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जब शिक्षकों को ही नहीं आती है अंग्रेजी तो कैसे पढ़ेगा इंडिया ?

यूपी के जौनपुर में इंग्लिश मीडियम के परिषदीय स्कूलों का शिक्षण का स्तर सुधरने का नाम नहीं ले रहा. यहां पांचवी में पढ़ने वाले बच्चे अंग्रेजी में अपना नाम तक नहीं लिख पाते. वहीं शिक्षकों को भी फ्यूचर और नेचर की स्पेलिंग तक नहीं पता.

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Published : Mar 7, 2020, 2:43 PM IST

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बेलाव प्राथमिक स्कूल जौनपुर.

जौनपुर: प्रदेश सरकार ने परिषदीय स्कूलों में अंग्रेजी का स्तर सुधारने के लिए ब्लॉक स्तर पर इंग्लिश मीडियम के परिषदीय स्कूलों की शुरुआत की है. लेकिन जब इन स्कूलों के शिक्षकों को अंग्रेजी की बेसिक चीजे तक नहीं पता वो बच्चों को क्या सिखाएंगे. मामला जौनपुर के बेलाव प्राथमिक स्कूल का है. ईटीवी भारत की टीम जब इस स्कूलों की स्थिति का जायजा लेने पहुंची. इस दौरान जो तस्वीर सामने वो निश्चित ही सरकार के प्रयासों पर पलीता लगाने वाली है. प्रदेश की योगी सरकार परिषदीय स्कूलों में अंग्रेजी के शिक्षण के स्तर को सुधारने के लिए काफी जोर दे रही है. फिर भी जौनपुर में कई स्कूलों का शिक्षण का स्तर आज भी अच्छा नहीं है.

देखें वीडियो

सफेद हाथी सबित हो रहे महंगे शिक्षक
इंग्लिश माध्यम के मॉडल स्कूल स्थापित करने का सरकार का यही लक्ष्य है कि छात्रों को कॉन्वेंट स्कूलों की तर्ज पर अच्छी शिक्षा दी जाए. इसके लिए सरकार ने परिषदीय स्कूलों में बच्चों को अच्छे शिक्षण के लिए महंगे शिक्षक भी तैनात किए हैं, लेकिन यह शिक्षक सफेद हाथी साबित हो रहे हैं.

5 वीं के बच्चे नहीं लिख पाते अपना नाम
बता दें कि प्रदेश सरकार परिषदीय स्कूल के शिक्षकों को अच्छा वेतन और तमाम स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कर रही है. इसके बावजूद कुछ शिक्षकों की अज्ञानता छात्रों पर भारी पड़ रही है. हालात यह है कि कक्षा 4 और 5 के बच्चे अपना नाम तक नहीं लिख पाते.

प्रधानाध्यापक ने बच्चों पर डाली जिम्मेदारी
स्कूल के प्रधानाध्यापक अतुल सिंह ने भी स्कूल के खराब पठन-पाठन जिम्मेदारी बच्चों पर ही डाल दी. उन्होंने कहा कि बच्चे नियमित रुप से स्कूल नहीं आते, हम तो पूरा प्रयास कर रहे हैं बच्चों को फर्राटेदार अंग्रेजी सिखाने का.

यह भी पढ़ें- सुनो सरकार! ग्यास अहमद की वतन वापसी की परिवार लगा रहा गुहार

ईटीवी भारत की पड़ताल में सवंसा प्राथमिक विद्यालय मैं भी यही हाल देखने को मिला. यहां शिक्षिका सुष्मिता सिंह छात्रों के भविष्य को लेकर काफी चिंतित नजर आई, लेकिन जब उनसे फ्यूचर की स्पेलिंग पूछी गई. तो वह पीछे हट गईं, शिक्षिका ने कहा कि उन्हें घबराहट हो रही है.

शिक्षकों को दी जाएगी ट्रेनिंग
इस विषय पर खंड शिक्षा अधिकारी अशोक यादव ने बताया कि ट्रेनिंग के मदद से भी स्कूलों में अच्छी अंग्रेजी शिक्षण का प्रयास हो रहा है. शिक्षकों को भी ट्रेनिंग के माध्यम से इंग्लिश स्पीकिंग का ज्ञान दिया जाएगा, जिससे शिक्षकों को बच्चों को सिखाने में कोई समस्या न हो.

जौनपुर: प्रदेश सरकार ने परिषदीय स्कूलों में अंग्रेजी का स्तर सुधारने के लिए ब्लॉक स्तर पर इंग्लिश मीडियम के परिषदीय स्कूलों की शुरुआत की है. लेकिन जब इन स्कूलों के शिक्षकों को अंग्रेजी की बेसिक चीजे तक नहीं पता वो बच्चों को क्या सिखाएंगे. मामला जौनपुर के बेलाव प्राथमिक स्कूल का है. ईटीवी भारत की टीम जब इस स्कूलों की स्थिति का जायजा लेने पहुंची. इस दौरान जो तस्वीर सामने वो निश्चित ही सरकार के प्रयासों पर पलीता लगाने वाली है. प्रदेश की योगी सरकार परिषदीय स्कूलों में अंग्रेजी के शिक्षण के स्तर को सुधारने के लिए काफी जोर दे रही है. फिर भी जौनपुर में कई स्कूलों का शिक्षण का स्तर आज भी अच्छा नहीं है.

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सफेद हाथी सबित हो रहे महंगे शिक्षक
इंग्लिश माध्यम के मॉडल स्कूल स्थापित करने का सरकार का यही लक्ष्य है कि छात्रों को कॉन्वेंट स्कूलों की तर्ज पर अच्छी शिक्षा दी जाए. इसके लिए सरकार ने परिषदीय स्कूलों में बच्चों को अच्छे शिक्षण के लिए महंगे शिक्षक भी तैनात किए हैं, लेकिन यह शिक्षक सफेद हाथी साबित हो रहे हैं.

5 वीं के बच्चे नहीं लिख पाते अपना नाम
बता दें कि प्रदेश सरकार परिषदीय स्कूल के शिक्षकों को अच्छा वेतन और तमाम स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कर रही है. इसके बावजूद कुछ शिक्षकों की अज्ञानता छात्रों पर भारी पड़ रही है. हालात यह है कि कक्षा 4 और 5 के बच्चे अपना नाम तक नहीं लिख पाते.

प्रधानाध्यापक ने बच्चों पर डाली जिम्मेदारी
स्कूल के प्रधानाध्यापक अतुल सिंह ने भी स्कूल के खराब पठन-पाठन जिम्मेदारी बच्चों पर ही डाल दी. उन्होंने कहा कि बच्चे नियमित रुप से स्कूल नहीं आते, हम तो पूरा प्रयास कर रहे हैं बच्चों को फर्राटेदार अंग्रेजी सिखाने का.

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ईटीवी भारत की पड़ताल में सवंसा प्राथमिक विद्यालय मैं भी यही हाल देखने को मिला. यहां शिक्षिका सुष्मिता सिंह छात्रों के भविष्य को लेकर काफी चिंतित नजर आई, लेकिन जब उनसे फ्यूचर की स्पेलिंग पूछी गई. तो वह पीछे हट गईं, शिक्षिका ने कहा कि उन्हें घबराहट हो रही है.

शिक्षकों को दी जाएगी ट्रेनिंग
इस विषय पर खंड शिक्षा अधिकारी अशोक यादव ने बताया कि ट्रेनिंग के मदद से भी स्कूलों में अच्छी अंग्रेजी शिक्षण का प्रयास हो रहा है. शिक्षकों को भी ट्रेनिंग के माध्यम से इंग्लिश स्पीकिंग का ज्ञान दिया जाएगा, जिससे शिक्षकों को बच्चों को सिखाने में कोई समस्या न हो.

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