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झांसी एनकाउंटर के बाद यूपी पुलिस को अंतर्मंथन की जरूरत: पूर्व पुलिस महानिदेशक

उत्तर प्रदेश के झांसी में पुष्पेंद्र यादव नाम के युवक की कथित मुठभेड़ में हत्या के बाद यूपी पुलिस सवालों के कटघरे में खड़ी हो गई है. वहीं पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने इस मुद्दे पर कहा कि झांसी एनकाउंटर करने की कोई जरूरत नहीं थी, इसकी जगह गैंगस्टर एक्ट भी लगाया जा सकता था.

विक्रम सिंह, पूर्व डीजीपी
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Published : Oct 12, 2019, 1:22 AM IST

झांसी: जिले में पुष्पेंद्र यादव नाम के युवक की कथित मुठभेड़ में हत्या के बाद यूपी पुलिस सवालों के कटघरे में आ खड़ी हुई है. इस पर ईटीवी भारत ने उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह से बात की जिन्होंने कहा कि यूपी पुलिस द्वारा किया गया यह पहला एनकाउंटर नहीं है, जिस पर उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं.

विक्रम सिंह, पूर्व डीजीपी

यूपी पुलिस का कहना है कि अब वक्त आ गया है जब यूपी पुलिस के आईजी लेवल के आला अधिकारियों को अंतर्मंथन करना चाहिए. उन्हें यह देखना होगा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि यूपी पुलिस के निचले स्तर के अधिकारियों द्वारा सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा स्पष्ट और निर्भीक निर्देशों का दुरुपयोग हो रहा है.

वहीं विक्रम सिंह ने कहा कि झांसी एनकाउंटर में जो मुख्य सवाल खड़े होते हैं, वह यह है कि निरीक्षक यह कहता है कि जिस समय यह हादसा हुआ वह एक सिपाही के साथ गश्त कर रहा था, लेकिन सिर्फ एक पुलिस वाले के साथ कैसे गश्त किया जा सकता है. क्या यूपी पुलिस की गश्त करने की परंपरा बदल चुकी है.

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था, जिसमें कहा गया था कि ऐसी मुठभेड़ के बाद मजिस्ट्रेट लेवल की जांच के साथ पोस्टमार्टम कराया जाए. वहीं अगर पीड़ित परिवार एफआईआर कराता है तो उसका तुरंत पंजीकरण और उसकी विवेचना या तो सीबी सीआईडी लखनऊ या किसी अन्य थाने से होनी चाहिए, जिसमें एनकाउंटर की गई पुलिस टीम का कोई भी व्यक्ति न हो.

इसे भी पढ़ें- अखिलेश ने पूछा, बिना परमिशन पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र से कब उड़ेंगे पीएम और राष्ट्रपति

उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी का कहना है कि यूपी में सीएम योगी आदित्यनाथ के आने के बाद प्रदेश की पुलिस में सक्रियता तो आई है, लेकिन इसी दौरान शातिर अपराधियों का एनकाउंटर करने में कुछ ऐसे लोगों का एनकाउंटर भी हो गया जो निर्दोष है. उन्होंने कहा कि यही समय है जब यूपी पुलिस के अधिकारियों को आत्ममंथन करना चाहिए और यह उनके लिए स्वर्णिम अवसर है जब सीएम योगी आदित्यनाथ के आने के बाद वह अपने पुराने पाप धो लें.

विक्रम सिंह ने कहा कि झांसी एनकाउंटर करने की कोई जरूरत नहीं थी, इसकी जगह गैंगस्टर एक्ट भी लगाया जा सकता था. उन्होंने कहा कि एनकाउंटर होने के बाद जनता में हर्ष की लहर दौड़ पड़ती है, लेकिन इस एनकाउंटर में ऐसा कुछ नहीं हुआ उल्टा पुलिस पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं.

बता दें कि पुष्पेंद्र यादव के पास दो ट्रक थे, जिनसे वह बालू और गिट्टी की धुलाई करता था. पुष्पेंद्र पर पुलिस ने आरोप लगाया है कि बीते शनिवार की रात नोट थाने के इंस्पेक्टर धर्मेंद्र सिंह चौहान पर हमला करने के बाद उनकी कार लूट कर भाग रहा था, जिसके चलते अगली सुबह पुलिस ने एक मुठभेड़ में कथित तौर पर मार दिया था.

झांसी: जिले में पुष्पेंद्र यादव नाम के युवक की कथित मुठभेड़ में हत्या के बाद यूपी पुलिस सवालों के कटघरे में आ खड़ी हुई है. इस पर ईटीवी भारत ने उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह से बात की जिन्होंने कहा कि यूपी पुलिस द्वारा किया गया यह पहला एनकाउंटर नहीं है, जिस पर उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं.

विक्रम सिंह, पूर्व डीजीपी

यूपी पुलिस का कहना है कि अब वक्त आ गया है जब यूपी पुलिस के आईजी लेवल के आला अधिकारियों को अंतर्मंथन करना चाहिए. उन्हें यह देखना होगा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि यूपी पुलिस के निचले स्तर के अधिकारियों द्वारा सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा स्पष्ट और निर्भीक निर्देशों का दुरुपयोग हो रहा है.

वहीं विक्रम सिंह ने कहा कि झांसी एनकाउंटर में जो मुख्य सवाल खड़े होते हैं, वह यह है कि निरीक्षक यह कहता है कि जिस समय यह हादसा हुआ वह एक सिपाही के साथ गश्त कर रहा था, लेकिन सिर्फ एक पुलिस वाले के साथ कैसे गश्त किया जा सकता है. क्या यूपी पुलिस की गश्त करने की परंपरा बदल चुकी है.

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था, जिसमें कहा गया था कि ऐसी मुठभेड़ के बाद मजिस्ट्रेट लेवल की जांच के साथ पोस्टमार्टम कराया जाए. वहीं अगर पीड़ित परिवार एफआईआर कराता है तो उसका तुरंत पंजीकरण और उसकी विवेचना या तो सीबी सीआईडी लखनऊ या किसी अन्य थाने से होनी चाहिए, जिसमें एनकाउंटर की गई पुलिस टीम का कोई भी व्यक्ति न हो.

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उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी का कहना है कि यूपी में सीएम योगी आदित्यनाथ के आने के बाद प्रदेश की पुलिस में सक्रियता तो आई है, लेकिन इसी दौरान शातिर अपराधियों का एनकाउंटर करने में कुछ ऐसे लोगों का एनकाउंटर भी हो गया जो निर्दोष है. उन्होंने कहा कि यही समय है जब यूपी पुलिस के अधिकारियों को आत्ममंथन करना चाहिए और यह उनके लिए स्वर्णिम अवसर है जब सीएम योगी आदित्यनाथ के आने के बाद वह अपने पुराने पाप धो लें.

विक्रम सिंह ने कहा कि झांसी एनकाउंटर करने की कोई जरूरत नहीं थी, इसकी जगह गैंगस्टर एक्ट भी लगाया जा सकता था. उन्होंने कहा कि एनकाउंटर होने के बाद जनता में हर्ष की लहर दौड़ पड़ती है, लेकिन इस एनकाउंटर में ऐसा कुछ नहीं हुआ उल्टा पुलिस पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं.

बता दें कि पुष्पेंद्र यादव के पास दो ट्रक थे, जिनसे वह बालू और गिट्टी की धुलाई करता था. पुष्पेंद्र पर पुलिस ने आरोप लगाया है कि बीते शनिवार की रात नोट थाने के इंस्पेक्टर धर्मेंद्र सिंह चौहान पर हमला करने के बाद उनकी कार लूट कर भाग रहा था, जिसके चलते अगली सुबह पुलिस ने एक मुठभेड़ में कथित तौर पर मार दिया था.

Intro:नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के झांसी में पुष्पेंद्र यादव नाम के युवक की कथित मुठभेड़ में हत्या के बाद यूपी पुलिस सवालों के कटघरे में आ खड़ी हुई है। इस पर ईटीवी भारत ने उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह से बात की जिन्होंने कहा कि यूपी पुलिस द्वारा किया गया यह पहला एनकाउंटर नहीं है जिस पर उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है जब यूपी पुलिस के आईजी लेवल के आला अधिकारियों को अंतर्मंथन करना चाहिए। उन्हें यह देखना होगा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि यूपी पुलिस के निचले स्तर के अधिकारियों द्वारा सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा स्पष्ट और निर्भीक निर्देशों का दुरुपयोग हो रहा है ।


Body:विक्रम सिंह ने कहा कि झांसी एनकाउंटर में जो मुख्य सवाल खड़े होते हैं वह यह है कि निरीक्षक यह कहता है कि जिस समय यह हादसा हुआ वह एक सिपाही के साथ गश्त कर रहा था लेकिन सिर्फ एक पुलिस वाले के साथ कैसे गश्त किया जा सकता है, क्या यूपी पुलिस की गश्त करने की परंपरा बदल चुकी है।

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था जिसमें कहा गया था कि ऐसी मुठभेड़ के बाद मजिस्ट्रेट लेवल की जांच के साथ पोस्टमार्टम और यदि पीड़ित परिवार एफआईआर कराता है तो उसका तुरंत पंजीकरण और उसकी विवेचना या तो सीबी सीआईडी लखनऊ या किसी अन्य थाने से होनी चाहिए जिसमें एनकाउंटर की गई पुलिस टीम का कोई भी व्यकित न हो।




Conclusion:उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी का कहना है कि यूपी में सीएम योगी आदित्यनाथ के आने के बाद प्रदेश की पुलिस में सक्रियता तो आई है लेकिन इसी दौरान शातिर अपराधियों का एनकाउंटर करने में कुछ ऐसे लोगों का अन काउंटर भी हो गया जो निर्दोष है। उन्होंने कहा कि यही समय है जब यूपी पुलिस के अधिकारियों को आत्ममंथन करना चाहिए और यह उनके लिए स्वर्णिम अवसर है जब सीएम योगी आदित्यनाथ के आने के बाद वह अपने पुराने पाप धो लें।

विक्रम सिंह ने कहा कि झांसी एनकाउंटर करने की कोई जरूरत नहीं थी, इसकी वजह गैंगस्टर एक्ट भी लगाया जा सकता था।
उन्होंने कहा कि एनकाउंटर होने के बाद जनता में हर्ष की लहर दौड़ पड़ती है लेकिन इस एनकाउंटर में ऐसा कुछ नहीं हुआ उल्टा पुलिस पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं।

बता दें कि पुष्पेंद्र यादव के पास दो ट्रक थे जिनसे वह बालू और गिट्टी की धुलाई करता था। पुष्पेंद्र पर पुलिस ने आरोप लगाया है कि बीते शनिवार की रात वह नोट थाने के इंस्पेक्टर धर्मेंद्र सिंह चौहान पर हमला करने के बाद उनकी कार लूट कर भाग रहा था जिसके चलते अगली सुबह पुलिस ने एक मुठभेड़ में कथित तौर पर मार दिया था।
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