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झांसी: एक हजार साल पुराना है मैमासन मंदिर, सेना ने उठा रखी है देख-रेख की जिम्मेदारी

उत्तर प्रदेश के झांसी कैंट में बना मैमासन मंदिर सिद्धपीठ माना जाता है. यह मंदिर लगभग एक हजार साल पुराना बताया जाता है. सन 1216 में महोबा के राजा परमदेव ने यह मंदिर बनवाया था. बाद में 1952 में भारतीय सेना ने इसका जीर्णोद्धार कराया और देख-रेख की जिम्मेदारी ली.

सिद्धपीठ मैमासन मंदिर.
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Published : Oct 5, 2019, 8:28 PM IST

Updated : Oct 6, 2019, 11:32 AM IST

झांसी: जिले के कैंट क्षेत्र में स्थित मैमासन माता का मंदिर सिद्धपीठ माना जाता है. एक हजार साल पुराने इस मंदिर की देख-रेख की जिम्मेदारी इस समय सेना ने संभाल रखी है. बताया जाता है कि अंग्रेजों की सेना ने 1857 में झांसी में हुए विद्रोह के समय जनरल रोज के साथ इस पहाड़ी पर सैनिक पड़ाव डाला था. पहाड़ी पर पहले एक छोटा मंदिर हुआ करता था, जिसका बाद में भारतीय सेना ने जीर्णोद्धार कराया था.

सिद्धपीठ मैमासन मंदिर.

मैमासन मंदिर की कहानी

मैमासन मंदिर बेहद प्राचीन मंदिर है. ऐसा माना जाता है कि कैमासन और मैमासन नाम की दो बालिकाएं भेड़-बकरी चरा रही थीं. कुछ दुष्ट प्रवृत्ति के लोगों ने उन पर बुरी नजर डालते हुए पीछा किया. मैमासन इस पहाड़ी पर आकर धरती में समा गई. जब आतताई चले गए तो तीन दिन बाद मैमासन बाहर निकली. मैमासन ने शादी न करने का संकल्प लिया और यहीं पर तप करने लगीं.

यह भी पढ़ें: Navratra 2019: 252 वर्षों से काशी में विराजमान हैं मां दुर्गा, जानिए कहां है

इनका निवास स्थान तप के कारण बना सिद्धपीठ

धर्म के जानकार बताते हैं कि मैमासन की तपस्या के कारण यह मैमासन का सिद्धपीठ मंदिर बन गया. दूसरी बहन कैमासन मैमासन से कुछ दूर विश्वविद्यालय के निकट पहाड़ी पर स्थित हैं. कैमासन बड़ी बहन थीं और वर्तमान में उनका मंदिर विश्वविद्यालय के पास पहाड़ी पर स्थित है.

यह भी पढ़ें: अक्टूबर में 11 दिन बंद रहेंगे बैंक, यहां देखें छुट्टियों की पूरी लिस्ट

झांसी की रानी की कुलदेवी का मंदिर

मंदिर के पुजारी सेना के रिसलदार सत्य नारायण मिश्रा बताते हैं कि इस पहाड़ी पर सन 1216 में महोबा के राजा परमदेव ने छोटा सा मंदिर बनवाया था. बताया जाता है कि उस समय आल्हा-ऊदल भी यहां आए थे. इसके अलावा झांसी की रानी की कुलदेवी का मंदिर भी रहा है.

झांसी: जिले के कैंट क्षेत्र में स्थित मैमासन माता का मंदिर सिद्धपीठ माना जाता है. एक हजार साल पुराने इस मंदिर की देख-रेख की जिम्मेदारी इस समय सेना ने संभाल रखी है. बताया जाता है कि अंग्रेजों की सेना ने 1857 में झांसी में हुए विद्रोह के समय जनरल रोज के साथ इस पहाड़ी पर सैनिक पड़ाव डाला था. पहाड़ी पर पहले एक छोटा मंदिर हुआ करता था, जिसका बाद में भारतीय सेना ने जीर्णोद्धार कराया था.

सिद्धपीठ मैमासन मंदिर.

मैमासन मंदिर की कहानी

मैमासन मंदिर बेहद प्राचीन मंदिर है. ऐसा माना जाता है कि कैमासन और मैमासन नाम की दो बालिकाएं भेड़-बकरी चरा रही थीं. कुछ दुष्ट प्रवृत्ति के लोगों ने उन पर बुरी नजर डालते हुए पीछा किया. मैमासन इस पहाड़ी पर आकर धरती में समा गई. जब आतताई चले गए तो तीन दिन बाद मैमासन बाहर निकली. मैमासन ने शादी न करने का संकल्प लिया और यहीं पर तप करने लगीं.

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इनका निवास स्थान तप के कारण बना सिद्धपीठ

धर्म के जानकार बताते हैं कि मैमासन की तपस्या के कारण यह मैमासन का सिद्धपीठ मंदिर बन गया. दूसरी बहन कैमासन मैमासन से कुछ दूर विश्वविद्यालय के निकट पहाड़ी पर स्थित हैं. कैमासन बड़ी बहन थीं और वर्तमान में उनका मंदिर विश्वविद्यालय के पास पहाड़ी पर स्थित है.

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झांसी की रानी की कुलदेवी का मंदिर

मंदिर के पुजारी सेना के रिसलदार सत्य नारायण मिश्रा बताते हैं कि इस पहाड़ी पर सन 1216 में महोबा के राजा परमदेव ने छोटा सा मंदिर बनवाया था. बताया जाता है कि उस समय आल्हा-ऊदल भी यहां आए थे. इसके अलावा झांसी की रानी की कुलदेवी का मंदिर भी रहा है.

Intro:समरी - झांसी कैंट में स्थित मैमासन मंदिर को लगभग एक हज़ार साल पुराना बताया जाता है। सन 1216 में महोबा के राजा परमदेव ने यहां मंदिर बनवाया था। बाद में 1952 में भारतीय सेना ने इसका जीर्णोद्धार कराया और देखरेख की जिम्मेदारी उठाई।

झांसी. कैंट क्षेत्र में स्थित मैमासन माता का मंदिर सिद्धपीठ माना जाता है। एक हज़ार साल पुराने इस मंदिर की देखरेख की जिम्मेदारी इस समय सेना ने संभाल रखी है। बताया जाता है कि अंग्रेजों की सेना ने 1857 में झांसी में हुए विद्रोह के समय जनरल रोज के साथ इस पहाड़ी पर सैनिक पड़ाव डाला था। पहाड़ी पर पहले एक छोटा मंदिर हुआ करता था जिसका बाद में भारतीय सेना ने जीर्णोद्धार कराया।


Body:यह है मैमासन मंदिर की कहानी

कैंट में स्थित मैमासन मंदिर बेहद प्राचीन मंदिर है। ऐसा माना जाता है कि कैमासन और मैमासन गडरिये की दो बालिकाएं भेड़-बकरी चरा रही थीं। कुछ दुष्ट प्रवृत्ति के लोगों ने उन पर बुरी नजर डालते हुए पीछा किया। मैमासन इस पहाड़ी पर आकर धरती में समा गई। जब आतताई चले गए तो तीन दिन बाद मैमासन बाहर निकली। मैमासन ने शादी न करने का संकल्प लिया और यहीं पर तप करने लगीं।

तप के कारण बना सिद्धपीठ

धर्म के जानकार बताते हैं कि मैमासन की तपस्या के कारण यह मैमासन का सिद्धपीठ मंदिर बन गया। दूसरी बहन मैमासन से कुछ दूर विश्वविद्यालय के निकट पहाड़ी पर स्थित हैं। कैमासन बड़ी बहन थी और वर्तमान में उनका मंदिर विश्वविद्यालय के पास पहाड़ी पर स्थित है।


Conclusion:झांसी की रानी की कुलदेवी

मंदिर के पुजारी सेना के रिसलदार सत्य नारायण मिश्रा बताते हैं कि इस पहाड़ी पर साल 1216 में महोबा के राजा परमदेव ने छोटा सा मंदिर बनवाया था। बताया जाता है कि उस समय आल्हा-ऊदल भी यहां आए थे। इसके अलावा झांसी की रानी का कुलदेवी मंदिर भी यहां रहा है।

बाइट - रिसलदार सत्य नारायण मिश्रा - मंदिर के पुजारी

लक्ष्मी नारायण शर्मा
झांसी
9454013045
Last Updated : Oct 6, 2019, 11:32 AM IST
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