कन्नौज: महिला पर जानलेवा हमले के मामले में आरोप सिद्ध होने पर विशेष न्यायाधीश एससी-एसटी कोर्ट ने दोषी को दस साल कारावास की सजा सुनाई. साथ ही 57 हजार 500 रुपये का जुर्माना भी लगाया. अदालत ने जुर्माने की एक तिहाई रकम पीड़ित को देने का आदेश दिया. कोर्ट ने इस मामले में करीब 12 साल बाद सजा सुनाई.
जिला शासकीय अधिवक्ता सुधीर कुमार पांडेय ने बताया कि तिर्वा कोतवाली क्षेत्र के विधईपुरवा गांव निवासी आशाराम पुत्र मुरली ने 15 सितंबर 2010 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी. आरोप लगाया था कि सुबह करीब 7.30 बजे वो अपनी जगह पर नींव खोद रहा था. इसी दौरान गांव के ज्ञानेंद्र कुमार जातिसूचक अपशब्द कहने लगे. विरोध करने पर ज्ञानेंद्र ने उनकी पिटाई कर दी.
वो किसी तरह आरोपी के चंगुल से जान बचाकर भाग निकला. तभी शोरगुल सुनकर उसकी पत्नी गुड्डी देवी मौके पर पहुंच गई. आरोपी ने पत्नी पर फावड़े से जानलेवा हमला कर दिया. पुलिस ने पीड़ित की तहरीर के आधार पर रिपोर्ट दर्ज कर मामले की विवेचना की. तत्कालीन तिर्वा सीओ ने ज्ञानेंद्र के खिलाफ काेर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया.
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बुधवार को करीब 12 साल बाद साक्ष्यों और गवाहों के बयान के आधार पर विशेष न्यायाधीश एससी-एसटी एक्ट के जज आनंद प्रकाश द्वितीय ने आरोपी को 10 साल कारावास की सजा सुनाई. साथ ही 57,500 रुपये का अर्थदंड भी लगाया. जिला शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि कोर्ट ने जुर्माने की एक तिहाई रकम पीड़ित गुड्डी देवी को देने के आदेश दिए हैं. सजा के बाद दोषी को अनौगी गांव स्थित जिला कारागार भेज दिया गया.
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