जौनपुरः आधुनिकता के दौर में बहुत कुछ बदल रहा है. सड़कों पर पहले जहां बड़ी संख्या में पैर से चलने वाले साइकिल रिक्शे दिखाई देते थे, आज वह गायब हो रहे हैं. सड़कों पर धड़ल्ले से चल रहे बैटरी चलित रिक्शों ने इन साइकिल रिक्शा चालकों का रोजगार छीन लिया है.
खत्म होता रिक्शों का चलनः
कभी शहर की सड़कों पर साइकिल रिक्शें की घंटियों की ट्रिंग-ट्रिंग की आवाज लोगों को खूब सुनाई पड़ती थी. अब यह आवाज सुनाई देना बंद हो रही है. क्योंकि सड़कों पर दौड़ने वाले साइकिल रिक्शे अब केवल गिनती के रह गए हैं. जौनपुर की सड़कों पर पहले सैकड़ों की संख्या में रिक्शा चलते थे. आज पूरे शहर में केवल दो दर्जन रिक्शे ही बचे हैं. इन रिक्शों को चलाने वाले बुजुर्ग हैं. क्योंकि अब युवा साइकिल रिक्शें को नहीं चलाना चाहते. युवाओं की पहली पसंद बैटरी चलित रिक्शा है. वहीं सड़कों पर बैटरी चलित रिक्शों की भरमार है. जिसकी वजह से अब साइकिल रिक्शा चालक बेरोजगार हो रहे हैं.
घर चलाना भी हो रहा है मुश्किलः
साइकिल रिक्शा चालक विश्वनाथ ने बताया कि पहले वह रिक्शा चलाकर 400 से 500 रुपये तक कमा लेते थे लेकिन आज उन्हें 100 रुपये भी कमाना मुश्किल पड़ रहा है. बैटरी चलित रिक्शा ने उनका रोजगार छीन लिया है. जिले में बैटरी से चलने वाले रिक्शे की भरमार की वजह से अब सवारियां साइकिल रिक्शों पर बैठना पसंद नहीं करती हैं, क्योंकि इनका किराया महंगा पड़ता है. वहीं धीरे चलने की वजह से इनमें समय भी ज्यादा लगता है.