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इजरायली तकनीक से हो रही स्ट्रॉबेरी की खेती, किसानों को दे रही फायदा - झांसी स्ट्रॉबेरी की खेती

झांसी में किसान स्ट्रॉबेरी की खेती को लेकर उत्साहित हैं. प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री की ओर से हुई सराहना के बाद स्थानीय किसानों में इसे लेकर उत्सुकता बढ़ी है. जनपद के अलग-अलग हिस्सों से आये किसान इसकी खेती सीख रहे हैं.

किसान कर रहे स्ट्रॉबेरी की खेती
किसान कर रहे स्ट्रॉबेरी की खेती
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Published : Feb 20, 2021, 4:57 PM IST

झांसी: बुन्देलखण्ड की सूखी धरती पर स्ट्रॉबेरी की सफल खेती और इस प्रयास की प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री की ओर से हुई सराहना के बाद स्थानीय किसानों में इसे लेकर उत्सुकता बढ़ी है. झांसी के भोजला में स्ट्रॉबेरी फॉर्म पर हर रोज जनपद के अलग-अलग हिस्सों से आये किसान इसकी खेती सीख रहे हैं. किसान इसकी तकनीक को समझने की कोशिश कर रहे हैं. स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले परिवार का कहना है कि सिंचाई के लिए इजरायल की तकनीक ने इस खेती को बेहद आसान बनाया है, क्योंकि इससे पानी की खपत बेहद कम हो जाती है.

इजरायली तकनीक से कर रहे स्ट्रॉबेरी की खेती

यह भी पढ़ें: गोंड शैली के चित्रों की एकल प्रदर्शनी का आयोजन

किसानों में खेती को लेकर उत्सुकता

स्थानीय किसान रवींद्र गौरव कहते हैं कि उन्हें स्ट्रॉबेरी की खेती काफी पसंद आई. वो अपने गांव में इस तरह की खेती करना चाहते हैं. वो अपने गांव में इस खेती की शुरुआत करेंगे. प्रगतिशील किसान अवधेश प्रताप सिंह कहते हैं कि बुन्देलखण्ड का यह सौभाग्य है कि झांसी तहसील में थोड़ी जगह में लाल मिट्टी है. यह हमारे लिए वरदान साबित हो रही है. बुन्देलखण्ड में सभी तरह की मिट्टी उपलब्ध है. ड्रिप इरिगेशन से पूरे बुन्देलखण्ड में यह खेती हो सकती है.

यह भी पढ़ें: झांसी के 200 किसान आज बांदा में लेंगे प्रशिक्षण

सिंचाई की इजरायली तकनीकी पर जोर

स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले हैप्पी चावला कहते हैं कि हमने इस खेती में इजरायल की ड्रिप इरिगेशन तकनीक का उपयोग किया है. परंपरागत तरीके से होने वाली खेती की तुलना में इस सिंचाई की तकनीक से दस गुना अधिक क्षेत्रफल में सिंचाई की जा सकती है. सिंचाई की यह तकनीक बुन्देलखण्ड के लिए सबसे बड़ा वरदान साबित हो सकती है. खाद का अलग-अलग तरह से उपयोग किया जा सकता है. इसमें जैविक खाद का उपयोग किया जा रहा है, जबकि कुछ किसान यूरिया भी इस्तेमाल करते हैं. जैविक तरीके से खेती में उत्पादन थोड़ा सा कम होता है.

झांसी: बुन्देलखण्ड की सूखी धरती पर स्ट्रॉबेरी की सफल खेती और इस प्रयास की प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री की ओर से हुई सराहना के बाद स्थानीय किसानों में इसे लेकर उत्सुकता बढ़ी है. झांसी के भोजला में स्ट्रॉबेरी फॉर्म पर हर रोज जनपद के अलग-अलग हिस्सों से आये किसान इसकी खेती सीख रहे हैं. किसान इसकी तकनीक को समझने की कोशिश कर रहे हैं. स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले परिवार का कहना है कि सिंचाई के लिए इजरायल की तकनीक ने इस खेती को बेहद आसान बनाया है, क्योंकि इससे पानी की खपत बेहद कम हो जाती है.

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किसानों में खेती को लेकर उत्सुकता

स्थानीय किसान रवींद्र गौरव कहते हैं कि उन्हें स्ट्रॉबेरी की खेती काफी पसंद आई. वो अपने गांव में इस तरह की खेती करना चाहते हैं. वो अपने गांव में इस खेती की शुरुआत करेंगे. प्रगतिशील किसान अवधेश प्रताप सिंह कहते हैं कि बुन्देलखण्ड का यह सौभाग्य है कि झांसी तहसील में थोड़ी जगह में लाल मिट्टी है. यह हमारे लिए वरदान साबित हो रही है. बुन्देलखण्ड में सभी तरह की मिट्टी उपलब्ध है. ड्रिप इरिगेशन से पूरे बुन्देलखण्ड में यह खेती हो सकती है.

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सिंचाई की इजरायली तकनीकी पर जोर

स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले हैप्पी चावला कहते हैं कि हमने इस खेती में इजरायल की ड्रिप इरिगेशन तकनीक का उपयोग किया है. परंपरागत तरीके से होने वाली खेती की तुलना में इस सिंचाई की तकनीक से दस गुना अधिक क्षेत्रफल में सिंचाई की जा सकती है. सिंचाई की यह तकनीक बुन्देलखण्ड के लिए सबसे बड़ा वरदान साबित हो सकती है. खाद का अलग-अलग तरह से उपयोग किया जा सकता है. इसमें जैविक खाद का उपयोग किया जा रहा है, जबकि कुछ किसान यूरिया भी इस्तेमाल करते हैं. जैविक तरीके से खेती में उत्पादन थोड़ा सा कम होता है.

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