झांसी: बुन्देलखंड में पेयजल संकट हमेशा ही चर्चा का विषय बना रहा है. जिले के बबीना ब्लॉक के गणेशगढ़ गांव में पेयजल संकट और इसके कारण बच्चों की पढ़ाई पर हो रहे प्रभाव पर राजनीतिक दल एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.
दरअसल, गांव में लगे हैंडपंपों में पानी सूख गया तो गांव के बाहर स्थित एकमात्र हैंडपंप से पानी भरने की जिम्मेदारी गांव की महिलाओं और युवाओं से भी अधिक ये बच्चे निभाते दिखाई दे जाते हैं. जो समय इन बच्चों को पढ़ाई में देना चाहिए था, मजबूरी में ये बच्चे उस समय में पानी जुटाने की जद्दोजहद कर रहे हैं, जिससे इनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है. बबीना ब्लॉक का सिर्फ गणेशगढ़ गांव ही जल संकट नहीं झेल रहा, बल्कि कई क्षेत्रों में पीने के पानी का भयानक संकट है.
बबीना ब्लॉक के रक्सा गांव का पेयजल संकट पिछले कई दशकों से सरकार और प्रशासन को आइना दिखा रहा है. यहां करोड़ों रुपये की पेयजल योजनाएं तैयार हुईं, लेकिन सब नाकाम रहीं और आलम यह है कि लोगों को पीने के लिए हर रोज पानी खरीदना पड़ता है. बबीना ब्लॉक के कई गांव में पेयजल और सिंचाई का संकट दूर करने के लिए इजरायल सरकार की मदद से एक परियोजना पर काम चल रहा है, लेकिन यह परियोजना भी अभी अधर में ही लटकी हुई है और इसे पूरा होने में कितना समय लगेगा इसका जवाब किसी के पास नहीं.
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कोरोना के कारण परियोजना में देरी का दावा
सपा नेता यशपाल सिंह यादव का कहना है कि क्षेत्र में बहुत सारे गांव ऐसे हैं, जहां जलस्तर नीचे चला गया है. इन गांव में पाइपलाइन से पानी पहुंचाया जाना चाहिए. यह व्यवस्थाएं बहुत पहले हो जानी चाहिए थी. कई योजनाओं का उद्घाटन प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की ओर से किया गया, लेकिन योजनाओं के क्रियान्वयन में कहीं न कहीं कमी है.
बबीना से भाजपा विधायक राजीव सिंह पारीछा कहते हैं कि सपा, बसपा और कांग्रेस हमेशा झांसी और बबीना को पानी देने का वादा कर वोट लेते रहे, लेकिन पानी की एक बूंद नहीं उपलब्ध करा पाए. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोरोना काल में पानी की बड़ी योजनाओं का शिलान्यास किया, लेकिन कोरोना के कारण परियोजनाओं में कुछ देरी हुई है. 2022 की गर्मियों तक हर घर नल से जल पहुंचेगा.