झांसी: ग्रामीण पाइपलाइन परियोजनाओं की आधारशिला रखने मंगलवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी झांसी के मुराटा गांव पहुंचे. उन्होंने कार्यक्रम के दौरान सभा को संबोधित किया. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश की जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आशीर्वाद देते हुए दोबारा प्रधानमंत्री बनाकर देश को आगे बढ़ाने का जिम्मा दिया है. पीएम ने लालकिले से अपने संबोधन में कहा था कि बिजली, गैस का चूल्हा, शौचालय, बैंक खाता, मकान, आवास सब देने का प्रयास किया गया है. सिर्फ एक चीज बची है जो साधारण मानव के जीवन में परिवर्तन लाने के लिए जरूरी है. वह है कि हर घर तक नल से पीने का पानी पहुंचे.
गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि पीएम ने कहा था कि देश के गांवों में साढ़े अठारह करोड़ परिवार हैं, जिनमें से केवल तीन करोड़ परिवारों तक ही पीने का पानी नल से पहुंचता है. 70 साल तक देश की और प्रदेशों की सरकारों ने काम किया, लेकिन केवल 16 प्रतिशत घरों तक ही पीने का पानी पहुंच सका. शेष घरों की माताओं और बहनों को आज भी पानी के लिए परिश्रम करना पड़ता है.
2022 तक हर घर में लोगों को मिलेगा पीने का पानी
केन्द्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि पीएम ने संकल्प लिया कि 2024 के पहले देश के प्रत्येक आवास तक पीने का पानी पहुचाएंगे. वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने संकल्प लिया है कि प्रदेश के हर घर तक 2024 नहीं बल्कि 2022 तक पीने का पानी पहुचाएंगे. उन्होंने कहा कि वे गौरवान्वित महसूस करते हैं कि उन्होंने इस योजना की शुरुआत बुंदेलखंड की धरती से की है. झांसी, महोबा और ललितपुर के हर घर में 55 लीटर पीने का पानी प्रति व्यक्ति की दर से पहुंचे, इस संकल्प को साकार करने की योजना की शुरुआत झांसी की धरती से हो रही है.
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जल संरक्षण पर कार्ययोजना
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केवल पानी पहुंचाने का ही लक्ष्य नहीं है. पानी पहुंचाने के साथ ही प्रधानमंत्री का यह भी लक्ष्य है कि हम पानी के आंदोलन के माध्यम से गांव में लोकतंत्र का पुनर्स्थापन और सुदृढ़ीकरण करें. प्रधानमंत्री का सपना है कि हम घर तक पानी पहुचाएं, लेकिन गांव में पीने के पानी के प्रबंधन की व्यवस्था गांव के लोग और गांव की चुनी हुई समिति मिलकर करें. उस समिति में कम से कम 50 प्रतिशत महिलाएं हों, यह सुनिश्चित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि हम सब जानते है कि जब पीने का पानी हर घर पहुंचेगा तो उसका 75 प्रतिशत हिस्सा खराब पानी के रूप में बाहर निकलेगा. पन्द्रहवें वित्त आयोग के तहत 15 हजार करोड़ रुपये दिया गया है, उसमें चार हजार करोड़ रुपये वाटर ट्रीटमेंट पर खर्च होगा. लोग इस खराब पानी का खेती, बागवानी या भूजल स्तर बढ़ाने के लिए उपयोग करेंगे.