ETV Bharat / state

तेल के पेड़-पौधों की खेती को बढ़ावा देने के लिए हुआ सेमिनार

झांसी जिले में नेशनल फ्रूड सिक्योरिटी मिशन-टीबीओ मिनीमिशन के तहत वृक्ष जनित तेल कार्यक्रम पर सेमिनार आयोजित हुआ.

सेमिनार आयोजित
सेमिनार आयोजित
author img

By

Published : Jan 16, 2021, 11:02 PM IST

झांसी: दीनदयाल उपाध्याय सभागार में आयोजित नेशनल फ्रूड सिक्योरिटी मिशन-टीबीओ मिनीमिशन के तहत वृक्ष जनित तेल कार्यक्रम पर सेमिनार आयोजित किया गया. इसमें अफसरों और कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को इस नए प्रयोग के लिए प्रेरित किया. किसानों को जैविक दलहन और तिलहन के साथ ही वृक्ष जनित तेल वाले पेड़ भी लगाने चाहिए.

नीम का पेड़ औषधीय गुणों से भरपूर
मुख्य विकास अधिकारी शैलेष कुमार ने कहा कि किसान खेती के साथ वृक्ष जनित तेल वाले पेड़ पर फोकस करें. क्योंकि ऐसे वृक्ष बुन्देलखण्ड क्षेत्र में लम्बे समय तक जीवित रहते हैं. लगातार आय वृद्वि में सहायक होते हैं. नीम का पेड़ औषधीय गुणों से भरपूर है. आज की आधुनिक खेती में इसका प्रयोग कम हो जाने से फसल और मृदा को नुकसान हो रहा है.

अण्डी का पेड़ किसान के लिए हितकारी
सेमिनार में वैज्ञानिक डाॅ पीके सोनी ने बताया कि नीम और अण्डी के पेड़ बेहद हितकारी और लाभकारी होते हैं. यदि किसान अपने खेत की मेड़ पर अण्डी का पेड़ लगा लें, तो इससे खेत सुरक्षित रहेगा और फसल भी कीटों से सुरक्षित रहेगी. इसके साथ ही अण्डी के तेल को बेचकर किसान अतिरिक्त लाभ ले सकते हैं. वैज्ञानिक शोध से यह स्पष्ट है कि चने के साथ अलसी की बुवाई की जाए, तो चने में उक्टा नहीं लगता. अलसी की फसल में अति वर्षा और ओलावृष्टि से भी नुकसान नहीं होता है. अलसी खाने से 52 बीमारियों से बचा जा सकता है.

केन्द्रीय कृषि वानिकी अनुसंधान संस्थान के डाॅ हदयेश अनुरागी ने बताया कि भारत आज भी तेल के लिए दूसरे देशों पर निर्भर है. बहुत सारा तेल हर साल आयात करता है. बुन्देलखण्ड क्षेत्र में परम्परागत पेड़ जैसे नीम, महुआ आदि और गैर परम्परागत पेड़ जैसे रतनजोत, करंज आदि का बहुत स्कोप है. इसमें तेल के अलावा और भी उत्पाद मिलते हैं, जिनका उपयोग कॉस्मेटिक, जैव ईधन और मेडिसिन उद्योग में बहुत है.

झांसी: दीनदयाल उपाध्याय सभागार में आयोजित नेशनल फ्रूड सिक्योरिटी मिशन-टीबीओ मिनीमिशन के तहत वृक्ष जनित तेल कार्यक्रम पर सेमिनार आयोजित किया गया. इसमें अफसरों और कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को इस नए प्रयोग के लिए प्रेरित किया. किसानों को जैविक दलहन और तिलहन के साथ ही वृक्ष जनित तेल वाले पेड़ भी लगाने चाहिए.

नीम का पेड़ औषधीय गुणों से भरपूर
मुख्य विकास अधिकारी शैलेष कुमार ने कहा कि किसान खेती के साथ वृक्ष जनित तेल वाले पेड़ पर फोकस करें. क्योंकि ऐसे वृक्ष बुन्देलखण्ड क्षेत्र में लम्बे समय तक जीवित रहते हैं. लगातार आय वृद्वि में सहायक होते हैं. नीम का पेड़ औषधीय गुणों से भरपूर है. आज की आधुनिक खेती में इसका प्रयोग कम हो जाने से फसल और मृदा को नुकसान हो रहा है.

अण्डी का पेड़ किसान के लिए हितकारी
सेमिनार में वैज्ञानिक डाॅ पीके सोनी ने बताया कि नीम और अण्डी के पेड़ बेहद हितकारी और लाभकारी होते हैं. यदि किसान अपने खेत की मेड़ पर अण्डी का पेड़ लगा लें, तो इससे खेत सुरक्षित रहेगा और फसल भी कीटों से सुरक्षित रहेगी. इसके साथ ही अण्डी के तेल को बेचकर किसान अतिरिक्त लाभ ले सकते हैं. वैज्ञानिक शोध से यह स्पष्ट है कि चने के साथ अलसी की बुवाई की जाए, तो चने में उक्टा नहीं लगता. अलसी की फसल में अति वर्षा और ओलावृष्टि से भी नुकसान नहीं होता है. अलसी खाने से 52 बीमारियों से बचा जा सकता है.

केन्द्रीय कृषि वानिकी अनुसंधान संस्थान के डाॅ हदयेश अनुरागी ने बताया कि भारत आज भी तेल के लिए दूसरे देशों पर निर्भर है. बहुत सारा तेल हर साल आयात करता है. बुन्देलखण्ड क्षेत्र में परम्परागत पेड़ जैसे नीम, महुआ आदि और गैर परम्परागत पेड़ जैसे रतनजोत, करंज आदि का बहुत स्कोप है. इसमें तेल के अलावा और भी उत्पाद मिलते हैं, जिनका उपयोग कॉस्मेटिक, जैव ईधन और मेडिसिन उद्योग में बहुत है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.