जौनपुर: गरीबों के लिए कोरोना महामारी किसी बड़े अकाल से कम नहीं है. ऐसे समय में जब वह न तो कुछ कर सकते हैं और न ही परिवार का पेट पालने के लिए 2 जून की रोटी जुटा सकते हैं. वहीं सरकार गरीबों के लिए राशन और उनके खाते में सहायता की 1000 रुपये की रकम भी भेज रही है, लेकिन इसके बावजूद भी आज ऐसे बहुत से गरीब हैं, जो कि सरकार की इन योजनाओं का फायदा नहीं उठा पा रहे हैं. यह स्थानीय लोगों की मदद और सरकार के कम्युनिटी किचन से पकने वाले भोजन के भरोसे हैं.
दो जून की रोटी पाना हुआ मुश्किल
जौनपुर में बांसफोर समाज के लोग इन दिनों बड़ी मुसीबत में है, क्योंकि इन लोगों का काम ही बांस से टोकरिया बनाना होता है, जिसको ये बाजार में बेचते हैं. लेकिन इन दिनों न तो बाजार खुले हैं और न ही इनके सामानों की मांग है. ऐसे में इन्हें दो जून की रोटी भी मुश्किल से मिल पा रही है.
बांसफोर समाज के लोगों को कम्युनिटी किचन के माध्यम से एक वक्त का खाना मिल रहा है, लेकिन यह खाना भी उनका पेट भर नहीं पाता है. दो जून में से केवल एक वक्त खाकर ही किसी तरह गुजारा कर रहे हैं. जबकि जौनपुर में 15 कम्युनिटी किचन के माध्यम से गरीबों और भूखे बेसहारा लोगों को खाना उपलब्ध कराए जाने की योजना है.
क्या कहते हैं लोग
बांसफोर समाज के शिवमुनि बताते हैं कि उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही है. कम्युनिटी किचन के माध्यम से केवल एक टाइम का ही खाना मिल रहा है. ऐसे में उनका पेट भरना भी मुश्किल हो रहा है. वह एक वक्त का खाना खाकर जिंदा हैं.
पन्ना बताते हैं कि उन्हें इन दिनों काफी परेशानी है. न तो काम है और न ही परिवार का पेट भरने का कोई साधन है. घरों में अनाज भी नहीं है. ऐसे में उन्हें मिलने वाला खाना भी पूरा नहीं बैठता है.
सविता बताती हैं कि भूख से उनके बच्चे परेशान हैं. वहीं न तो उन्हें कोई मदद मिल रही है और न ही खाने के लिए पर्याप्त भोजन मिला है. ऐसे में वह कैसे जिंदा रहे.
'कोई चिंता न करें, सब तक पहुंचेगी मदद'
जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह ने बताया जिले में राशन की कोई कमी नहीं है. सरकार ने 3 महीने तक गरीबों को मुफ्त राशन देने की योजना बनाई है. ऐसे में किसी को भी कोई चिंता करने की जरूरत नहीं है जो लोग छूटे हैं उनको चिन्हित करके उन तक मदद पहुंचाई जा रही है. लेकिन अब देखने वाली बात है, कि इन गरीबों को भर पेट भोजन का राशन कब तक मिल पाता है.