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जौनपुर: साइकिल से मीलों का सफर तय कर रहे मजदूर

उत्तर प्रदेश के जौनपुर के हाईवे पर मजदूरों का जत्था देखने को मिला. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान उन्होंने अपनी पीड़ा को साझा किया.

laborers facing problem
मजदूरों को हो रही समस्या
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Published : May 21, 2020, 9:13 PM IST

जौनपुर: कोरोना की वैश्विक महामारी के चलते इन दिनों लॉकडाउन का चौथा चरण चल रहा है. ऐसे में प्रवासी मजदूर बड़ी संख्या में उद्योग-धंधे बंद होने से घर जाने को मजबूर हैं. इन दिनों मजदूरों का पलायन बड़ी संख्या में सूरत और मुंबई जैसे बड़े शहरों से हो रहा है. सरकार जहां ट्रेनें चला रही है तो वहीं इनकी संख्या अधिक होने के चलते ये मजदूर अब ट्रकों, बसों और यहां तक की साइकिल से लेकर पैदल तक सफर करने को मजबूर हैं.

मजदूरों को हो रही समस्या

इन मजदूरों के पास खाने-पीने का पैसा तो नहीं है, जिसके कारण इन्हें घर जाने की जल्दी है. सड़कों पर इन दिनों बहुत से मजदूर साइकिल से लंबा सफर तय कर रहे हैं और वह घरों को पहुंच रहे हैं. पुणे से बिहार जा रहे मजदूरों की एक टोली जौनपुर पहुंची तो उन्होंने ईटीवी भारत को बताया कि काम धंधा नहीं था तो खाने-पीने की मुश्किल होने लगी. इस कारण पास बचे कुछ पैसों से उन्होंने नई साइकिल खरीदी और फिर घर के लिए निकल पड़े. 1800 किलोमीटर का सफर इन मजदूरों के लिए नया था, क्योंकि इसके पहले उन्होंने कभी इतना लंबा सफर तय नहीं किया था.

साइकिल लेकर निकल पड़े घर की ओर
इन मजदूरों के सामने कई दिक्कतें आ खड़ी हुई थी. किराए पर रह रहे मजदूरों को मकान मालिक को किराया देना था. साथ परिवार का पेट भी पालना था, जिसके कारण उन्हें पलायन करना पड़ रहा. कई राज्यों से प्रवासी मजदूरों का पलायन तेजी से हो रहा है. इस पलायन को रोकने में सरकार भी अब लाचार है. जौनपुर के हाईवे के रास्तों पर इन दिनों मजदूरों से भरे हुए ट्रक खूब दिखाई देते हैं, जिनमें मजदूर भूसे की तरह भरे हैं.

वहीं कई मजदूर साइकिलओं से लंबा सफर तय कर रहे हैं. कभी किताबों में लंबे-लंबे सफर तय करके रिकॉर्ड बनाए जाते थे, लेकिन आज यह सफर रिकॉर्ड के लिए नहीं बल्कि मजबूरी में मजदूरों को तय करना पड़ रहा हैं. साइकिल से सफर कर रहे मजदूरों ने कभी नहीं सोचा था कि उन्हें एक दिन इतना लंबा सफर तय करना होगा, लेकिन मजबूरी ने सब कुछ करा दिया.

सफर लंबा है और मजदूर बस चलते ही जा रहे हैं
मजदूरों का एक दल साइकिल से सफर तय करते हुए पुणे से जौनपुर पहुंचा. ईटीवी भारत ने उनसे बात की तो उन्होंने बताया कि काम धंधा बंद होने के चलते उन्हें खाने-पीने की भी दिक्कतें होने लगी. ऐसे में उन्होंने पास बचे हुए पैसों से नई साइकिल खरीदी और घर के लिए निकल पड़े. 1800 किलोमीटर का सफर इस गर्मी में काफी मुश्किल भरा है, लेकिन वे बस चलते जा रहे हैं.

लखनऊ से बिहार जा रहे सूरज बताते हैं कि काम धंधा बंद होने से काफी मुश्किलें बढ़ गई थी. इसके कारण उसने साइकिल से घर पहुंचने की सोची. वहीं पास में पैसे बिल्कुल खत्म हो गए थे तो रास्ते में चलते हुए पुलिस वालों ने उसे मास्क लगाने के लिए भी टोका. वहीं उसने अपना टीशर्ट की बांह को फाड़कर मास्क बनाया और आगे चल पड़ा.

मुंबई से बिहार जा रहे मजदूर राम प्रसाद बताते हैं कि वहां कोरोना काफी तेजी से फैल रहा था. इस कारण काम धंधे बंद हो गए, जिसके कारण उन्हें साधन नहीं मिला तो वे साइकिल से घर जाने के लिए निकल पड़े. वे 8 दिनों से लगातार साइकिल चला रहे हैं और अभी भी लंबा सफर बाकी है.

पुणे से मुंगेर जा रहे 5 मजदूरों का एक दल जौनपुर पहुंचा. इस दल के गणेश कुमार बताते हैं की काम धंधा बंद होने के चलते काफी मुश्किल हो रही थी. इस कारण वह घर जाने के लिए काफी प्रयास किया, लेकिन जब कोई साधन नहीं मिला तो उसके साथ के लोगों ने पास बचे हुए कुछ पैसों से नई साइकिल खरीदी और घर के लिए निकल पड़े. एक महीना हो गया अभी केवल जौनपुर पहुंचे हैं. इस दौरान रास्ते में उन्हें 25 दिनों के लिए क्वारंटाइन भी किया गया था.

जौनपुर: कोरोना की वैश्विक महामारी के चलते इन दिनों लॉकडाउन का चौथा चरण चल रहा है. ऐसे में प्रवासी मजदूर बड़ी संख्या में उद्योग-धंधे बंद होने से घर जाने को मजबूर हैं. इन दिनों मजदूरों का पलायन बड़ी संख्या में सूरत और मुंबई जैसे बड़े शहरों से हो रहा है. सरकार जहां ट्रेनें चला रही है तो वहीं इनकी संख्या अधिक होने के चलते ये मजदूर अब ट्रकों, बसों और यहां तक की साइकिल से लेकर पैदल तक सफर करने को मजबूर हैं.

मजदूरों को हो रही समस्या

इन मजदूरों के पास खाने-पीने का पैसा तो नहीं है, जिसके कारण इन्हें घर जाने की जल्दी है. सड़कों पर इन दिनों बहुत से मजदूर साइकिल से लंबा सफर तय कर रहे हैं और वह घरों को पहुंच रहे हैं. पुणे से बिहार जा रहे मजदूरों की एक टोली जौनपुर पहुंची तो उन्होंने ईटीवी भारत को बताया कि काम धंधा नहीं था तो खाने-पीने की मुश्किल होने लगी. इस कारण पास बचे कुछ पैसों से उन्होंने नई साइकिल खरीदी और फिर घर के लिए निकल पड़े. 1800 किलोमीटर का सफर इन मजदूरों के लिए नया था, क्योंकि इसके पहले उन्होंने कभी इतना लंबा सफर तय नहीं किया था.

साइकिल लेकर निकल पड़े घर की ओर
इन मजदूरों के सामने कई दिक्कतें आ खड़ी हुई थी. किराए पर रह रहे मजदूरों को मकान मालिक को किराया देना था. साथ परिवार का पेट भी पालना था, जिसके कारण उन्हें पलायन करना पड़ रहा. कई राज्यों से प्रवासी मजदूरों का पलायन तेजी से हो रहा है. इस पलायन को रोकने में सरकार भी अब लाचार है. जौनपुर के हाईवे के रास्तों पर इन दिनों मजदूरों से भरे हुए ट्रक खूब दिखाई देते हैं, जिनमें मजदूर भूसे की तरह भरे हैं.

वहीं कई मजदूर साइकिलओं से लंबा सफर तय कर रहे हैं. कभी किताबों में लंबे-लंबे सफर तय करके रिकॉर्ड बनाए जाते थे, लेकिन आज यह सफर रिकॉर्ड के लिए नहीं बल्कि मजबूरी में मजदूरों को तय करना पड़ रहा हैं. साइकिल से सफर कर रहे मजदूरों ने कभी नहीं सोचा था कि उन्हें एक दिन इतना लंबा सफर तय करना होगा, लेकिन मजबूरी ने सब कुछ करा दिया.

सफर लंबा है और मजदूर बस चलते ही जा रहे हैं
मजदूरों का एक दल साइकिल से सफर तय करते हुए पुणे से जौनपुर पहुंचा. ईटीवी भारत ने उनसे बात की तो उन्होंने बताया कि काम धंधा बंद होने के चलते उन्हें खाने-पीने की भी दिक्कतें होने लगी. ऐसे में उन्होंने पास बचे हुए पैसों से नई साइकिल खरीदी और घर के लिए निकल पड़े. 1800 किलोमीटर का सफर इस गर्मी में काफी मुश्किल भरा है, लेकिन वे बस चलते जा रहे हैं.

लखनऊ से बिहार जा रहे सूरज बताते हैं कि काम धंधा बंद होने से काफी मुश्किलें बढ़ गई थी. इसके कारण उसने साइकिल से घर पहुंचने की सोची. वहीं पास में पैसे बिल्कुल खत्म हो गए थे तो रास्ते में चलते हुए पुलिस वालों ने उसे मास्क लगाने के लिए भी टोका. वहीं उसने अपना टीशर्ट की बांह को फाड़कर मास्क बनाया और आगे चल पड़ा.

मुंबई से बिहार जा रहे मजदूर राम प्रसाद बताते हैं कि वहां कोरोना काफी तेजी से फैल रहा था. इस कारण काम धंधे बंद हो गए, जिसके कारण उन्हें साधन नहीं मिला तो वे साइकिल से घर जाने के लिए निकल पड़े. वे 8 दिनों से लगातार साइकिल चला रहे हैं और अभी भी लंबा सफर बाकी है.

पुणे से मुंगेर जा रहे 5 मजदूरों का एक दल जौनपुर पहुंचा. इस दल के गणेश कुमार बताते हैं की काम धंधा बंद होने के चलते काफी मुश्किल हो रही थी. इस कारण वह घर जाने के लिए काफी प्रयास किया, लेकिन जब कोई साधन नहीं मिला तो उसके साथ के लोगों ने पास बचे हुए कुछ पैसों से नई साइकिल खरीदी और घर के लिए निकल पड़े. एक महीना हो गया अभी केवल जौनपुर पहुंचे हैं. इस दौरान रास्ते में उन्हें 25 दिनों के लिए क्वारंटाइन भी किया गया था.

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