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कोरोना ने छुड़ाई बच्चियों की पढ़ाई, 'बैक टू स्कूल' के जरिए फिर होगी शुरुआत

यूपी के झांसी में बैक टू स्कूल अभियान की शुरुआत की जा रही है. इसके तहत झांसी के बबीना ब्लॉक के दस चयनित गांव में इस बात की पड़ताल होगी कि कोविड के बाद कितने बच्चों का स्कूल जाना छूट गया है. इनमें बालकों और बालिकाओं का प्रतिशत भी जाना जाएगा. प्रारंभिक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि बालिकाओं के स्कूल छूटने की दर अधिक है.

बैक टू स्कूल अभियान की शुरुआत
बैक टू स्कूल अभियान की शुरुआत
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Published : Feb 25, 2021, 5:38 AM IST

Updated : Feb 25, 2021, 6:23 AM IST

झांसी: कोरोना काल के बाद से बहुत सारे बच्चों का स्कूल जाना बंद हो गया है, जिनमें बालिकाओं का औसत बालकों की अपेक्षा काफी अधिक है. झांसी जनपद के बबीना ब्लॉक के दस गांवों में बैक टू स्कूल अभियान के तहत ऐसी बच्चियों को चिह्नित कर उनकी समस्याओं को जानने की कोशिश की जा रही है.साथ ही उन्हें फिर से विद्यालय में प्रवेश दिलाने का लक्ष्य रखा गया है.

बैक टू स्कूल अभियान की शुरुआत.
झांसी के दस गांवों में चलेगा अभियान
शिक्षा अधिकार फोरम ने बुन्देलखण्ड के सातों जिलों में विभिन्न सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर बैक टू स्कूल अभियान की शुरुआत की है. झांसी के बबीना ब्लॉक के दस चयनित गांव में इस बात की पड़ताल होगी कि कोविड के बाद कितने बच्चों का स्कूल जाना छूट गया है. इनमें बालकों और बालिकाओं का प्रतिशत भी जाना जाएगा. प्रारंभिक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि बालिकाओं के स्कूल छूटने की दर अधिक है.
मार्च से जुलाई तक चलेगा अभियान
सामाजिक कार्यकर्ता डॉक्टर ममता जैन ने बताया कि अभियान का लक्ष्य है कि बालिकाओं का ड्राप आउट रेट कम हो और बालिकाएं वापस स्कूल पहुंचे और पढ़ाई शुरू करें. इस अभियान के तहत ड्राप आउट के कारणों को भी जानने की कोशिश की जाएगी. समस्याओं की पड़ताल करने के बाद दूसरे चरण में ग्राम सभा और अभिभावकों के साथ मीटिंग की जाएगी. तीसरे चरण में शिक्षकों के साथ संवाद होगा. उन्होंने बताया कि बैक टू स्कूल अभियान एक मार्च से शुरू होगा और जुलाई महीने में जब तक स्कूलों में प्रवेश होते रहेंगे, अभियान जारी रहेगा.

झांसी: कोरोना काल के बाद से बहुत सारे बच्चों का स्कूल जाना बंद हो गया है, जिनमें बालिकाओं का औसत बालकों की अपेक्षा काफी अधिक है. झांसी जनपद के बबीना ब्लॉक के दस गांवों में बैक टू स्कूल अभियान के तहत ऐसी बच्चियों को चिह्नित कर उनकी समस्याओं को जानने की कोशिश की जा रही है.साथ ही उन्हें फिर से विद्यालय में प्रवेश दिलाने का लक्ष्य रखा गया है.

बैक टू स्कूल अभियान की शुरुआत.
झांसी के दस गांवों में चलेगा अभियान
शिक्षा अधिकार फोरम ने बुन्देलखण्ड के सातों जिलों में विभिन्न सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर बैक टू स्कूल अभियान की शुरुआत की है. झांसी के बबीना ब्लॉक के दस चयनित गांव में इस बात की पड़ताल होगी कि कोविड के बाद कितने बच्चों का स्कूल जाना छूट गया है. इनमें बालकों और बालिकाओं का प्रतिशत भी जाना जाएगा. प्रारंभिक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि बालिकाओं के स्कूल छूटने की दर अधिक है.
मार्च से जुलाई तक चलेगा अभियान
सामाजिक कार्यकर्ता डॉक्टर ममता जैन ने बताया कि अभियान का लक्ष्य है कि बालिकाओं का ड्राप आउट रेट कम हो और बालिकाएं वापस स्कूल पहुंचे और पढ़ाई शुरू करें. इस अभियान के तहत ड्राप आउट के कारणों को भी जानने की कोशिश की जाएगी. समस्याओं की पड़ताल करने के बाद दूसरे चरण में ग्राम सभा और अभिभावकों के साथ मीटिंग की जाएगी. तीसरे चरण में शिक्षकों के साथ संवाद होगा. उन्होंने बताया कि बैक टू स्कूल अभियान एक मार्च से शुरू होगा और जुलाई महीने में जब तक स्कूलों में प्रवेश होते रहेंगे, अभियान जारी रहेगा.
Last Updated : Feb 25, 2021, 6:23 AM IST
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