्रीवास्तव
0 94 15 16 8969
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