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पहूज नदी के किनारे अवैध रूप से बन रही कॉलोनियां, प्रशासन बेफिक्र - jhansi latest news

पहूज नदी को साल 2014 में झांसी की सांसद और केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने गोद लिया था. पहूज नदी के प्रति बुंदेलखंड के लोगों की धार्मिक आस्था जुडी हुई है. इसके बावजूद भी शहर भर का गन्दा पानी इसी नदी में प्रवाहित किया जाता है. इसके संरक्षण को लेकर प्रशासन बेफिक्र है, जिसके चलते झांसी में पहूज नदी के किनारे अवैध रूप से कॉलोनियां बन रही हैं.

पहूज नदी
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Published : Jul 18, 2021, 6:30 AM IST

झांसी: स्मार्ट सिटी के (Jhansi Smart City) नाम पर अरबों रुपये खर्च करने वाले सरकारी अफसर शहर के नक्शे को बिगाड़ने वालों पर लगाम नहीं लगा पा रहे हैं. आलम यह है कि झांसी शहर की सीमा से सटी पहूज नदी के दोनों ओर बड़ी संख्या में आवासीय कॉलोनियां विकसित हो गई हैं और लोग धड़ल्ले से मकान बना रहे हैं. नदी के आस-पास ही नहीं, बल्कि नदी के डूब क्षेत्र में भी लोग अतिक्रमण कर आवास निर्माण करा रहे हैं, जिन्हें रोक पाने में सिंचाई विभाग, नगर निगम, जिला प्रशासन और झांसी विकास प्राधिकरण पूरी तरह नाकाम साबित हो रहा है. इस अतिक्रमण को रोकने और नदी को संरक्षित करने के दावे तो कई बार हुए, लेकिन सारे दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं.

जानकारी देते झांसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष.
झांसी-शिवपुरी राष्ट्रीय राजमार्ग पर पहूज नदी के स्वरूप को देखकर कोई भी हैरत में पड़ सकता है. इसका आकार सिमटकर नाले की तरह हो गया है. कई जगहों पर इसके डूब क्षेत्र में लोगों ने मिट्टी की भराई कर स्वामित्व का दावा किया और इस पर मकान भी बना लिए. सिंचाई विभाग के अफसरों ने नदी पर हो रहे अतिक्रमण को रोकने में कभी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई, जिसका नतीजा यह है कि नदी के डूब क्षेत्र में भी आवास और कालोनियां विकसित कर ली गईं. झांसी विकास प्राधिकरण और नगर निगम भी इन अवैध निर्माणों को लेकर पूरी तरह उदासीन बना हुआ है.साल 2014 में झांसी की तत्कालीन सांसद और तब केंद्र सरकार में जल संसाधन मंत्री रहीं उमा भारती ने इस नदी को गोद लिया था. इसके संरक्षण और कायाकल्प को लेकर तमाम दावे किए गए, लेकिन उमा भारती के सारे दावे हवा-हवाई साबित हुए. नदी आज भी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. उमा भारती की सांसद निधि से नदी के एक सिरे पर एक घाट का निर्माण जरूर किया गया, लेकिन इसे पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित कराने और सरकार से इसके संरक्षण की योजना तैयार करा पाने में वे नाकाम रहीं. आज भी योजनाओं के नाम पर सरकारी टेबल पर सिर्फ कागज दौड़ रहे हैं. जानकारों के मुताबिक यह नदी झांसी के निकट बैदोरा गांव से निकलती है और जालौन जनपद में सिंध नदी में मिलती है.

झांसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष सर्वेश कुमार दीक्षित कहते हैं कि पहूज नदी के किनारों पर या डूब क्षेत्र में कॉलोनी बनने की बात संज्ञान में लाई गई है. इस सम्बंध में हम जांच करा रहे हैं और कार्रवाई करेंगे. हमारी प्रवर्तन टीम लगातार भ्रमण करती रहती है. हम विशेष टीम बनाकर इसका मुआयना शुरू कराते हैं. तीन से चार दिन में पूरा सर्वे कराकर हम पूरी कार्रवाई करेंगे. इसके अलावा जो निषिद्ध क्षेत्र हैं, वहां बोर्ड लगवाने का काम करेंगे, जिससे प्लाट खरीदने वालों को धोखाधड़ी का शिकार न होना पड़े.
पढ़ें- झांसी की पहूज नदी पर बनेगा रिवर फ्रंट, तैयार किया जा रहा डिजाइन

पढ़ें- नई नहीं तकरार, जल बंटवारे को लेकर राज्य उठाते रहे हैं सवाल

झांसी: स्मार्ट सिटी के (Jhansi Smart City) नाम पर अरबों रुपये खर्च करने वाले सरकारी अफसर शहर के नक्शे को बिगाड़ने वालों पर लगाम नहीं लगा पा रहे हैं. आलम यह है कि झांसी शहर की सीमा से सटी पहूज नदी के दोनों ओर बड़ी संख्या में आवासीय कॉलोनियां विकसित हो गई हैं और लोग धड़ल्ले से मकान बना रहे हैं. नदी के आस-पास ही नहीं, बल्कि नदी के डूब क्षेत्र में भी लोग अतिक्रमण कर आवास निर्माण करा रहे हैं, जिन्हें रोक पाने में सिंचाई विभाग, नगर निगम, जिला प्रशासन और झांसी विकास प्राधिकरण पूरी तरह नाकाम साबित हो रहा है. इस अतिक्रमण को रोकने और नदी को संरक्षित करने के दावे तो कई बार हुए, लेकिन सारे दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं.

जानकारी देते झांसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष.
झांसी-शिवपुरी राष्ट्रीय राजमार्ग पर पहूज नदी के स्वरूप को देखकर कोई भी हैरत में पड़ सकता है. इसका आकार सिमटकर नाले की तरह हो गया है. कई जगहों पर इसके डूब क्षेत्र में लोगों ने मिट्टी की भराई कर स्वामित्व का दावा किया और इस पर मकान भी बना लिए. सिंचाई विभाग के अफसरों ने नदी पर हो रहे अतिक्रमण को रोकने में कभी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई, जिसका नतीजा यह है कि नदी के डूब क्षेत्र में भी आवास और कालोनियां विकसित कर ली गईं. झांसी विकास प्राधिकरण और नगर निगम भी इन अवैध निर्माणों को लेकर पूरी तरह उदासीन बना हुआ है.साल 2014 में झांसी की तत्कालीन सांसद और तब केंद्र सरकार में जल संसाधन मंत्री रहीं उमा भारती ने इस नदी को गोद लिया था. इसके संरक्षण और कायाकल्प को लेकर तमाम दावे किए गए, लेकिन उमा भारती के सारे दावे हवा-हवाई साबित हुए. नदी आज भी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. उमा भारती की सांसद निधि से नदी के एक सिरे पर एक घाट का निर्माण जरूर किया गया, लेकिन इसे पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित कराने और सरकार से इसके संरक्षण की योजना तैयार करा पाने में वे नाकाम रहीं. आज भी योजनाओं के नाम पर सरकारी टेबल पर सिर्फ कागज दौड़ रहे हैं. जानकारों के मुताबिक यह नदी झांसी के निकट बैदोरा गांव से निकलती है और जालौन जनपद में सिंध नदी में मिलती है.

झांसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष सर्वेश कुमार दीक्षित कहते हैं कि पहूज नदी के किनारों पर या डूब क्षेत्र में कॉलोनी बनने की बात संज्ञान में लाई गई है. इस सम्बंध में हम जांच करा रहे हैं और कार्रवाई करेंगे. हमारी प्रवर्तन टीम लगातार भ्रमण करती रहती है. हम विशेष टीम बनाकर इसका मुआयना शुरू कराते हैं. तीन से चार दिन में पूरा सर्वे कराकर हम पूरी कार्रवाई करेंगे. इसके अलावा जो निषिद्ध क्षेत्र हैं, वहां बोर्ड लगवाने का काम करेंगे, जिससे प्लाट खरीदने वालों को धोखाधड़ी का शिकार न होना पड़े.
पढ़ें- झांसी की पहूज नदी पर बनेगा रिवर फ्रंट, तैयार किया जा रहा डिजाइन

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