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किसानों के लिए मुसीबत साबित हो रहे आवारा गोवंश, गोशालाओं पर उठ रहे सवाल

यूपी के झांसी में किसानों के आवारा पशु खासी मुसीबत साबित हो रहे हैं. आलम यह हो गया है कि किसानों को रात-रात भर जागकर फसल की सुरक्षा करनी पड़ रही है.

मुसीबत साबित हो रहे आवारा गोवंश
मुसीबत साबित हो रहे आवारा गोवंश
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Published : Jan 19, 2021, 5:40 AM IST

Updated : Jan 19, 2021, 8:31 AM IST

झांसी: आवारा गोवंशो के कारण जनपद के किसानों को खेती करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. झांसी जनपद में किसी तरह किसानों ने खेतों में बुवाई तो कर ली है, लेकिन अब फसलों की रखवाली करना मुश्किल हो रहा है. गोवंशों के लिए बनी अधिकांश गोशालाएं बदहाली की चपेट में हैं. हालात यह है कि जनपद के कई हिस्सों में किसानों को रात-रात भर जागकर फसल की रखवाली करनी पड़ रही है.

सियासी मुद्दा बने गोवंश
गोवंशों की मौत और उनसे फसलों को होने वाले नुकसान को लेकर कांग्रेस पार्टी ने इस मसले पर दिसम्बर महीने में बड़ा आंदोलन किया था. झांसी सहित पूरे बुन्देलखण्ड में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू और पार्टी नेताओं ने इस मसले पर सरकार को घेरने की कोशिश की. विपक्षी दल लगातार इस बात के आरोप लगाते रहे हैं कि गोशालाओं का प्रबंधन बेहतर न होने से किसान और गोवंश दोनों का नुकसान हो रहा है.

फसलों को हो रहा नुकसान
आवारा गोवंशों से फसलों को होने वाले नुकसान की एक बानगी झांसी के इटायल गांव में देखने को मिली है.यहां लगभग दस दिन पहले गांव की गोशाला से रात के समय छोड़े गए जानवरों ने बहुत सारे किसानों की फसलें बर्बाद कर दी. किसान अब मुआवजे और दोषियों पर कार्रवाई की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. यह हालत अकेले इटायल गांव के नहीं है. जनपद के बहुत सारे गांव में हर रोज इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं.

लड़ाई-झगड़ों की शुरुआत

उल्दन थानाक्षेत्र के पचवारा गांव में इसी महीने में थाने में एक केस दर्ज कराया गया है, जिसमें दो पक्षों के बीच खेत में फसल चर जाने को लेकर विवाद हो गया था. खेतों में खड़ी फसलें जिस तरह बढ़ती हैं, इस तरह के विवाद भी बढ़ने लगते हैं. कई बार आवारा गोवंशों को एक स्थान से दूसरे स्थानों की ओर खदेड़ने की स्थिति में गांव और जनपद तक के लोग आमने सामने आ जाते हैं और तनाव की स्थिति बन जाती है.

क्या कहते हैं किसान नेता
किसान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष शिव नारायण परिहार कहते हैं कि इस समय किसानों की रबी की फसल की बुवाई हुई है और वह काफी हद तक तैयार भी हो चुकी है. खेतों में चना, मटर, गेंहू आदि फसलों की बुवाई हुई है. किसानों के सामने पहली समस्या पानी की है. दूसरी सबसे बड़ी समस्या अन्ना जानवरों की है. किसान अपनी फसल नहीं बचा पा रहा है. जो गोशालाएं बनी हैं, उनकी हालत दयनीय है. न चारा है न भूसा है और जानवर मर रहे हैं. कई गांव में तो गौशाला ही नहीं बनी है. जानवर या तो खेतों में हैं या फिर सड़कों पर घूम रहे हैं.

क्या कहते हैं अफसर

सीडीओ शैलेश कुमार ने बताया कि इस जनपद में दो सौ से अधिक गोशालाएं हैं. सभी गोशालाओं का भरण पोषण शासन से मिलने वाली धनराशि से किया जाता है. जिला स्तरीय अनुश्रवण समिति के अनुमोदन से ब्लॉक को पैसा जाता है. ब्लॉक स्तर से सभी गोशालाओं को आनुपातिक रूप में धनराशि दी जाती है. अभी तक लगातार यही व्यवस्था चल रही है. अभी तक लगातार यही व्यवस्था चल रही है. कहीं से किसी तरह की कोई शिकायत सामने नहीं आई है.

झांसी: आवारा गोवंशो के कारण जनपद के किसानों को खेती करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. झांसी जनपद में किसी तरह किसानों ने खेतों में बुवाई तो कर ली है, लेकिन अब फसलों की रखवाली करना मुश्किल हो रहा है. गोवंशों के लिए बनी अधिकांश गोशालाएं बदहाली की चपेट में हैं. हालात यह है कि जनपद के कई हिस्सों में किसानों को रात-रात भर जागकर फसल की रखवाली करनी पड़ रही है.

सियासी मुद्दा बने गोवंश
गोवंशों की मौत और उनसे फसलों को होने वाले नुकसान को लेकर कांग्रेस पार्टी ने इस मसले पर दिसम्बर महीने में बड़ा आंदोलन किया था. झांसी सहित पूरे बुन्देलखण्ड में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू और पार्टी नेताओं ने इस मसले पर सरकार को घेरने की कोशिश की. विपक्षी दल लगातार इस बात के आरोप लगाते रहे हैं कि गोशालाओं का प्रबंधन बेहतर न होने से किसान और गोवंश दोनों का नुकसान हो रहा है.

फसलों को हो रहा नुकसान
आवारा गोवंशों से फसलों को होने वाले नुकसान की एक बानगी झांसी के इटायल गांव में देखने को मिली है.यहां लगभग दस दिन पहले गांव की गोशाला से रात के समय छोड़े गए जानवरों ने बहुत सारे किसानों की फसलें बर्बाद कर दी. किसान अब मुआवजे और दोषियों पर कार्रवाई की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. यह हालत अकेले इटायल गांव के नहीं है. जनपद के बहुत सारे गांव में हर रोज इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं.

लड़ाई-झगड़ों की शुरुआत

उल्दन थानाक्षेत्र के पचवारा गांव में इसी महीने में थाने में एक केस दर्ज कराया गया है, जिसमें दो पक्षों के बीच खेत में फसल चर जाने को लेकर विवाद हो गया था. खेतों में खड़ी फसलें जिस तरह बढ़ती हैं, इस तरह के विवाद भी बढ़ने लगते हैं. कई बार आवारा गोवंशों को एक स्थान से दूसरे स्थानों की ओर खदेड़ने की स्थिति में गांव और जनपद तक के लोग आमने सामने आ जाते हैं और तनाव की स्थिति बन जाती है.

क्या कहते हैं किसान नेता
किसान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष शिव नारायण परिहार कहते हैं कि इस समय किसानों की रबी की फसल की बुवाई हुई है और वह काफी हद तक तैयार भी हो चुकी है. खेतों में चना, मटर, गेंहू आदि फसलों की बुवाई हुई है. किसानों के सामने पहली समस्या पानी की है. दूसरी सबसे बड़ी समस्या अन्ना जानवरों की है. किसान अपनी फसल नहीं बचा पा रहा है. जो गोशालाएं बनी हैं, उनकी हालत दयनीय है. न चारा है न भूसा है और जानवर मर रहे हैं. कई गांव में तो गौशाला ही नहीं बनी है. जानवर या तो खेतों में हैं या फिर सड़कों पर घूम रहे हैं.

क्या कहते हैं अफसर

सीडीओ शैलेश कुमार ने बताया कि इस जनपद में दो सौ से अधिक गोशालाएं हैं. सभी गोशालाओं का भरण पोषण शासन से मिलने वाली धनराशि से किया जाता है. जिला स्तरीय अनुश्रवण समिति के अनुमोदन से ब्लॉक को पैसा जाता है. ब्लॉक स्तर से सभी गोशालाओं को आनुपातिक रूप में धनराशि दी जाती है. अभी तक लगातार यही व्यवस्था चल रही है. अभी तक लगातार यही व्यवस्था चल रही है. कहीं से किसी तरह की कोई शिकायत सामने नहीं आई है.

Last Updated : Jan 19, 2021, 8:31 AM IST
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