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घर में घुसकर लूटपाट के मामले में 32 साल बाद कोर्ट ने सुनाई सात साल की कैद - कन्नौज कोर्ट का फैसला

कन्नौज कोर्ट ने लूट के एक मामले में 32 साल बाद दोषी को सात साल की सजा सुनाई है.

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घर में घुसकर लूटपाट के मामले में 32 साल बाद कोर्ट ने सुनाई सात साल की कैद
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Published : Oct 22, 2022, 3:16 PM IST

कन्नौजः घर में घुसकर मारपीट व लूटपाट करने के मामले में करीब 32 साल बाद एफटीसी ( fast track court) कोर्ट ने आरोपी को सजा सुनाई है. कोर्ट ने आरोपी को सात साल सश्रम कारावास व पांच हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. एफटीसी कोर्ट के द्वितीय न्यायाधीश शिव कुमार तिवारी ने यह फैसला सुनाया है. मामले की पैरवी जिला शासकीय अधिवक्ता संत कुमार दुबे ने की. अभियोजन पक्ष की ओर से चार गवाह पेश किए गए.

जिला शासकीय अधिवक्ता संत कुमार दुबे ने बताया कि 17 जून 1990 को पीड़ित प्रकाश सिंह ने छिबरामऊ कोतवाली में तहरीर देकर मुकदमा दर्ज करवाया था. आरोप लगाया था कि उसके घर में रात में तीन व्यक्ति घुस आए थे. इसमें धर्मवीर, हरिश्चंद्र और एक अज्ञात व्यक्ति शामिल था. घर में घुसते ही उससे व पत्नी के साथ मारपीट की गई. दहशत फैलाने के लिए फायरिंग भी की. मारपीट कर एक जोड़ी पायल, सोने की जंजीर व तोड़िया लूट ली. पुलिस ने मामला दर्ज कर विवेचना करते हुए आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किए.

मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन की ओर से चार गवाह प्रस्तुत किए गए. मुकदमे के ट्रायल के दौरान एक आरोपी हरिश्चंद्र की मौत हो गई. करीब 32 साल बाद आरोप सिद्ध होने पर शनिवार को फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज द्वितीय शिव कुमार तिवारी ने आरोपी धर्मवीर गुप्ता निवासी पूर्वी बाईपास को सश्रम सात साल कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही पांच हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. जुर्माना अदा न करने पर छह माह की अतिरिक्त कारावास की सजा काटनी पड़ेगी.

ये भी पढ़ेंः स्टेशन के बाद अब ट्रेन के स्लीपर कोच में नमाज, यात्रियों की आवाजाही पर रोक, Video Viral

कन्नौजः घर में घुसकर मारपीट व लूटपाट करने के मामले में करीब 32 साल बाद एफटीसी ( fast track court) कोर्ट ने आरोपी को सजा सुनाई है. कोर्ट ने आरोपी को सात साल सश्रम कारावास व पांच हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. एफटीसी कोर्ट के द्वितीय न्यायाधीश शिव कुमार तिवारी ने यह फैसला सुनाया है. मामले की पैरवी जिला शासकीय अधिवक्ता संत कुमार दुबे ने की. अभियोजन पक्ष की ओर से चार गवाह पेश किए गए.

जिला शासकीय अधिवक्ता संत कुमार दुबे ने बताया कि 17 जून 1990 को पीड़ित प्रकाश सिंह ने छिबरामऊ कोतवाली में तहरीर देकर मुकदमा दर्ज करवाया था. आरोप लगाया था कि उसके घर में रात में तीन व्यक्ति घुस आए थे. इसमें धर्मवीर, हरिश्चंद्र और एक अज्ञात व्यक्ति शामिल था. घर में घुसते ही उससे व पत्नी के साथ मारपीट की गई. दहशत फैलाने के लिए फायरिंग भी की. मारपीट कर एक जोड़ी पायल, सोने की जंजीर व तोड़िया लूट ली. पुलिस ने मामला दर्ज कर विवेचना करते हुए आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किए.

मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन की ओर से चार गवाह प्रस्तुत किए गए. मुकदमे के ट्रायल के दौरान एक आरोपी हरिश्चंद्र की मौत हो गई. करीब 32 साल बाद आरोप सिद्ध होने पर शनिवार को फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज द्वितीय शिव कुमार तिवारी ने आरोपी धर्मवीर गुप्ता निवासी पूर्वी बाईपास को सश्रम सात साल कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही पांच हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. जुर्माना अदा न करने पर छह माह की अतिरिक्त कारावास की सजा काटनी पड़ेगी.

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