जौनपुरः आज के दिन पूरा विश्व पर्यावरण दिवस मना रहा है. गोष्ठियों और सेमिनार में बदलते पर्यावरण की चिंता के साथ आने वाली समय में पर्यावरण के लिए काम करने का संकल्प लिया जा रहा है. जौनपुर की ही बात की जाए तो पिछले साल करीब 60 लाख पौध रोपण हुआ. वहीं इस साल 41 लाख पौधे लगाए जाएंगे.
वन विभाग और सरकारी विभागों के द्वारा भारी संख्या में वृक्षारोपण से जनपद में हरियाली का क्षेत्रफल अब बढ़ने लगा है, जिसके चलते जनपद में 16 फीसदी हरियाली बढ़ी है. यह जनपद के लिए अच्छे संकेत है फिर भी विकास के नाम पर 1 साल के भीतर 10,000 से ज्यादा पेड़ काट दिए गए. वहीं बदलते पर्यावरण के चलते आज जनपद के 8 ब्लॉक गिरते भू-जल स्तर के कारण डार्क जोन में चले गए हैं.
जिले के ग्रामीण इलाकों में बाग के बाग काटे जा रहे हैं. वन विभाग पर हरे पेड़ को काटे जाने से रोकने के लिए जिम्मेदार है, लेकिन जिम्मेदार भी इस ओर कवायद नहीं करते हैं. हाल यह है लकड़ी माफिया बेखौफ होकर पेड़ों पर आरी चला रहे हैं. वहीं जनपद की हरियाली का ग्राफ पिछले 2 सालों में बढ़ा है. क्योंकि इस बीच भारी संख्या में पौध रोपण भी हुआ है.
वहीं इस साल भी 41 लाख पौधे लगाए जाएंगे. इन पौधों में ज्यादातर पौधे देखभाल के अभाव में सूख जाते हैं. अगर लग रहे पौधे का 60 फीसदी भी बचे रहे तो जनपद में हरियाली ही हरियाली दिखेगी. जनपद में मुख्य वन अधिकारी आनंद प्रकाश पाठक बताते हैं कि विकास के नाम पर काफी ज्यादा पेड़ काटे गए हैं, लेकिन उसी अनुपात में लगाए भी जा रहे हैं.
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जनपद में सीवेज की समस्या लगातार बनी हुई है, जिसके चलते नाले खुलेआम गोमती नदी में गिर रहे हैं. 2 दर्जन से अधिक नालों से नदी का पानी प्रदूषित भी हो रहा है. वहीं इसको रोकने के लिए सरकार की तरफ से प्लान तो तैयार किया गया, लेकिन यह प्लान कागजों से बाहर नहीं आ सका. भू-जल की कमी की स्थिति से निपटने के लिए मनरेगा के तहत 303 तालाबों की खुदाई का काम जारी है. वहीं जनपद में बड़ी संख्या में छोटी नदियों चेक डैम बनाने का काम भी किया जा रहा है.