झांसी: महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान सहित अन्य राज्यों से उत्तर प्रदेश के प्रवासी मजदूर और अन्य कामगार हर रोज झांसी बॉर्डर से बड़ी संख्या में दिन-रात प्रवेश कर रहे हैं. औसतन दस हजार से अधिक लोग हर रोज बॉर्डर के माध्यम से उत्तर प्रदेश में प्रवेश कर रहे हैं.
झांसी-शिवपुरी बॉर्डर पर शुरुआती दौर में बड़ी संख्या में मजदूर पैदल आ रहे थे, लेकिन अब वे ट्रकों व अन्य साधनों से आ रहे हैं. जो लोग बॉर्डर पर उतर जा रहे हैं, उन्हें उनके गृह जनपद तक भेजने के लिए झांसी प्रशासन की ओर से बसें लगवाई गई हैं. वापसी कर रहे ज्यादातर लोग अपने घर-गृहस्थी का सामान और पत्नी-बच्चों तक को ट्रकों और लोडरों पर बैठाकर घर लौटने को मजबूर दिखाई दे रहे हैं.
वाहनों को घरों तक जाने की अनुमति
बॉर्डर पर आने वाले लोगों की एंट्री को लेकर शुरुआती दौर से ही हर रोज प्रशासन भ्रम की स्थिति में रहा है. शुरू में पैदल आ रहे मजदूर बेधड़क एंट्री करते रहे. बाद में उन्हें रोकने और ट्रकों से घर पहुंचाने की कवायद हुई. फिर उन्हें रोककर क्वारंटाइन किया जाने लगा. कुछ दिन पहले एमपी से आये लोगों को बसों से पूरे प्रदेश के जनपदों में भेजने की व्यवस्था हुई. बीच में बसें कम पड़ गईं. फिर श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई गई. अब वर्तमान स्थिति यह है कि अपने वाहन से आ रहे किसी भी प्रवासी को रोका नहीं जा रहा है, बल्कि जो लोग बार्डर तक किसी माध्यम से पहुंच जा रहे हैं, उन्हें उनके गृह जनपद तक पहुंचाने के लिए बसें लगवाई गई हैं.
महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान से आ रहे लोग
बॉर्डर पर जिस तरह से भीड़ की एंट्री हो रही है, उससे ऐसा लग रहा है कि आने वाले दिनों में सारे के सारे लोग घर वापसी कर जाएंगे. बॉर्डर के रास्ते वे लोग भी आ रहे हैं, जिन्हें बिहार या झारखंड जाना है. शिवपुरी से बस से बॉर्डर तक आये मनोज ने बताया कि उन्हें मेरठ जाना है. राजस्थान से चलकर बॉर्डर तक पहुंचे युवक ने बताया कि उसे बिहार के समस्तीपुर जाना है. इसी तरह बड़ी संख्या में महाराष्ट्र से आये लोग भी बॉर्डर पर आगे के लिए साधन का इंतजार करते दिखाई दे जाते हैं.
पूरे प्रदेश में लौट रहे प्रवासी
मुंबई से मऊ जा रहे युवक ने बताया कि यहां तक बस से आये हैं. किसी भी तरह का किराया नहीं लिया जा रहा है. लोगों ने बताया कि मुंबई के हालात खराब हैं. रोडवेज ड्राइवर पवन उपाध्याय ने बताया कि उनकी 28 मार्च से ड्यूटी लगी है.
बांदा, चित्रकूट, रायबरेली में काफी संख्या में हमने मजदूर पहुंचाये हैं. अधिकांश मजदूर महाराष्ट्र और गुजरात से आ रहे हैं. मुंबई से लोडर में 50 लोगों को लेकर सुलतानपुर जाते हुए राजेश यादव ने भी अपनी आपबीती बताई.
रोडवेज ने संभाली जिम्मेदारी
बॉर्डर पर प्रवासियों को बसों में बैठाने की जिम्मेदारी निभा रहे रोडवेज के बुकिंग क्लर्क श्याम सुंदर दुबे ने बताया कि शुरू में बहुत सारे लोग पैदल आ रहे थे. पूर्वांचल के जिलों के लोग सबसे ज्यादा आ रहे हैं. देवरिया, गोरखपुर, सिद्धार्थनगर, गाजीपुर, इलाहाबाद की सवारियां ज्यादा हैं. बसों के माध्यम से लगभग चार से साढ़े चार हजार आदमी हर रोज जा रहे हैं.