झांसी: कोरोना संक्रमण के शुरुआती दौर से लेकर अब तक सबसे अधिक चुनौती का सामना स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी और चिकित्सक कर रहे हैं. जिले के मेडिकल कॉलेज स्थित कोविड अस्पताल में तैनात डॉक्टर्स से लेकर अन्य एल-1 अस्पतालों में तैनात कई चिकित्सक और गैर चिकित्साकर्मी कोरोना की चपेट में आ चुके हैं. इन सबके बीच लगातार संक्रमितों की बढ़ती संख्या और उनके इलाज व देखभाल को जारी रख पाना बेहद चुनौती भरा काम है.
संक्रमण के बढ़ते मामले
जनपद में संक्रमण के लगातार बढ़ रहे मामले भी एक तरह से चुनौती साबित हो रहे हैं. मंगलवार 21 जुलाई तक झांसी जनपद में कोरोना संक्रमण के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 1344 हो चुकी है. इनमें से 436 मरीजों को डिस्चार्ज किया जा चुका है. वर्तमान में एक्टिव पॉजिटिव मामलों की संख्या 856 हैं, जिनका मेडिकल कॉलेज स्थित कोविड अस्पताल और अलग-अलग एल-1 अस्पतालों में इलाज चल रहा है. जनपद में अब तक 52 कोरोना संक्रमितों की मौत हो चुकी है.
डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ में संक्रमण
झांसी जनपद में अलग-अलग पदों पर तैनात मेडिकल और पैरामेडिकल स्टाफ कोरोना की चपेट में आ चुके हैं. जिला अस्पताल के निवर्तमान प्रमुख अधीक्षक डॉ. एमसी वर्मा को पिछले दिनों ब्रेन हैमरेज की शिकायत हुई और उनमें कोरोना की भी पुष्टि हुई. इसके साथ ही सीएमओ कार्यालय के एक अन्य डॉक्टर सहित चार डॉक्टरों में अलग-अलग समय में संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है. कोविड लैब में तैनात तकनीशियन में भी पिछले दिनों कोरोना की पुष्टि हुई, जिसके बाद लैब को संचालित कर पाना काफी मुश्किल साबित हो रहा था. इसके अलावा मेडिकल कॉलेज और रेलवे अस्पताल के भी कई मेडिकल और पैरामेडिकल स्टाफ संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं.
जिला अस्पताल में नॉन कोविड का इलाज
जिला अस्पताल में मुख्य रूप से नॉन कोविड मरीजों की जांच की जा रही है. मगर यहां शुरुआती दिनों में आइसोलेशन सेंटर बनाया गया था. वर्तमान में यहां कोविड के संदिग्ध मरीजों के सैंपल लिए जाने का काम किया जा रहा है. इसके साथ ही यहां कोविड को लेकर हेल्पडेस्क की भी स्थापना की गई है. जिला अस्पताल में नॉन कोविड मरीजों को इलाज की सुविधा देने और उन्हें भर्ती करने की व्यवस्था की गई है.
स्वास्थ्य महकमे के सामने चुनौतियां
स्वास्थ्य विभाग के अपर निदेशक डॉ. जे. के. गुप्ता ने ईटीवी भारत को बताया कि कोरोना संक्रमण के कारण समस्याएं बढ़ी हैं और स्वास्थ्य विभाग पर लोड बढ़ा है. डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ हमारा उतना ही था, जिस अनुपात में आबादी बढ़ी है. कुछ फ्रंटलाइन वर्कर्स, डॉक्टर्स, स्टाफ नर्सेस, वार्ड ब्यॉय, लैब टेक्नीशियन संक्रमित हुए हैं. संक्रमित होने पर इन्हें 14 दिन के लिए क्वारंटीन में भेजना पड़ता है.
मेडिकल और पैरामेडिकल स्टाफ को इंफेक्शन से बचाने की पूरी कोशिश की जाती है. उन्हें खास तरह का प्रशिक्षण दिया जाता है, ताकि वे संक्रमित न हो सकें. कुछ बीएएमएस डॉक्टर और अन्य विभागों के डॉक्टरों को जरूरत के मुताबिक ड्यूटी पर लगाते हैं.
बिना घबराए ड्यूटी निभाने पर
महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज में तैनात सिस्टर इंचार्ज जूलियट गिल ने ईटीवी भारत को बताया कि कोविड के शुरू होने से लेकर अब तक लेबर रूम डिपार्टमेंट लगातार चल रहा है. भले ही यहां आने वाले मरीज पॉजिटिव हों, निगेटिव हों या सस्पेक्टेड हों, पीपीई किट पहनकर उनका इलाज करते हैं. कोरोना के कारण हम अपना काम नहीं रोक सकते हैं. घबराने की जरूरत नहीं है और खुद को सुरक्षित रखते हुए काम करते रहना है.
क्वारंटाइन होने के लिए होटल उपलब्ध कराया जा रहा है. 14 दिन ड्यूटी के बाद 14 दिन क्वारंटीन के लिए होटल उपलब्ध कराया जा रहा है. ड्यूटी में लगी कई स्टाफ नर्सें हैं जो घर से बाहर 14 दिन रहती हैं और लगातार ड्यूटी दे रही हैं. परिस्थिति कैसी भी हो, नर्सों को बिना घबराए डटकर काम करना है.