झांसी: यूपी से अलग हुए उत्तराखंड के बाद पर्यटकों को रिझाने के लिए प्रदेश सरकार ने समय-समय पर कई कदम उठाए हैं. इन्हीं में से एक है ईको टूरिज्म को बढ़ावा देना. प्रमुख सचिव के निर्देश पर ईको पर्यटन सर्किट में बुंदेलखंड जोन के सभी जिलों में प्राकृतिक खूबसूरती और रोमांच से परिपूर्ण स्थलों की तलाश शुरू हो गई है.
- 75 हजार हेक्टेयर वन्य क्षेत्र वाले बुंदेलखंड के झांसी, ललितपुर, जालौन, महोबा, हमीरपुर, बांदा, चित्रकूट में ईको पर्यटन स्थल विकसित किए जाएंगे.
- इसमें तेंदुआ, चीता, सांभर, चीतल से लेकर कई प्रजातियों के पशु और पक्षी और नदियों के मनोरम दृश्य हैं.
- ईको टूरिज्म का उद्देश्य देश-विदेश के सैलानियों को आकर्षित करना है.
- सैलानियों को घने जंगल में ठहराने के लिए आवासीय सुविधा और संपर्क मार्ग तैयार किया जाएगा.
- स्थलों का चयन होने के बाद आने वाले दो सालों में ईको पर्यटन स्थल को विकसित कर दिया जाएगा.
- ईको पर्यटन विकसित होने के बाद स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा.
- इसके तहत घिरियाघाट, गढ़मऊ झील, बरूआसागर, घिरियाघाट मोठ, गढ़मऊ झील, एरच नदी के घाट, बरुआसागर जंगल, देवगढ़ में बेतवा की सुरम्य घाटी, ललितपुर में राजघाटी और नाहर घाटी जैसे स्थानों को विकसित किया जा सकता है.