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झांसी: कभी लूटपाट और अवैध शराब के लिए बदनाम था यह गांव, युवकों ने क्रिकेट से बदल दी पहचान

उत्तर प्रदेश के झांसी के दातार नगर परवई गांव ने क्रिकेट के माध्यम से एक अलग पहचान बनाई है. यहां के लड़कों ने टीम अब तक 50 से ज्यादा टूर्नामेंट जीते हैं.

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50 से ज्यादा टूर्नामेंट जीत चुकि है दातार क्लब परवई.
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Published : Jan 11, 2020, 2:09 PM IST

झांसी: एक समय पर अवैध शराब के कारोबार और लूटपाट की घटनाओं के लिए बदनाम रहा दातार नगर परवई गांव आज एक अलग मुकाम पर है. पहले जहां लोग अपना जीवनयापन करने के लिए लूटपाट का सहारा लेते थे आज वहां के लड़कों ने क्रिकेट की एक टीम बनाकर कई पदक जीते हैं.

जीत चुके हैं 50 से ज्यादा टूर्नामेंट
लकड़ी के बल्ले और रबड़ की गेंद से शुरू हुई प्रैक्टिस से आज यह टीम बुन्देलखण्ड की मजबूत टीमों में शुमार है. अब तक यह टीम 50 से ज्यादा टूर्नामेंट जीत चुकी है. पद्म भूषण डॉ. वृंदावन लाल वर्मा लीग क्रिकेट प्रतियोगिता, तालबेहट प्रीमियर लीग ट्वेंटी-ट्वेंटी सहित बहुत सारे टूर्नामेंट जीतने के साथ ही हर टूर्नामेंट में इस टीम ने अपनी धमक दर्ज कराई है.

50 से ज्यादा टूर्नामेंट जीत चुकि है दातार क्लब परवई.

टीम में सोलह खिलाड़ी हैं और सभी कबूतरा समाज से ताल्लुक रखते हैं. टीम में पंद्रह खिलाड़ी रूपेश कबूतरा, नरेंद्र कुमार, रंजीत सिंह, जितेंद्र कबूतरा, प्रदीप कुमार प्रथम, प्रदीप कुमार द्वितीय, प्रदीप कुमार तृतीय, धर्मेंद्र कुमार, सोनू, अभिषेक, रिंकू कबूतरा, अंकेश, जीतू, दिनेश और अंकित शामिल हैं.

देश भर में खेल चुके हैं क्रिकेट
टीम के कैप्टन रूपेश कबूतरा बताते हैं कि साल 2001 से 2003 के बीच यह टीम बनी थी. पहले सभी लोग टेनिस बाल से गांव में खेलते थे. बाद में रुचि जागी और लड़कों ने लीग में एंट्री की सोची. अभी तक भारत के पंजाब, मणिपुर, नागालैंड, राजस्थान सहित उत्तर प्रदेश के कानपुर, हमीरपुर, बांदा, इलाहाबाद जैसे कई जगहों पर यह टीम खेल चुकि है.

आपराधिक घटनाओं से थी गांव की पहचान
दातार नगर परवई गांव की पहचान लंबे समय तक अवैध शराब के निर्माण और बिक्री के लिए थी. यहां कंजड़ जाति के लोग अवैध शराब बनाने और बेचने का काम करते थे. इन्हें झांसी और आसपास के क्षेत्रों में कबूतरा समुदाय के नाम से भी जाना जाता है. यहां के लोग बताते हैं कि पूर्व में गांव के लोग लूटपाट कर अपना पेट पालते थे. बाद में अवैध शराब बनाने के काम मे लग गए. कुछ वर्षों से गांव में लोगों ने पढ़ाई-लिखाई की ओर ध्यान दिया तो बदलाव दिखाई देने लगा.

लोग कर रहे हैं मदद
दातार क्लब परवई टीम के उप कप्तान नरेंद्र कुमार बताते हैं कि समाज के पास कोई काम नहीं था, इसलिए लूट, डकैती जैसी घटनाओं में शामिल रहते थे. लोगों के पास कोई जरिया नहीं था, जिससे भरण पोषण हो सके. पहले तो रेस्पॉन्स ठीक नहीं था, जिसके कारण पुराना काम करने को कहा जाता था. अब सभी लोग सपोर्ट करते हैं.

बदल रही है गांव की पहचान
परवई गांव के रहने वाले बबलू कहते हैं कि पहले खाने को नहीं था तो यहां के लोग लूटपाट करते थे. थोड़ा बहुत शराब बनाने का काम करने लगे. थोड़ा सक्षम हुए तो बच्चों को पढ़ाने लगे. अब बड़े-बड़े लोग यहां आते हैं. ये लड़के खेलने लगे तो गांव का नाम होने लगा है.

झांसी: एक समय पर अवैध शराब के कारोबार और लूटपाट की घटनाओं के लिए बदनाम रहा दातार नगर परवई गांव आज एक अलग मुकाम पर है. पहले जहां लोग अपना जीवनयापन करने के लिए लूटपाट का सहारा लेते थे आज वहां के लड़कों ने क्रिकेट की एक टीम बनाकर कई पदक जीते हैं.

जीत चुके हैं 50 से ज्यादा टूर्नामेंट
लकड़ी के बल्ले और रबड़ की गेंद से शुरू हुई प्रैक्टिस से आज यह टीम बुन्देलखण्ड की मजबूत टीमों में शुमार है. अब तक यह टीम 50 से ज्यादा टूर्नामेंट जीत चुकी है. पद्म भूषण डॉ. वृंदावन लाल वर्मा लीग क्रिकेट प्रतियोगिता, तालबेहट प्रीमियर लीग ट्वेंटी-ट्वेंटी सहित बहुत सारे टूर्नामेंट जीतने के साथ ही हर टूर्नामेंट में इस टीम ने अपनी धमक दर्ज कराई है.

50 से ज्यादा टूर्नामेंट जीत चुकि है दातार क्लब परवई.

टीम में सोलह खिलाड़ी हैं और सभी कबूतरा समाज से ताल्लुक रखते हैं. टीम में पंद्रह खिलाड़ी रूपेश कबूतरा, नरेंद्र कुमार, रंजीत सिंह, जितेंद्र कबूतरा, प्रदीप कुमार प्रथम, प्रदीप कुमार द्वितीय, प्रदीप कुमार तृतीय, धर्मेंद्र कुमार, सोनू, अभिषेक, रिंकू कबूतरा, अंकेश, जीतू, दिनेश और अंकित शामिल हैं.

देश भर में खेल चुके हैं क्रिकेट
टीम के कैप्टन रूपेश कबूतरा बताते हैं कि साल 2001 से 2003 के बीच यह टीम बनी थी. पहले सभी लोग टेनिस बाल से गांव में खेलते थे. बाद में रुचि जागी और लड़कों ने लीग में एंट्री की सोची. अभी तक भारत के पंजाब, मणिपुर, नागालैंड, राजस्थान सहित उत्तर प्रदेश के कानपुर, हमीरपुर, बांदा, इलाहाबाद जैसे कई जगहों पर यह टीम खेल चुकि है.

आपराधिक घटनाओं से थी गांव की पहचान
दातार नगर परवई गांव की पहचान लंबे समय तक अवैध शराब के निर्माण और बिक्री के लिए थी. यहां कंजड़ जाति के लोग अवैध शराब बनाने और बेचने का काम करते थे. इन्हें झांसी और आसपास के क्षेत्रों में कबूतरा समुदाय के नाम से भी जाना जाता है. यहां के लोग बताते हैं कि पूर्व में गांव के लोग लूटपाट कर अपना पेट पालते थे. बाद में अवैध शराब बनाने के काम मे लग गए. कुछ वर्षों से गांव में लोगों ने पढ़ाई-लिखाई की ओर ध्यान दिया तो बदलाव दिखाई देने लगा.

लोग कर रहे हैं मदद
दातार क्लब परवई टीम के उप कप्तान नरेंद्र कुमार बताते हैं कि समाज के पास कोई काम नहीं था, इसलिए लूट, डकैती जैसी घटनाओं में शामिल रहते थे. लोगों के पास कोई जरिया नहीं था, जिससे भरण पोषण हो सके. पहले तो रेस्पॉन्स ठीक नहीं था, जिसके कारण पुराना काम करने को कहा जाता था. अब सभी लोग सपोर्ट करते हैं.

बदल रही है गांव की पहचान
परवई गांव के रहने वाले बबलू कहते हैं कि पहले खाने को नहीं था तो यहां के लोग लूटपाट करते थे. थोड़ा बहुत शराब बनाने का काम करने लगे. थोड़ा सक्षम हुए तो बच्चों को पढ़ाने लगे. अब बड़े-बड़े लोग यहां आते हैं. ये लड़के खेलने लगे तो गांव का नाम होने लगा है.

Intro: झांसी. जनपद का दातार नगर परवई गांव लम्बे समय तक अवैध शराब के कारोबार और लूटपाट की घटनाओं के लिए बदनाम रहा है। आलम यह था कि गांव में पुलिस की टीम भी छापेमारी के लिए जाने से बचती थी। इन सबके बीच कुछ वर्षों पहले गांव के कुछ युवकों ने एक नई कहानी की शुरुआत की। गांव के लड़कों ने क्रिकेट की एक टीम बनाई और लकड़ी के बल्ले व रबड़ की गेंद से शुरू हुई प्रैक्टिस से आज यह टीम इस समय बुन्देलखण्ड की मजबूत टीमों में शुमार है।


Body:देश भर में खेल चुके हैं क्रिकेट

टीम के कैप्टन रूपेश कबूतरा बताते हैं कि साल 2001 से 2003 के बीच यह टीम बनी थी। पहले सभी लोग टेनिस बाल से गांव में खेलते थे। बाद में रुचि जागी और लड़कों ने लीग में एंट्री की सोची। अभी तक भारत के हर हिस्से में खेलने जा चुके हैं। पंजाब, मणिपुर, नागालैंड, राजस्थान सहित उत्तर प्रदेश के कानपुर, हमीरपुर, बांदा, इलाहाबाद, चित्रकूट और अन्य जगह जाकर खेल चुके हैं।


आपराधिक घटनाओं से थी गांव की पहचान

दातार नगर परवई गांव की पहचान लम्बे समय तक अवैध शराब के निर्माण और बिक्री के लिए थी। यहां कंजड़ जाति के लोग अवैध शराब बनाने और बेचने का काम करते थे। इन्हें झांसी और आसपास के क्षेत्रों में कबूतरा समुदाय के नाम से भी जाना जाता है। यहां के लोग बताते हैं कि पूर्व में गांव के लोग लूट पाट कर अपना पेट पालते थे। बाद में अवैध शराब बनाने के काम मे लग गए। कुछ वर्षों से गाँव में लोगों ने पढ़ाई-लिखाई की ओर ध्यान दिया तो बदलाव दिखाई देने लगा।

लोग कर रहे हैं मदद

दातार क्लब परवई टीम के उप कप्तान नरेंद्र कुमार बताते हैं कि समाज के पास कोई काम नहीं था, इसलिए लूट, डकैती आदि घटनाओं में शामिल रहते थे। कोई जरिया नहीं था, जिससे भरण पोषण हो सके। पहले तो रेस्पॉन्स ठीक नहीं था। पुराना काम करने को कहा जाता था। अब सभी लोग सपोर्ट करते हैं।


Conclusion:जीत चुके हैं 50 से ज्यादा टूर्नामेंट

अब तक यह टीम 50 से ज्यादा टूर्नामेंट जीत चुकी है। पद्म भूषण डॉ वृंदावन लाल वर्मा लीग क्रिकेट प्रतियोगिता, तालबेहट प्रीमियर लीग ट्वेंटी-ट्वेंटी, नरेंद्र सिंह जूदेव स्मृति टूर्नामेंट सरीला राठ, टीवीएस कप ललितपुर सहित बहुत सारे टूर्नामेंट जीतने के साथ ही हर टूर्नामेंट में यह टीम अपनी धमक दर्ज कराती है। टीम में सोलह खिलाड़ी हैं और सभी कबूतरा समाज से ताल्लुक रखते हैं। टीम में पंद्रह खिलाड़ी रूपेश कबूतरा, नरेंद्र कुमार, रंजीत सिंह, जितेंद्र कबूतरा, प्रदीप कुमार प्रथम, प्रदीप कुमार द्वितीय, प्रदीप कुमार तृतीय, धर्मेंद्र कुमार, सोनू, अभिषेक, रिंकू कबूतरा, अंकेश, जीतू, दिनेश और अंकित शामिल हैं।

बदल रही है गांव की पहचान

परवई गांव के रहने वाले बबलू कहते हैं कि पहले खाने को नहीं था तो यहां के लोग लूटपाट करते थे। थोड़ा बहुत शराब बनाने का काम करने लगे। थोड़ा सक्षम हुए तो बच्चों को पढ़ाने लगे। अब बड़े-बड़े लोग यहां आते हैं। ये लड़के खेलने लगे तो गांव का नाम होने लगा।

बाइट - रूपेश कबूतरा - कप्तान, दातार क्लब परवई
बाइट - नरेंद्र कुमार - उप कप्तान, दातार क्लब परवई
बाइट - बबलू - ग्रामीण, परवई गांव
पीटीसी


लक्ष्मी नारायण शर्मा
झांसी
9454013045

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