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जौनपुर: भारतीय रेल की अव्यवस्थाओं से परेशान हुए प्रवासी मजदूर

उत्तर प्रदेश के जौनपुर में ट्रेनों से वापस लौट रहे प्रवासी मजदूरों ने बताया कि ट्रेन में उन्हें कोई सुविधा नहीं मिली. यहां तक की रास्ते में खाने-पीने की भी कोई व्यवस्था नहीं की गई. दूसरी ओर जब ने बस से सफर कर रहे हैं तो वहां भी सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान नहीं रखा जा रहा है.

no arrangements for migrants
प्रवासियों के लिए नहीं कोई व्यवस्था
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Published : May 28, 2020, 5:06 PM IST

जौनपुर: देश में कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है. इसके कारण संख्या भी अब डेढ़ लाख को पार कर चुकी है, लेकिन वहीं अब प्रवासी मजदूरों को ले जाने वाली ट्रेनों की रफ्तार काफी सुस्त हो गई है. इन मजदूरों को घरों तक पहुंचाने वाली बसों में सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन नहीं हो रहा है. हालांकि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद अपने बयान में माना है कि मुंबई से आने वाले 75 फीसदी लोगों में कोरोना का संक्रमण है. इसके बावजूद यह लापरवाही की जा रही है.

प्रवासियों के लिए नहीं कोई व्यवस्था

जिले में प्रतिदिन 8 से 10 ट्रेनें प्रवासी मजदूरों को लेकर पहुंच रही हैं. वहीं मुंबई से आने वाली ट्रेन को पहले यहां पहुचने में 24 घंटे से कम समय लगता था, लेकिन अब ट्रेनें तीन से चार दिन में पहुंच रही हैं. वहीं ट्रेनों से सफर कर रहे यात्रियों को भूख प्यास से परेशान होना पड़ रहा है.

इन दिनों उत्तर भारत में भयंकर गर्मी पड़ रही है. इसके कारण ट्रेनों में यात्रा करना अब काफी मुसीबत भरा सफर है क्योंकि ट्रेनों में न तो पानी की व्यवस्थाहै और न ही खाने की. ट्रेनों से उतर कर यात्रियों को ले जाने वाली बसों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा है.

ट्रेन से मुंबई से जौनपुर पहुंचे अवधेश शुक्ला बताते हैं कि उन्हें जौनपुर पहुंचने में 3 दिन लग गए. वे बताते हैं कि उन्हें केवल एक बार जबलपुर में नाश्ता दिया गया था. वे सब पानी और भूख से परेशान हैं. वहीं इन बसों में भी किसी भी तरीके की सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा है. मुंबई से जौनपुर पहुंचे यात्री हौसला प्रसाद ने बताया कि इस गर्मी में न तो ट्रेन में ढंग से खाना मिला और न ही पानी. बच्चे दूध के लिए तड़प रहे थे तो वहीं इन बसों में भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया जा रहा है.

जौनपुर: देश में कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है. इसके कारण संख्या भी अब डेढ़ लाख को पार कर चुकी है, लेकिन वहीं अब प्रवासी मजदूरों को ले जाने वाली ट्रेनों की रफ्तार काफी सुस्त हो गई है. इन मजदूरों को घरों तक पहुंचाने वाली बसों में सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन नहीं हो रहा है. हालांकि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद अपने बयान में माना है कि मुंबई से आने वाले 75 फीसदी लोगों में कोरोना का संक्रमण है. इसके बावजूद यह लापरवाही की जा रही है.

प्रवासियों के लिए नहीं कोई व्यवस्था

जिले में प्रतिदिन 8 से 10 ट्रेनें प्रवासी मजदूरों को लेकर पहुंच रही हैं. वहीं मुंबई से आने वाली ट्रेन को पहले यहां पहुचने में 24 घंटे से कम समय लगता था, लेकिन अब ट्रेनें तीन से चार दिन में पहुंच रही हैं. वहीं ट्रेनों से सफर कर रहे यात्रियों को भूख प्यास से परेशान होना पड़ रहा है.

इन दिनों उत्तर भारत में भयंकर गर्मी पड़ रही है. इसके कारण ट्रेनों में यात्रा करना अब काफी मुसीबत भरा सफर है क्योंकि ट्रेनों में न तो पानी की व्यवस्थाहै और न ही खाने की. ट्रेनों से उतर कर यात्रियों को ले जाने वाली बसों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा है.

ट्रेन से मुंबई से जौनपुर पहुंचे अवधेश शुक्ला बताते हैं कि उन्हें जौनपुर पहुंचने में 3 दिन लग गए. वे बताते हैं कि उन्हें केवल एक बार जबलपुर में नाश्ता दिया गया था. वे सब पानी और भूख से परेशान हैं. वहीं इन बसों में भी किसी भी तरीके की सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा है. मुंबई से जौनपुर पहुंचे यात्री हौसला प्रसाद ने बताया कि इस गर्मी में न तो ट्रेन में ढंग से खाना मिला और न ही पानी. बच्चे दूध के लिए तड़प रहे थे तो वहीं इन बसों में भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया जा रहा है.

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