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झांसी: लॉकडाउन में छिना महिलाओं का रोजगार, DM से लगाई मदद की गुहार

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Published : Apr 11, 2020, 1:00 PM IST

यूपी के झांसी जिले में लॉकडाउन के कारण लोगों की हालत खराब है. शुरुआत के दिन तो जैसे-तैसे निकल गए, लेकिन अब लोगों के सामने राशन की समस्या खड़ी हो गई है. जिले में लगभग 40 महिलाएं इन्हीं समस्याओं को लेकर जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचीं, लेकिन उनकी मुलाकात जिलाधिकारी से नहीं हो सकी.

लॉकडाउन में छिना महिलाओं का रोजगार
लॉकडाउन में छिना महिलाओं का रोजगार

झांसी: कोरोना के कारण देशभर में लॉकडाउन लागू है. लोगों से घरों में ही रहने की अपील की जा रही है. लॉकडाउन की वजह से बड़ी संख्या में लोगों के रोजगार चले गए हैं. विशेषज्ञों की मानें तो 80 फीसदी ऐसे दैनिक मजदूर हैं, जिनका राशन 14 अप्रैल से पहले ही पूरा खत्म हो जाएगा. ऐसा ही एक मामला डीएम ऑफिस में देखने को मिला. यहां तकरीबन 40 महिलाएं एक साथ सरकारी मदद की आस में जिलाधिकारी से मिलने पहुंचीं, लेकिन दुर्भाग्य से उनकी मुलाकात डीएम से नहीं हो सकी.

जानकारी देती महिलाएं.

सोशल डिस्टेंसिंग पर उठा सवाल
जिलाधिकारी कार्यालय में ये सभी एक पास ही बैठी थीं, जिससे सोशल डिस्टेंसिंग की बात पर भी सवाल खड़ा हो रहा था. डीएम ऑफिस पहुंचीं प्राइवेट जॉब करने वाली रागिनी तिवारी ने बताया कि लॉकडाउन के बाद 8-10 दिन जैसे-तैसे निकल गए, लेकिन अब हमारे घर का हर सदस्य परेशान है. हमारे घर में आठ सदस्य हैं. हम जिलाधिकारी से उम्मीद लेकर आए हैं कि वह हमें 10-15 दिन का राशन दिलाएंगे.

बिना राशन कैसे खाएंगे खाना
वहीं लक्ष्मी बताती हैं कि हमारे परिवार में 10 सदस्य हैं. लॉकडाउन के चलते काम पूरी तरह से बंद हो गया है. अब हमारी स्थिति भुखमरी की कगार पर पहुंच गई है. प्रशासन की ओर से हमारे घर तक कोई भी सरकारी मदद नहीं पहुंचाई गई है. हम जिलाधिकारी से कहने आए हैं कि हमारे लिए कुछ खाने-पीने की व्यवस्था करा दें, जिससे हमारे बच्चे पल जाएं और हमारा पेट भर जाए. लक्ष्मी ने बताया कि हमने इसकी शिकायत लखनऊ तक पहुंचाई, लेकिन हमारी कोई सुनवाई नहीं हुई. मोहल्ले में खिचड़ी बंटने आई भी तो वह भी हमारे घर तक नहीं पहुंच पाई.

बिना मिले चले गए जिलाधिकारी
वहीं कपूर टेकरी की रहने वाली अंगूरी कहती हैं कि घर में छोटे-छोटे बच्चे हैं. उन तक सरकारी राशन नहीं पहुंचाया जा रहा है. जब उन्होंने राशन के लिए ठेकेदार से कहा तो वह पैसे मांगने लगा. बता दें कि ये महिलाएं कई घंटों तक जिलाधिकारी कार्यालय में बैठी रहीं. डीएम आंद्रे वामसी कुछ देर के लिए कार्यालय कैंपस में आए भी, लेकिन इनसे मिले बगैर चले गए. फिलहाल इन्हें किसी भी तरह की सरकारी मदद का आश्वासन नहीं मिला है.

झांसी: कोरोना के कारण देशभर में लॉकडाउन लागू है. लोगों से घरों में ही रहने की अपील की जा रही है. लॉकडाउन की वजह से बड़ी संख्या में लोगों के रोजगार चले गए हैं. विशेषज्ञों की मानें तो 80 फीसदी ऐसे दैनिक मजदूर हैं, जिनका राशन 14 अप्रैल से पहले ही पूरा खत्म हो जाएगा. ऐसा ही एक मामला डीएम ऑफिस में देखने को मिला. यहां तकरीबन 40 महिलाएं एक साथ सरकारी मदद की आस में जिलाधिकारी से मिलने पहुंचीं, लेकिन दुर्भाग्य से उनकी मुलाकात डीएम से नहीं हो सकी.

जानकारी देती महिलाएं.

सोशल डिस्टेंसिंग पर उठा सवाल
जिलाधिकारी कार्यालय में ये सभी एक पास ही बैठी थीं, जिससे सोशल डिस्टेंसिंग की बात पर भी सवाल खड़ा हो रहा था. डीएम ऑफिस पहुंचीं प्राइवेट जॉब करने वाली रागिनी तिवारी ने बताया कि लॉकडाउन के बाद 8-10 दिन जैसे-तैसे निकल गए, लेकिन अब हमारे घर का हर सदस्य परेशान है. हमारे घर में आठ सदस्य हैं. हम जिलाधिकारी से उम्मीद लेकर आए हैं कि वह हमें 10-15 दिन का राशन दिलाएंगे.

बिना राशन कैसे खाएंगे खाना
वहीं लक्ष्मी बताती हैं कि हमारे परिवार में 10 सदस्य हैं. लॉकडाउन के चलते काम पूरी तरह से बंद हो गया है. अब हमारी स्थिति भुखमरी की कगार पर पहुंच गई है. प्रशासन की ओर से हमारे घर तक कोई भी सरकारी मदद नहीं पहुंचाई गई है. हम जिलाधिकारी से कहने आए हैं कि हमारे लिए कुछ खाने-पीने की व्यवस्था करा दें, जिससे हमारे बच्चे पल जाएं और हमारा पेट भर जाए. लक्ष्मी ने बताया कि हमने इसकी शिकायत लखनऊ तक पहुंचाई, लेकिन हमारी कोई सुनवाई नहीं हुई. मोहल्ले में खिचड़ी बंटने आई भी तो वह भी हमारे घर तक नहीं पहुंच पाई.

बिना मिले चले गए जिलाधिकारी
वहीं कपूर टेकरी की रहने वाली अंगूरी कहती हैं कि घर में छोटे-छोटे बच्चे हैं. उन तक सरकारी राशन नहीं पहुंचाया जा रहा है. जब उन्होंने राशन के लिए ठेकेदार से कहा तो वह पैसे मांगने लगा. बता दें कि ये महिलाएं कई घंटों तक जिलाधिकारी कार्यालय में बैठी रहीं. डीएम आंद्रे वामसी कुछ देर के लिए कार्यालय कैंपस में आए भी, लेकिन इनसे मिले बगैर चले गए. फिलहाल इन्हें किसी भी तरह की सरकारी मदद का आश्वासन नहीं मिला है.

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