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धान का रेट कम मिलने पर किसानों ने गल्ला मंडी में किया हंगामा

यूपी के झांसी जिले में धान का सही दाम न मिलने पर किसानों ने गल्ला मंडी में जमकर बवाल किया. किसान धान का उचित दाम न मिलने पर प्रदर्शन करने लगे. भाजपा युवा मोर्चा के जिला मंत्री सुरजीत सिंह की अगुवाई में किसानों ने मुख्य गेट पर ताला लगा दिया और धरने पर बैठ गए.

मोंठ गल्ला मंडी
मोंठ गल्ला मंडी
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Published : Nov 28, 2020, 6:22 PM IST

झांसी: जिले के मोंठ गल्ला मंडी में धान का रेट कम मिलने पर किसानों ने जमकर बवाल किया. मेन गेट में ताला जड़कर किसानों ने करीब 2 घंटे तक धरना-प्रदर्शन किया. किसानों के धरना-प्रदर्शन की सूचना पर क्षेत्रीय विधायक जवाहर लाल राजपूत मंडी परिसर पहुंचे और किसानों से बातचीत की. उन्होंने किसानों का धरना खत्म कराकर ताला खुलवाया. विधायक ने जिलाधिकारी से फोन पर बात कर किसानों को धान का उचित रेट दिलाने के लिए कहा.

कम रेट किसान वापस ले गए धान

शुक्रवार को 300 से अधिक ट्रैक्टर-ट्रॉली में धान भरकर किसान गल्ला मंडी परिसर पहुंचे. सुबह दस बजे गल्ला व्यापारियों ने धान की बोली लगानी शुरू की. जब धान का रेट 1200 से 1300 से ऊपर नहीं गया तो किसान अपना आपा खो बैठे. किसान धान का उचित दाम न मिलने पर प्रदर्शन करने लगे. भाजपा युवा मोर्चा के जिला मंत्री सुरजीत सिंह की अगुवाई में किसानों ने मुख्य गेट पर ताला लगा दिया और धरने पर बैठ गए.

किसानों से मिलने पहुंचे विधायक

किसानों के धरने की सूचना क्षेत्रीय विधायक जवाहर लाल राजपूत को हुई तो वे भी गल्ला मंडी पहुंचे. उन्होंने किसानों से बातचीत की. किसानों ने विधायक से कहा कि उन्हें धान का रेट काफी कम दिया जा रहा है. किसानों ने कहा कि वह पिछले तीन-चार दिनों से मंडी परिसर में डेरा डाले हुए हैं. इसके बाद भी तुलाई नहीं हो रही है. तोल के नाम पर व्यापारी प्रति बोरा रुपये ले रहे हैं. किसानों को मंडी में कोई सुविधा नहीं मिल रही है. किसानों का भुगतान भी काफी कम हो रहा है. इस तमाम परेशानियों पर किसानों ने आक्रोश जताते हुए विधायक से धान का उचित रेट दिलाए जाने का अनुरोध किया.

विधायक ने की जिलाधिकारी से बात

विधायक ने मौके से ही जिलाधिकारी से वार्ता की और कहा कि समर्थन मूल्य से कम पर किसानों का धान न खरीदा जाए. सरकार का समर्थन मूल्य 1800 रुपये के करीब है. उससे कम तो धान की बिक्री नहीं होनी चाहिए. जिलाधिकारी ने विधायक से वार्ता के बाद एसडीएम को मंडी पहुंचकर किसानों की समस्याओं का निस्तारित करने के निर्देश दिए. विधायक से बातचीत के बाद किसान धरना समाप्त करने पर सहमत हो गए. उन्होंने मेन गेट का ताला खोलकर आवागमन चालू कर दिया.

किसान नेता ने लगाए आरोप
भाजपा किसान नेता सुरजीत राजपूत का कहना है कि स्थानीय गल्ला व्यापारी अपने मनमर्जी से रेट खोल रहे हैं. रेट काफी कम है. किसानों को उचित रेट साजिश के तहत नहीं दिए जा रहे हैं. मंडी परिसर में हरियाणा, पंजाब, बरेली आदि कई स्थानों के चावल मिलों के प्रतिनिधि डेरा डाले हुए हैं, जो बोली बोलते समय व्यापारियों को दिशा-निर्देश देते हैं कि आज इतने रेट में धान खरीदा जाए. इसके कारण किसानों को धान का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है.

यह कहते हैं मंडी सचिव
मंडी सचिव ओमकार तिवारी ने कहा कि धान की किस्म खराब होने पर रेट कम मिलते हैं, जिससे किसान नाराज हो जाते हैं. मंडी सचिव का कहना है कि प्रदेश सरकार द्वारा मोटे किस्म का धान हाइब्रिड खरीदा जा रहा है. इस क्षेत्र में 1509, 1121 ओर 1819 किस्म का धान पैदा हो रहा है. बासमती चावल को अच्छी क्वालिटी का चावल मानते हैं, जिसे सरकारी खरीद केंद्र पर खरीदने की अनुमति नहीं है.

मंडी सचिव का कहना है कि नई दिल्ली, बरेली, हरियाणा और पंजाब मंडियों से रेट निकलते हैं. रेट बढ़ने पर यहां भी अपने आप बढ़ जाते हैं और कम होने पर कम हो जाते हैं. इस क्षेत्र में कुछ सालों से धान की अधिक पैदावार हो रही है. गत वर्ष मोंठ मंडी में दो लाख क्विंटल धान खरीदा गया था. अभी इस वर्ष 27 हजार क्विंटल खरीद हो चुकी है. मंडी सचिव का कहना है कि आस-पास की मंडियों से मोंठ में 50 रुपये रेट ज्यादा मिल रहा है.

झांसी: जिले के मोंठ गल्ला मंडी में धान का रेट कम मिलने पर किसानों ने जमकर बवाल किया. मेन गेट में ताला जड़कर किसानों ने करीब 2 घंटे तक धरना-प्रदर्शन किया. किसानों के धरना-प्रदर्शन की सूचना पर क्षेत्रीय विधायक जवाहर लाल राजपूत मंडी परिसर पहुंचे और किसानों से बातचीत की. उन्होंने किसानों का धरना खत्म कराकर ताला खुलवाया. विधायक ने जिलाधिकारी से फोन पर बात कर किसानों को धान का उचित रेट दिलाने के लिए कहा.

कम रेट किसान वापस ले गए धान

शुक्रवार को 300 से अधिक ट्रैक्टर-ट्रॉली में धान भरकर किसान गल्ला मंडी परिसर पहुंचे. सुबह दस बजे गल्ला व्यापारियों ने धान की बोली लगानी शुरू की. जब धान का रेट 1200 से 1300 से ऊपर नहीं गया तो किसान अपना आपा खो बैठे. किसान धान का उचित दाम न मिलने पर प्रदर्शन करने लगे. भाजपा युवा मोर्चा के जिला मंत्री सुरजीत सिंह की अगुवाई में किसानों ने मुख्य गेट पर ताला लगा दिया और धरने पर बैठ गए.

किसानों से मिलने पहुंचे विधायक

किसानों के धरने की सूचना क्षेत्रीय विधायक जवाहर लाल राजपूत को हुई तो वे भी गल्ला मंडी पहुंचे. उन्होंने किसानों से बातचीत की. किसानों ने विधायक से कहा कि उन्हें धान का रेट काफी कम दिया जा रहा है. किसानों ने कहा कि वह पिछले तीन-चार दिनों से मंडी परिसर में डेरा डाले हुए हैं. इसके बाद भी तुलाई नहीं हो रही है. तोल के नाम पर व्यापारी प्रति बोरा रुपये ले रहे हैं. किसानों को मंडी में कोई सुविधा नहीं मिल रही है. किसानों का भुगतान भी काफी कम हो रहा है. इस तमाम परेशानियों पर किसानों ने आक्रोश जताते हुए विधायक से धान का उचित रेट दिलाए जाने का अनुरोध किया.

विधायक ने की जिलाधिकारी से बात

विधायक ने मौके से ही जिलाधिकारी से वार्ता की और कहा कि समर्थन मूल्य से कम पर किसानों का धान न खरीदा जाए. सरकार का समर्थन मूल्य 1800 रुपये के करीब है. उससे कम तो धान की बिक्री नहीं होनी चाहिए. जिलाधिकारी ने विधायक से वार्ता के बाद एसडीएम को मंडी पहुंचकर किसानों की समस्याओं का निस्तारित करने के निर्देश दिए. विधायक से बातचीत के बाद किसान धरना समाप्त करने पर सहमत हो गए. उन्होंने मेन गेट का ताला खोलकर आवागमन चालू कर दिया.

किसान नेता ने लगाए आरोप
भाजपा किसान नेता सुरजीत राजपूत का कहना है कि स्थानीय गल्ला व्यापारी अपने मनमर्जी से रेट खोल रहे हैं. रेट काफी कम है. किसानों को उचित रेट साजिश के तहत नहीं दिए जा रहे हैं. मंडी परिसर में हरियाणा, पंजाब, बरेली आदि कई स्थानों के चावल मिलों के प्रतिनिधि डेरा डाले हुए हैं, जो बोली बोलते समय व्यापारियों को दिशा-निर्देश देते हैं कि आज इतने रेट में धान खरीदा जाए. इसके कारण किसानों को धान का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है.

यह कहते हैं मंडी सचिव
मंडी सचिव ओमकार तिवारी ने कहा कि धान की किस्म खराब होने पर रेट कम मिलते हैं, जिससे किसान नाराज हो जाते हैं. मंडी सचिव का कहना है कि प्रदेश सरकार द्वारा मोटे किस्म का धान हाइब्रिड खरीदा जा रहा है. इस क्षेत्र में 1509, 1121 ओर 1819 किस्म का धान पैदा हो रहा है. बासमती चावल को अच्छी क्वालिटी का चावल मानते हैं, जिसे सरकारी खरीद केंद्र पर खरीदने की अनुमति नहीं है.

मंडी सचिव का कहना है कि नई दिल्ली, बरेली, हरियाणा और पंजाब मंडियों से रेट निकलते हैं. रेट बढ़ने पर यहां भी अपने आप बढ़ जाते हैं और कम होने पर कम हो जाते हैं. इस क्षेत्र में कुछ सालों से धान की अधिक पैदावार हो रही है. गत वर्ष मोंठ मंडी में दो लाख क्विंटल धान खरीदा गया था. अभी इस वर्ष 27 हजार क्विंटल खरीद हो चुकी है. मंडी सचिव का कहना है कि आस-पास की मंडियों से मोंठ में 50 रुपये रेट ज्यादा मिल रहा है.

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