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किसान हलकान, क्रय केंद्रों पर नहीं बिक रहा धान - झांसी में क्रय केंद्र नहीं खरीद रहे धान

यूपी के झांसी में किसानों का धान एमएसपी पर नहीं बिक रहा है. किसानों का धान मंडी में पड़े-पड़े सड़ रहा है. किसानों के साथ हो रहे इस व्यवहार को लेकर किसान रक्षा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने नए कृषि कानून पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि किसानों पर नए कानून की मार पड़ने लगी है.

मंडी में पड़ा किसानों का धान.
मंडी में पड़ा किसानों का धान.
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Published : Nov 14, 2020, 4:02 PM IST

झांसीः जनपद में धान उपजाने वाले किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ नहीं मिल पा रहा है. एमएसपी 1868 रुपये प्रति क्विंटल होने के बावजूद किसानों को एक हजार से 1400 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से आढ़तियों और व्यापारियों को धान बेचना पड़ रहा है. किसान रक्षा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष गौरी शंकर विदुआ ने कहा कि नए कृषि कानून में एमएसपी की गारंटी न होने से किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है.

क्रय केंद्रों पर सरकारी अधिकारी नहीं खरीद रहे धान.

आढ़तिये खरीद रहे धान
धान उत्पादक किसान कुलदीप बताते हैं कि किसानों को धान की कीमत नहीं मिल पा रही है. लागत ज्यादा है, आय कम है. धान केंद्रों पर धान नहीं खरीदा जा रहा है. यहां बोली लगती है और बिक्री होती है. सरकारी केंद्र को लेकर किसी तरह की कोई जानकारी नहीं मिल रही है. हमे तेरह सौ से पंद्रह सौ में धान बाहर के लोगों को बेचना पड़ता है.

अधिकारियों पर बहानेबाजी का आरोप
किसान रक्षा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष गौरी शंकर विदुआ कहते हैं कि कृषि से जुड़े तीन अध्यादेशों के लागू होने का असर दिखने लगा है. एमएसपी अनिवार्य नहीं करने के नतीजे सामने आने लगे हैं. धान का भाव साढ़े अठारह सौ के लगभग है लेकिन यह तेरह सौ से कम में बिक रहा है. सरकार एमएसपी पर खरीद ही नहीं कर रही है. अधिकारी बहाने बना रहे हैं. जो आढ़तिये खरीद रहे हैं, उनसे खरीद कर कोटा पूरा करेंगे.

झांसीः जनपद में धान उपजाने वाले किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ नहीं मिल पा रहा है. एमएसपी 1868 रुपये प्रति क्विंटल होने के बावजूद किसानों को एक हजार से 1400 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से आढ़तियों और व्यापारियों को धान बेचना पड़ रहा है. किसान रक्षा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष गौरी शंकर विदुआ ने कहा कि नए कृषि कानून में एमएसपी की गारंटी न होने से किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है.

क्रय केंद्रों पर सरकारी अधिकारी नहीं खरीद रहे धान.

आढ़तिये खरीद रहे धान
धान उत्पादक किसान कुलदीप बताते हैं कि किसानों को धान की कीमत नहीं मिल पा रही है. लागत ज्यादा है, आय कम है. धान केंद्रों पर धान नहीं खरीदा जा रहा है. यहां बोली लगती है और बिक्री होती है. सरकारी केंद्र को लेकर किसी तरह की कोई जानकारी नहीं मिल रही है. हमे तेरह सौ से पंद्रह सौ में धान बाहर के लोगों को बेचना पड़ता है.

अधिकारियों पर बहानेबाजी का आरोप
किसान रक्षा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष गौरी शंकर विदुआ कहते हैं कि कृषि से जुड़े तीन अध्यादेशों के लागू होने का असर दिखने लगा है. एमएसपी अनिवार्य नहीं करने के नतीजे सामने आने लगे हैं. धान का भाव साढ़े अठारह सौ के लगभग है लेकिन यह तेरह सौ से कम में बिक रहा है. सरकार एमएसपी पर खरीद ही नहीं कर रही है. अधिकारी बहाने बना रहे हैं. जो आढ़तिये खरीद रहे हैं, उनसे खरीद कर कोटा पूरा करेंगे.

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