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प्राचीन बुंदेलखंड पर रहा है बौद्ध धर्म का प्रभाव- इतिहासकार डॉ चित्रगुप्त

इतिहासकार डॉ चित्रगुप्त बताते हैं कि दुनिया को शांति का संदेश देने वाले महात्मा बुद्ध का, देश के सभी हिस्सों में सम्मान और प्रभाव था. झांसी के बुन्देलखण्ड के अलग-अलग क्षेत्रों में बिखरे पड़े ऐतिहासिक साक्ष्य, इस बात की पुष्टि करते हैं कि महात्मा बुद्ध के संदेशवाहक इस क्षेत्र में भी आये और बौद्ध धर्म का संदेश प्रचारित किए.

प्राचीन बुन्देलखण्ड पर भी रहा है बौद्ध धर्म का प्रभाव
प्राचीन बुन्देलखण्ड पर भी रहा है बौद्ध धर्म का प्रभाव
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Published : May 26, 2021, 3:07 PM IST

झांसी: पूरी दुनिया को शांति का संदेश देने वाले महात्मा बुद्ध का देश के सभी हिस्सों में सम्मान और प्रभाव था. झांसी के इतिहासकार डॉ चित्रगुप्त बताते हैं कि बुन्देलखण्ड के अलग-अलग क्षेत्रों में बिखरे पड़े ऐतिहासिक साक्ष्य इस बात की पुष्टि करते हैं कि महात्मा बुद्ध के संदेशवाहक इस क्षेत्र में भी आये और बौद्ध धर्म का संदेश प्रचारित किया. इतिहासकार डाॅ चित्रगुप्त के मुताबिक, झांसी से कुछ किलोमीटर की दूरी पर मध्य प्रदेश के दतिया जिले में स्थित गुर्जरा शिलालेख, किसी समय में बौद्ध धर्म के प्रभाव की पुष्टि करता है. इस अभिलेख को महान मौर्य सम्राट अशोक ने लिखवाया था. इस शिलालेख की लिपि ब्राम्ही और भाषा प्राकृत है.


खोजी गई थी गुफाएं

डॉ चित्रगुप्त के मुताबिक, ललितपुर जनपद के देवगढ़ में कुछ ही वर्ष पूर्व बौद्ध गुफाएं खोजीं गयीं हैं. इनमें बेतवा नदी किनारे देवगढ़ पहाड़ी पर चट्टानों को तराश कर महात्मा बुद्ध और संघ से संबंधित विभिन्न घटनाओं को प्रदर्शित किया गया है. इनमें भगवान बुद्ध की दुर्लभ मूर्ति है. जिसमें ध्यानमग्न बुद्ध को केवल्य ज्ञान प्राप्ति से रोकने के लिए विविध तरीके से उन पर अनेक कठिनाइयों का डाला जाना दर्शाया गया है.

झांसी में सुरक्षित है राजकीय संग्रहालय

इतिहासकार डाॅ चित्रगुप्त बताते हैं कि झांसी जिले के एरच में भी विद्वानों के मतानुसार एक बौद्ध मठ था, जो केवल स्त्रियों के लिए ही था. महिलाओं को महात्मा बुद्ध के जीवन काल में ही संघ में शामिल कर लिया गया था. संभवतः उसी रूप में एरच में भी बौद्ध भिक्षुणी और साधिकाओं के लिए मठ बनाया गया होगा. वर्तमान में इसके अवशेष नष्ट हो चुके हैं. बुंदेलखण्ड के ही महोबा जिले में एक टीले की खुदायी से अनेक बौद्ध प्रतिमाएं प्राप्त हुईं थीं, जिसमें से एक राजकीय संग्रहालय झांसी में भी सुरक्षित है.


इसे भी पढ़ें: चौकी इंचार्ज की सर्राफा कारोबारी से बदसलूकी, भाजपा विधायक बोले- हम चूड़ी पहनकर नहीं बैठे हैं

झांसी: पूरी दुनिया को शांति का संदेश देने वाले महात्मा बुद्ध का देश के सभी हिस्सों में सम्मान और प्रभाव था. झांसी के इतिहासकार डॉ चित्रगुप्त बताते हैं कि बुन्देलखण्ड के अलग-अलग क्षेत्रों में बिखरे पड़े ऐतिहासिक साक्ष्य इस बात की पुष्टि करते हैं कि महात्मा बुद्ध के संदेशवाहक इस क्षेत्र में भी आये और बौद्ध धर्म का संदेश प्रचारित किया. इतिहासकार डाॅ चित्रगुप्त के मुताबिक, झांसी से कुछ किलोमीटर की दूरी पर मध्य प्रदेश के दतिया जिले में स्थित गुर्जरा शिलालेख, किसी समय में बौद्ध धर्म के प्रभाव की पुष्टि करता है. इस अभिलेख को महान मौर्य सम्राट अशोक ने लिखवाया था. इस शिलालेख की लिपि ब्राम्ही और भाषा प्राकृत है.


खोजी गई थी गुफाएं

डॉ चित्रगुप्त के मुताबिक, ललितपुर जनपद के देवगढ़ में कुछ ही वर्ष पूर्व बौद्ध गुफाएं खोजीं गयीं हैं. इनमें बेतवा नदी किनारे देवगढ़ पहाड़ी पर चट्टानों को तराश कर महात्मा बुद्ध और संघ से संबंधित विभिन्न घटनाओं को प्रदर्शित किया गया है. इनमें भगवान बुद्ध की दुर्लभ मूर्ति है. जिसमें ध्यानमग्न बुद्ध को केवल्य ज्ञान प्राप्ति से रोकने के लिए विविध तरीके से उन पर अनेक कठिनाइयों का डाला जाना दर्शाया गया है.

झांसी में सुरक्षित है राजकीय संग्रहालय

इतिहासकार डाॅ चित्रगुप्त बताते हैं कि झांसी जिले के एरच में भी विद्वानों के मतानुसार एक बौद्ध मठ था, जो केवल स्त्रियों के लिए ही था. महिलाओं को महात्मा बुद्ध के जीवन काल में ही संघ में शामिल कर लिया गया था. संभवतः उसी रूप में एरच में भी बौद्ध भिक्षुणी और साधिकाओं के लिए मठ बनाया गया होगा. वर्तमान में इसके अवशेष नष्ट हो चुके हैं. बुंदेलखण्ड के ही महोबा जिले में एक टीले की खुदायी से अनेक बौद्ध प्रतिमाएं प्राप्त हुईं थीं, जिसमें से एक राजकीय संग्रहालय झांसी में भी सुरक्षित है.


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