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झांसी: राजकीय उद्यान में किसानों को ड्रिप इरिगेशन का दिया गया प्रशिक्षण - राजकीय उद्यान नारायण बाग झांसी

झांसी के राजकीय उद्यान नारायण बाग में रविवार को एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में किसानों को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की विस्तृत जानकारी दी गई.

किसानों को ड्रिप इरिगेशन का दिया गया प्रशिक्षण
किसानों को ड्रिप इरिगेशन का दिया गया प्रशिक्षण
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Published : Mar 8, 2021, 2:12 PM IST

झांसी: राजकीय उद्यान नारायण बाग झांसी में एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण का शिविर रविवार को आयोजित हुआ. प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की विस्तृत जानकारी दी गई. प्रशिक्षण सत्र का उद्घाटन करते हुए पार्षद किशोरी लाल रायकवार ने कहा कि जनपद में सामान्यतया वर्षा 800 से 900 मिमी होती है, जिसका 30-35 प्रतिशत जल सिंचाई के लिए उपयोग हो पाता है और शेष जल नदी-नालों में बहकर चला जाता है. पार्षद ने कहा कि यदि इस संरक्षित जल को टपक सिंचाई या स्प्रिंकलर विधि द्वारा प्रयोग करें तो सिंचाई की क्षमता दोगुनी बढ़ जाएगी साथ ही उत्पादन में भी बढ़ोतरी होगी.

किसानों को ड्रिप इरिगेशन का दिया गया प्रशिक्षण
किसानों को ड्रिप इरिगेशन का दिया गया प्रशिक्षण
नारायण बाग में आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में ग्रासलैंड के प्रधान वैज्ञानिक उद्यान डॉ. सुनील सेठ प्रधान ने बताया कि गर्मियों में लता वाली सब्जियों की खेती करने के लिए खेतों में बुवाई से पूर्व पॉलीथिन थैली में पौधे तैयार कर खेत में रोपण कर टपक सिंचाई की स्थापना करके कम पानी में भी अधिक क्षेत्रफल में सिंचाई की जा सकती है और उत्पादन बढ़ाया जा सकता है.सर्विस अभियंता शिव कुमार सिंह ने कृषकों को ड्रिप तकनीकी की जानकारी देते हुए बताया कि इसके उपयोग करने से उर्वरक की उपयोगिता 70-80 प्रतिशत रहती है. बागों में ड्रिप सिंचाई लगाने से 60 प्रतिशत तक पानी की बचत की जा सकती है. इसमें 80-90 प्रतिशत तक सरकार द्वारा अनुदान दिया जा रहा है. प्रशिक्षण के दौरान ग्रासलैंड के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ ए के सिंह ने बताया कि फल सब्जियों के उत्पादन में मृदा प्रबंधन का विशेष महत्व है.

झांसी: राजकीय उद्यान नारायण बाग झांसी में एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण का शिविर रविवार को आयोजित हुआ. प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की विस्तृत जानकारी दी गई. प्रशिक्षण सत्र का उद्घाटन करते हुए पार्षद किशोरी लाल रायकवार ने कहा कि जनपद में सामान्यतया वर्षा 800 से 900 मिमी होती है, जिसका 30-35 प्रतिशत जल सिंचाई के लिए उपयोग हो पाता है और शेष जल नदी-नालों में बहकर चला जाता है. पार्षद ने कहा कि यदि इस संरक्षित जल को टपक सिंचाई या स्प्रिंकलर विधि द्वारा प्रयोग करें तो सिंचाई की क्षमता दोगुनी बढ़ जाएगी साथ ही उत्पादन में भी बढ़ोतरी होगी.

किसानों को ड्रिप इरिगेशन का दिया गया प्रशिक्षण
किसानों को ड्रिप इरिगेशन का दिया गया प्रशिक्षण
नारायण बाग में आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में ग्रासलैंड के प्रधान वैज्ञानिक उद्यान डॉ. सुनील सेठ प्रधान ने बताया कि गर्मियों में लता वाली सब्जियों की खेती करने के लिए खेतों में बुवाई से पूर्व पॉलीथिन थैली में पौधे तैयार कर खेत में रोपण कर टपक सिंचाई की स्थापना करके कम पानी में भी अधिक क्षेत्रफल में सिंचाई की जा सकती है और उत्पादन बढ़ाया जा सकता है.सर्विस अभियंता शिव कुमार सिंह ने कृषकों को ड्रिप तकनीकी की जानकारी देते हुए बताया कि इसके उपयोग करने से उर्वरक की उपयोगिता 70-80 प्रतिशत रहती है. बागों में ड्रिप सिंचाई लगाने से 60 प्रतिशत तक पानी की बचत की जा सकती है. इसमें 80-90 प्रतिशत तक सरकार द्वारा अनुदान दिया जा रहा है. प्रशिक्षण के दौरान ग्रासलैंड के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ ए के सिंह ने बताया कि फल सब्जियों के उत्पादन में मृदा प्रबंधन का विशेष महत्व है.
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