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वाह रे स्वास्थ्य विभाग! टारगेट पूरा करने के लिए बिना वैक्सीनेशन के ही जारी कर दिया प्रमाण पत्र - झांसी में कोरोना वैक्सीनेशन में धांधली

झांसी में टारगेट पूरा करने के लिए कोविड वैक्सीनेशन में फर्जीवाड़ा किया गया है. वहीं, इस मामले में सीएचसी प्रमुख समेत तीन के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.

कोविड वैक्सीनेशन में फर्जीवाड़ा
कोविड वैक्सीनेशन में फर्जीवाड़ा
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Published : Dec 29, 2022, 7:35 PM IST

Updated : Dec 29, 2022, 8:10 PM IST

झांसी: एक तरफ जहां कोरोना संक्रमण का खतरा फिर से बढ़ने लगा है तो दूसरी ओर कोविड वैक्सीनेशन में फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया है. जिसमें एक अधिवक्ता ने सीएचसी प्रमुख गुरसरांय समेत तीन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया है. वहीं, पुलिस मामले की जांच पड़ताल कर रही है.

दरअसल, झांसी के शहर कोतवाली अंतर्गत नालंदा ओम गार्डन कॉलोनी में रहने वाले वरिष्ठ सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता संतोष दोहरे ने शहर कोतवाली में मामला दर्ज कराया है. इसमें उन्होंने बताया कि 9 सितंबर 2022 को पत्नी सुलेखा चौधरी, स्वयं, पिता घनश्यामदास और मां रामदेवी को सीएचसी गुरसरांय में तैनात सतेन्द्र तिवारी ने बिना डोज लगाए ही फर्जी टीकाकरण के प्रमाण पत्र जारी किए थे. जबकि उनकी डोज अन्य किसी को बेच दी गई थी. इसकी शिकायत उन्होंने जिलाधाकीर और सीएमओ से की थी. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.

आरोप है कि, 11 सितंबर की रात्रि में जब वह अपनी पत्नी समेत परिवार के साथ अपने मकान के बाहर बैठा हुआ था. इसी दौरान सतेन्द्र तिवारी बीपीएम सीएचसी एक अन्य व्यक्ति के साथ उनके पास आया और कहा कि इसमें उसका कोई दोष नहीं है. झांसी के सीएमओ सुधाकर पाण्डेय के सभी सीएचसी और पीएचसी को निर्देश है कोविड प्रकोशन की 100 प्रतिशत टीके जनता को लगाकर रिकॉर्ड मेंटेन करना है. इस निर्देश को पूरा करने के लिए सीएचसी गुरसरांय प्रमुख डॉ. ओपी राठौर का उन लोगों पर दवाब था. जिस कारण वह इस प्रकार का काम करने पर मजबूर है. इसके अलावा अन्य कई लोगों को इसी प्रकार कागजों में टीका लगाया गया है.

पीड़ित के मुताबिक, डॉ ओपी राठौर ने इस मामले को शांत कराने के लिए उनके पास उन्हें भेजा है. जब उन्होंने सतेन्द्र तिवारी की बात मानने से इंकार किया तो उसने उन्हें और उसके परिवार को जाति सूचक शब्दों को प्रयोग करते हुए जान से मारने की धमकी दी. शोर सुनकर आस-पास के लोग वहां आ गए. यह देख सतेन्द्र तिवारी अपने साथी के साथ वहां से भाग गए. अधिवक्ता संतोष दोहरे की शिकायत को गम्भीरता से लेते हुए शहर कोतवाली में सतेन्द्र तिवारी, डॉ ओपी राठौर और एक अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी गई है.

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ सुधारकर पाण्डेय ने मुकदमे को झूठा करार दिया है. उन्होंने कहा कि सरकारी पोर्टल की गलती है. पुलिस ने सच जाने बगैर अधीक्षक और कर्मचारी के विरूद्व मुकदमा दर्ज किया है. सीएमओ ने बताया कि पूरे प्रकरण की जानकारी जिलाधिकारी को दे दी गई, जल्द ही इस प्रकरण का निस्तारण कर दिया जाएगा. साथ ही उन्होंने आरोपी सीएचसी अधीक्षक और बीपीएम के विरूद्ध विभागीय कार्रवाई किए जाने से इंकार किया है.

यह भी पढ़ें- झांसी में मिला युवक का जला शव, लेनदेन के विवाद में दोस्तों ने मार डाला

झांसी: एक तरफ जहां कोरोना संक्रमण का खतरा फिर से बढ़ने लगा है तो दूसरी ओर कोविड वैक्सीनेशन में फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया है. जिसमें एक अधिवक्ता ने सीएचसी प्रमुख गुरसरांय समेत तीन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया है. वहीं, पुलिस मामले की जांच पड़ताल कर रही है.

दरअसल, झांसी के शहर कोतवाली अंतर्गत नालंदा ओम गार्डन कॉलोनी में रहने वाले वरिष्ठ सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता संतोष दोहरे ने शहर कोतवाली में मामला दर्ज कराया है. इसमें उन्होंने बताया कि 9 सितंबर 2022 को पत्नी सुलेखा चौधरी, स्वयं, पिता घनश्यामदास और मां रामदेवी को सीएचसी गुरसरांय में तैनात सतेन्द्र तिवारी ने बिना डोज लगाए ही फर्जी टीकाकरण के प्रमाण पत्र जारी किए थे. जबकि उनकी डोज अन्य किसी को बेच दी गई थी. इसकी शिकायत उन्होंने जिलाधाकीर और सीएमओ से की थी. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.

आरोप है कि, 11 सितंबर की रात्रि में जब वह अपनी पत्नी समेत परिवार के साथ अपने मकान के बाहर बैठा हुआ था. इसी दौरान सतेन्द्र तिवारी बीपीएम सीएचसी एक अन्य व्यक्ति के साथ उनके पास आया और कहा कि इसमें उसका कोई दोष नहीं है. झांसी के सीएमओ सुधाकर पाण्डेय के सभी सीएचसी और पीएचसी को निर्देश है कोविड प्रकोशन की 100 प्रतिशत टीके जनता को लगाकर रिकॉर्ड मेंटेन करना है. इस निर्देश को पूरा करने के लिए सीएचसी गुरसरांय प्रमुख डॉ. ओपी राठौर का उन लोगों पर दवाब था. जिस कारण वह इस प्रकार का काम करने पर मजबूर है. इसके अलावा अन्य कई लोगों को इसी प्रकार कागजों में टीका लगाया गया है.

पीड़ित के मुताबिक, डॉ ओपी राठौर ने इस मामले को शांत कराने के लिए उनके पास उन्हें भेजा है. जब उन्होंने सतेन्द्र तिवारी की बात मानने से इंकार किया तो उसने उन्हें और उसके परिवार को जाति सूचक शब्दों को प्रयोग करते हुए जान से मारने की धमकी दी. शोर सुनकर आस-पास के लोग वहां आ गए. यह देख सतेन्द्र तिवारी अपने साथी के साथ वहां से भाग गए. अधिवक्ता संतोष दोहरे की शिकायत को गम्भीरता से लेते हुए शहर कोतवाली में सतेन्द्र तिवारी, डॉ ओपी राठौर और एक अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी गई है.

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ सुधारकर पाण्डेय ने मुकदमे को झूठा करार दिया है. उन्होंने कहा कि सरकारी पोर्टल की गलती है. पुलिस ने सच जाने बगैर अधीक्षक और कर्मचारी के विरूद्व मुकदमा दर्ज किया है. सीएमओ ने बताया कि पूरे प्रकरण की जानकारी जिलाधिकारी को दे दी गई, जल्द ही इस प्रकरण का निस्तारण कर दिया जाएगा. साथ ही उन्होंने आरोपी सीएचसी अधीक्षक और बीपीएम के विरूद्ध विभागीय कार्रवाई किए जाने से इंकार किया है.

यह भी पढ़ें- झांसी में मिला युवक का जला शव, लेनदेन के विवाद में दोस्तों ने मार डाला

Last Updated : Dec 29, 2022, 8:10 PM IST
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