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बीमार है कन्नौज का राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल, कैसे सुधरेगी सेहत - ayurveda hospital in kannauj

जिले के कस्बा सिकंदरपुर में सन् 1940 में राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय का निर्माण कराया गया था. लेकिन, लापरवाही के चलते अस्पताल का भवन जर्जर हालत में पहुंच गया है. कई बार शासन से शिकायत करने के बाद भी इसकी मरम्मत नहीं की गई है. अस्पताल में डॉक्टर के साथ-साथ अन्य स्टाफ जर्जर अस्पताल में अपना जीवन दांव पर लगाकर लोगों का इलाज करते हैं.

कन्नौज के आयुर्वेदिक अस्पताल की स्थिति खराब
कन्नौज के आयुर्वेदिक अस्पताल की स्थिति खराब
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Published : Jan 10, 2021, 11:00 AM IST

कन्नौजः कोरोना काल में संक्रमण से बचाव के लिए आयुर्वेद को काफी कारगर माना गया. लोगों ने गिलोई से लेकर आयुर्वेदिक दवाओं व काढ़ा का खूब इस्तेमाल किया. प्रदेश सरकार भी आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए आयुर्वेदिक अस्पतालों के भवनों का कायाकल्प करने में जुटी है. लेकिन जिले के सिकंदरपुर में संचालित राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय आज भी जर्जर भवन में संचालित हो रहा है.

बताया जा रहा है कि अस्पताल की बिल्डिंग करीब 80 साल पुरानी है. अस्पताल अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. भवन की हालत इतनी जर्जर है कि कभी भी गिर सकता है. अस्पताल में इलाज करने वाले डॉक्टर व स्टाफ जान जोखिम में डालकर नौकरी करने को मजबूर है. वहां मरीज भी अपनी जान खतरे में डालकर अस्पताल में दवा लेने आते हैं.

कन्नौज के आयुर्वैदिक अस्पताल की हालत खराब

क्या है पूरा मामला
जिले के कस्बा सिकंदरपुर में सन् 1940 में राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय का निर्माण कराया गया था. लेकिन, लापरवाही के चलते अस्पताल का भवन जर्जर हालत में पहुंच गया है. कई बार शासन से शिकायत करने के बाद भी इसकी मरम्मत नहीं की गई है. बताया जा रहा है कि रोजाना करीब 50 से 60 मरीज दवा लेने के लिए पहुंचते हैं.

जान जोखिम में डालकर इलाज करते हैं डॉक्टर व स्टाफ
जर्जर इमारत की जर्जर दीवार पर लगा राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय का बोर्ड इस बात का गवाह है कि जिले में आज भी आयुर्वेदिक चिकित्सा से इलाज किया जाता है. अस्पताल में डॉक्टर के साथ-साथ अन्य स्टाफ जर्जर अस्पताल में अपना जीवन दांव पर लगाकर लोगों का इलाज करते हैं. साथ ही मरीज भी अपनी जान जोखिम में डालकर इलाज करवाने के लिए पहुंचते हैं. अस्पताल की दीवारें व छत जगह-जगह चटक गई हैं. कभी भी इमारत भर भराकर गिर सकती है.

कई बार शिकायत करने पर भी नहीं हुआ मरम्मत कार्य
अस्पताल में तैनात कर्मचारियों ने बताया कि चिकित्सालय की जर्जर हालत और किसी समय भी बड़ा हादसा होना का हवाला देकर कई बार पत्र भेजा गया. लेकिन, हालात आज भी जस की तस बनी हुई है. चिकित्सालय में ड्यूटी पर तैनात आयुर्वेदिक डॉ. नादिरा खातून ने बताया कि उनकी कुछ माह पहले ही अस्पताल में ड्यूटी लगाई गई है. लेकिन अस्पताल के अंदर मरीजों का इलाज करते हुए बहुत डर लगता है. चिकित्सालय की इमारत इतनी जर्जर है कि कभी बाद हादसा हो सकता है.

कभी भी हो सकता है मुरादनगर जैसा हादसा
चिकत्सालय में तैनात कर्मचारियों ने बताया कि इमारत की हालत इतनी खराब है कि किसी भी समय गाजियाबाद के मुरादनगर जैसी घटना हो सकती है. भवन के सुधार के लिए विभाग को कई बार पत्र दे चुके हैं. लेकिन, कोई कार्रवाई नहीं हुई. सभी लोग जान में जोखिम में डालकर मरीजों का इलाज करने को मजबूर हैं.

कन्नौजः कोरोना काल में संक्रमण से बचाव के लिए आयुर्वेद को काफी कारगर माना गया. लोगों ने गिलोई से लेकर आयुर्वेदिक दवाओं व काढ़ा का खूब इस्तेमाल किया. प्रदेश सरकार भी आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए आयुर्वेदिक अस्पतालों के भवनों का कायाकल्प करने में जुटी है. लेकिन जिले के सिकंदरपुर में संचालित राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय आज भी जर्जर भवन में संचालित हो रहा है.

बताया जा रहा है कि अस्पताल की बिल्डिंग करीब 80 साल पुरानी है. अस्पताल अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. भवन की हालत इतनी जर्जर है कि कभी भी गिर सकता है. अस्पताल में इलाज करने वाले डॉक्टर व स्टाफ जान जोखिम में डालकर नौकरी करने को मजबूर है. वहां मरीज भी अपनी जान खतरे में डालकर अस्पताल में दवा लेने आते हैं.

कन्नौज के आयुर्वैदिक अस्पताल की हालत खराब

क्या है पूरा मामला
जिले के कस्बा सिकंदरपुर में सन् 1940 में राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय का निर्माण कराया गया था. लेकिन, लापरवाही के चलते अस्पताल का भवन जर्जर हालत में पहुंच गया है. कई बार शासन से शिकायत करने के बाद भी इसकी मरम्मत नहीं की गई है. बताया जा रहा है कि रोजाना करीब 50 से 60 मरीज दवा लेने के लिए पहुंचते हैं.

जान जोखिम में डालकर इलाज करते हैं डॉक्टर व स्टाफ
जर्जर इमारत की जर्जर दीवार पर लगा राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय का बोर्ड इस बात का गवाह है कि जिले में आज भी आयुर्वेदिक चिकित्सा से इलाज किया जाता है. अस्पताल में डॉक्टर के साथ-साथ अन्य स्टाफ जर्जर अस्पताल में अपना जीवन दांव पर लगाकर लोगों का इलाज करते हैं. साथ ही मरीज भी अपनी जान जोखिम में डालकर इलाज करवाने के लिए पहुंचते हैं. अस्पताल की दीवारें व छत जगह-जगह चटक गई हैं. कभी भी इमारत भर भराकर गिर सकती है.

कई बार शिकायत करने पर भी नहीं हुआ मरम्मत कार्य
अस्पताल में तैनात कर्मचारियों ने बताया कि चिकित्सालय की जर्जर हालत और किसी समय भी बड़ा हादसा होना का हवाला देकर कई बार पत्र भेजा गया. लेकिन, हालात आज भी जस की तस बनी हुई है. चिकित्सालय में ड्यूटी पर तैनात आयुर्वेदिक डॉ. नादिरा खातून ने बताया कि उनकी कुछ माह पहले ही अस्पताल में ड्यूटी लगाई गई है. लेकिन अस्पताल के अंदर मरीजों का इलाज करते हुए बहुत डर लगता है. चिकित्सालय की इमारत इतनी जर्जर है कि कभी बाद हादसा हो सकता है.

कभी भी हो सकता है मुरादनगर जैसा हादसा
चिकत्सालय में तैनात कर्मचारियों ने बताया कि इमारत की हालत इतनी खराब है कि किसी भी समय गाजियाबाद के मुरादनगर जैसी घटना हो सकती है. भवन के सुधार के लिए विभाग को कई बार पत्र दे चुके हैं. लेकिन, कोई कार्रवाई नहीं हुई. सभी लोग जान में जोखिम में डालकर मरीजों का इलाज करने को मजबूर हैं.

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