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कन्नौजः कोराना महामारी के बीच जलालाबाद में डेंगू की दस्तक, कई लोग चपेट में - कोराना महामारी के बीच जलालाबाद में डेंगू की दस्तक

यूपी के कन्नौज जिले में डेंगू का कहर भी देखने को मिल रहा है. वहीं लोगों में कोरोना के होने का डर भी सता रहा है. साथ ही अधिकतर लोगों को उचित इलाज भी नहीं मिल पा रहा है. शहरी इलाकों से लोग जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में लम्बी लाइनों की वजह से कम जा रहे हैं तो ग्रामीण इलाकों से लोग जिला अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की ओर भाग रहे हैं.

जलालाबाद में डेंगू का प्रकोप
जलालाबाद में डेंगू का प्रकोप
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Published : Sep 8, 2020, 4:06 PM IST

कन्नौजः जनपद में इन दिनों डेंगू का कहर भी देखने को मिल रहा है. वहीं लोगों में कोरोना के होने का डर भी सता रहा है. साथ ही अधिकतर लोगों को उचित इलाज भी नहीं मिल पा रहा है. शहरी इलाकों से लोग जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में लम्बी लाइनों की वजह से कम जा रहे हैं तो ग्रामीण इलाकों से लोग जिला अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की ओर भाग रहे है, लेकिन यहां भी उन्हें लाभ नहीं मिल रहा. लोगों का कहना है कि ब्लड की जांच में देरी की वजह से लोग प्राइवेट डॉक्टरों के पास जाना पसदं करते हैं.

बजबजाती नालियां बनती जा रहीं कस्बा की पहचान
सवाल यह है कि करोड़ों रुपये की लागत से यह विशालकाय बनी इमारतें क्या महज लोगों की ऐशगाह बनी हुई हैं. इलाज के नाम पर ग्रामीणों के साथ छलावा हो रहा है, जबकि कस्बे में रेखा बानो, खुशबू, इशरत पत्नी कालिया देव सहित छह लोग डेंगू की चपेट में आ चुके हैं, लेकिन ग्राम पंचायतों का तो नजारा ही बिल्कुल अलग है. सफाई के नाम पर सिर्फ मजाक हो रहा है.

जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हैं. वह सफाई और ग्राम प्रधान का मुंह चिड़ा रहे हैं, जबकि ऐसी भयानक महामारी में सबसे अहम भूमिका अगर है तो वह है साफ सफाई की. इसे लेकर जिलाधिकारी से लेकर प्रधानमंत्री तक लोगों से स्वच्छ और स्वच्छता रखने की अपील कई बार कर चुके हैं, लेकिन अधिकतर लोग जो सत्ताधारी दल से चिपके हैं, वह ऐसी अपील को दरकिनार करते दिखाई दे रहे हैं. कस्बे में चारों ओर गन्दगी का साम्रज्य ही दिखाई देता है.

कन्नौजः जनपद में इन दिनों डेंगू का कहर भी देखने को मिल रहा है. वहीं लोगों में कोरोना के होने का डर भी सता रहा है. साथ ही अधिकतर लोगों को उचित इलाज भी नहीं मिल पा रहा है. शहरी इलाकों से लोग जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में लम्बी लाइनों की वजह से कम जा रहे हैं तो ग्रामीण इलाकों से लोग जिला अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की ओर भाग रहे है, लेकिन यहां भी उन्हें लाभ नहीं मिल रहा. लोगों का कहना है कि ब्लड की जांच में देरी की वजह से लोग प्राइवेट डॉक्टरों के पास जाना पसदं करते हैं.

बजबजाती नालियां बनती जा रहीं कस्बा की पहचान
सवाल यह है कि करोड़ों रुपये की लागत से यह विशालकाय बनी इमारतें क्या महज लोगों की ऐशगाह बनी हुई हैं. इलाज के नाम पर ग्रामीणों के साथ छलावा हो रहा है, जबकि कस्बे में रेखा बानो, खुशबू, इशरत पत्नी कालिया देव सहित छह लोग डेंगू की चपेट में आ चुके हैं, लेकिन ग्राम पंचायतों का तो नजारा ही बिल्कुल अलग है. सफाई के नाम पर सिर्फ मजाक हो रहा है.

जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हैं. वह सफाई और ग्राम प्रधान का मुंह चिड़ा रहे हैं, जबकि ऐसी भयानक महामारी में सबसे अहम भूमिका अगर है तो वह है साफ सफाई की. इसे लेकर जिलाधिकारी से लेकर प्रधानमंत्री तक लोगों से स्वच्छ और स्वच्छता रखने की अपील कई बार कर चुके हैं, लेकिन अधिकतर लोग जो सत्ताधारी दल से चिपके हैं, वह ऐसी अपील को दरकिनार करते दिखाई दे रहे हैं. कस्बे में चारों ओर गन्दगी का साम्रज्य ही दिखाई देता है.

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