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जौनपुर के विनोद को सराह रहे लोग, जाने क्यों

उत्तर प्रदेश के जौनपुर में त्रिलोचन गांव के विनोद कुमार छुट्टा पशुओं को पकड़कर पालते हैं. गांव के किसान उनकी इस पहल पर उन्हें खूब सराह रहे हैं.

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विनोद
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Published : Jan 7, 2020, 5:51 PM IST

जौनपुर: त्रिलोचन गांव में आवारा पशुओं को पकड़कर पालने का काम करने वाले विनोद को लोग खूब सराह रहे हैं. वह आवारा पशुओं को खुद पालते हैं और उनकी सेवा भी करते हैं. लोगों का कहना है कि विनोद के इस काम से गांव में आवार पशुओं से होने वाली फसल की बर्बादी कम हुई है. विनोद 40 से ज्यादा आवारा और बेसहारा पशुओं की सेवा करते हैं.

पशुओं की सेवा करने वाले युवक.

गांव वालों का क्या है कहना
रमजीत सरोज बताते हैं कि विनोद की इस पहल से आसपास के किसान काफी खुशहाल हैं क्योंकि यह आवारा पशु अब उनकी फसल को नष्ट करने का काम नहीं करते हैं. विनोद की इस पहल से अब उनकी फसल लहरा रही है और किसान भी खुश हैं. लोगों का कहना है कि सरकार को आगे आकर ऐसे लोगों की मदद करनी चाहिए जिससे इस समस्या का निदान हो सके.

इसे भी पढ़ें - जौनपुरः ठंड से पशुओं की मौत के चलते गोशाला बनी कब्रिस्तान

हम बेसहारा आश्रित पशुओं एवं अस्थाई गौशाला में लगे सरकारी टैग वाले पशु को चराने का काम करते हैं. ये पशु ऐसे हैं, जिनका लोग दूध निकाल कर छोड़ देते हैं, हम उन्हें पालते हैं. इनमें कुछ पशु ऐसे है, जिसमें आधा लीटर से एक लीटर दूध मिल जाता है. हमें कोई सरकारी मदद नहीं मिलती है, फिर भी हम दिन रात पशु की सेवा करते रहते हैं.
- विनोद कुमार, पशु सेवक

जौनपुर: त्रिलोचन गांव में आवारा पशुओं को पकड़कर पालने का काम करने वाले विनोद को लोग खूब सराह रहे हैं. वह आवारा पशुओं को खुद पालते हैं और उनकी सेवा भी करते हैं. लोगों का कहना है कि विनोद के इस काम से गांव में आवार पशुओं से होने वाली फसल की बर्बादी कम हुई है. विनोद 40 से ज्यादा आवारा और बेसहारा पशुओं की सेवा करते हैं.

पशुओं की सेवा करने वाले युवक.

गांव वालों का क्या है कहना
रमजीत सरोज बताते हैं कि विनोद की इस पहल से आसपास के किसान काफी खुशहाल हैं क्योंकि यह आवारा पशु अब उनकी फसल को नष्ट करने का काम नहीं करते हैं. विनोद की इस पहल से अब उनकी फसल लहरा रही है और किसान भी खुश हैं. लोगों का कहना है कि सरकार को आगे आकर ऐसे लोगों की मदद करनी चाहिए जिससे इस समस्या का निदान हो सके.

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हम बेसहारा आश्रित पशुओं एवं अस्थाई गौशाला में लगे सरकारी टैग वाले पशु को चराने का काम करते हैं. ये पशु ऐसे हैं, जिनका लोग दूध निकाल कर छोड़ देते हैं, हम उन्हें पालते हैं. इनमें कुछ पशु ऐसे है, जिसमें आधा लीटर से एक लीटर दूध मिल जाता है. हमें कोई सरकारी मदद नहीं मिलती है, फिर भी हम दिन रात पशु की सेवा करते रहते हैं.
- विनोद कुमार, पशु सेवक

Intro:जौनपुर | उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनते हैं अचानक बेसहारा, छुट्टा पशुओं की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. इन पशुओ से सबसे ज्यादा परेशान किसान है. जो उनकी मेहनत से तैयार फसल पलभर में साफ खा कर नष्ट कर देते थे. जिससे निजात दिलाने के लिए सरकार ने ब्लॉक स्तर पर अस्थाई गौशाला का निर्माण कराने का निर्देश दिया. गौशालाओं में को चलाने के लिए सरकार ने प्रति पशु को ₹30 खर्चा निर्धारित किया. ठंड में गौशालाओं में पशुओ की मौत की संख्या भी बढ़ रहा है. दूसरी तरफ इन समस्याओं को देखते हुए जौनपुर के त्रिलोचन एरिया के विनोद कुमार यादव आवारा, छुट्टा घूमते पशुओ को पकड़ कर पालने का काम किया जा रहा है. जिससे किसानों की फसल नष्ट होने से बचाया भी जा रहा है. विनोद की इस पहल पर लोगों द्वारा सहारा ना किया जा रहा है और ऐसे लोगों को बढ़ावा देने के लिए सरकार को नया कदम उठाने की जरूरत की बात कर रहे है.

Body:वीओ - जौनपुर के त्रिलोचन गांव के विनोद कुमार यादव द्वारा छुट्टा एवं आवारा पशुओं को पालने का काम किया जाता है. इसमें अस्थाई गौशाला के टैग लगे पशु, लोगों द्वारा कमजोर एवं आश्रित पशु जो छोड़ें जाने वाले है. इन बेसहारा पशुओं की संख्या 40 के आसपास है. जिसे विनोद पालन पोषण करते है. यह सुबह से सभी पशुओं को लेकर दिन भर चराने का काम करते हैं. शाम को जो पशु दूध आधा से एक लीटर देते है. उन्हीं के सहारे खर्चा यापन करने का काम किया जाता है. रामजीत सरोज बताते है की विनोद की इस पहल से आसपास के किसान काफी खुशहाल है क्योंकि यह आवारा पशु अब उनकी फसल को नष्ट करने का काम नहीं करते है. विनोद की इस पहल से अब उनके फसल लहरा रहे हैं और किसान भी खुश है. लोगों का कहना है कि सरकार को आगे आकर ऐसे लोगों की मदद करनी चाहिए जिससे इस समस्या का निदान हो सकें.


Conclusion:विनोद कुमार यादव ने बताया कि हम बेसहारा आश्रित पशुओ एवं अस्थाई गौशाला में लगें सरकारी टैग वाले पशु
को चराने का काम करते हैं. ये पशु ऐसे हैं लोग इनका दूध निकाल कर इन्हें छोड़ देते हैं हम उन्हें पालते हैं. इनसे जो कुछ पशु ऐसे है जिसमें आधा लीटर से एक लीटर दूध मिल जाता हैं उसी से हम काम चलाते हैं. विनोद कुमार ने बताया कि हमें कोई सरकारी मदद नहीं मिलती है फिर भी हम दिन रात पशु के सेवा निरंतर करते रहते हैं.

बाईट - विनोद कुमार - आवारा , छुट्टा पशु सेवक

बाईट - रामजीत सरोज - स्थानीय नागरिक

Notes - खबर रैप से भेजी गई है

Thanks & Regards
Surendra Kumar Gupta
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