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जौनपुर: ऐतिहासिक धरोहरों को लकड़ी पर उकेरते हैं अशरफ, शबाना आजमी कर चुकी हैं सम्मानित

यूपी के जौनपुर में रहने वाले मो. अशरफ अपने खाली समय में ऐतिहासिक धरोहरों को लकड़ी पर उकेरने का काम करते हैं. जिसके लिए उन्हें अभिनेत्री शबाना आजमी की ओर से सम्मानित भी किया जा चुका है.

historical heritage on wood
लकड़ी पर स्मारकों को उकरने की कला
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Published : Mar 15, 2020, 5:22 AM IST

जौनपुर: जिले में रहने वाले मो. अशरफ जौनपुर की कई ऐतिहासिक धरोहरों को लकड़ी पर उकेर चुके हैं. पेशे से अधिवक्ता मो. अशरफ कई सरकारी प्रोग्रामों में प्रदर्शनी लगाते हैं. जिसके लिए उन्हें सम्मानित भी किया जा चुका है.इन्हें 2004 में फिल्म अभिनेत्री शबाना आजमी ने सम्मानित किया था.

मो. अशरफ शाही किला, शाही मस्जिद, जछरी मस्जिद, चार अंगुल मस्जिद, बड़ी मस्जिद शाहीपुल इन सभी को लकड़ी पर उकरने का काम कर चुके हैं. मो. अशरफ का कहना है कि एक ऐतिहासिक इमारत को बनाने में उन्हें 8-10 महीने लग जाते हैं. जौनपुर की पहचान शाहीपुल बनाने में 18 महीने लग गए थे.

लकड़ी पर उकेरी ऐतिहासिक धरोहरें.

यह भी पढ़ें: सीतापुर: बारिश-ओलावृष्टि से फसलों को भारी नुकसान, 7 की मौत

मो. अशरफ का कहना है कि वह देश दुनिया की प्रसिद्ध इमारतों को लकड़ी पर उकेरना चाहते हैं. साथ ही वह अपने इस काम को करते रहना चाहते हैं. मो. अशरफ इमारतों के अलावा गाड़ी बंगला भी लकड़ी से बनाते हैं. मो. अशरफ का कहना है कि पेशे से वह अधिवक्ता हैं लेकिन उन्हें यह काम करना पसंद है और उनका इस काम को करने का उद्देश्य नष्ट होती इमारतों को बनाए रखना है.

बता दें कि जौनपुर ऐतिहासिक धरोहरों का शहर माना जाता है. जिसमें शासकों की ओर से कई ऐतिहासिक धरोहरों का निर्माण कराया गया था. जिसके अंतर्गत शाही किला, शाही मस्जिद, जछरी मस्जिद, चार अंगुल मस्जिद, बड़ी मस्जिद शाहीपुल का निर्माण हुआ था.

जौनपुर: जिले में रहने वाले मो. अशरफ जौनपुर की कई ऐतिहासिक धरोहरों को लकड़ी पर उकेर चुके हैं. पेशे से अधिवक्ता मो. अशरफ कई सरकारी प्रोग्रामों में प्रदर्शनी लगाते हैं. जिसके लिए उन्हें सम्मानित भी किया जा चुका है.इन्हें 2004 में फिल्म अभिनेत्री शबाना आजमी ने सम्मानित किया था.

मो. अशरफ शाही किला, शाही मस्जिद, जछरी मस्जिद, चार अंगुल मस्जिद, बड़ी मस्जिद शाहीपुल इन सभी को लकड़ी पर उकरने का काम कर चुके हैं. मो. अशरफ का कहना है कि एक ऐतिहासिक इमारत को बनाने में उन्हें 8-10 महीने लग जाते हैं. जौनपुर की पहचान शाहीपुल बनाने में 18 महीने लग गए थे.

लकड़ी पर उकेरी ऐतिहासिक धरोहरें.

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मो. अशरफ का कहना है कि वह देश दुनिया की प्रसिद्ध इमारतों को लकड़ी पर उकेरना चाहते हैं. साथ ही वह अपने इस काम को करते रहना चाहते हैं. मो. अशरफ इमारतों के अलावा गाड़ी बंगला भी लकड़ी से बनाते हैं. मो. अशरफ का कहना है कि पेशे से वह अधिवक्ता हैं लेकिन उन्हें यह काम करना पसंद है और उनका इस काम को करने का उद्देश्य नष्ट होती इमारतों को बनाए रखना है.

बता दें कि जौनपुर ऐतिहासिक धरोहरों का शहर माना जाता है. जिसमें शासकों की ओर से कई ऐतिहासिक धरोहरों का निर्माण कराया गया था. जिसके अंतर्गत शाही किला, शाही मस्जिद, जछरी मस्जिद, चार अंगुल मस्जिद, बड़ी मस्जिद शाहीपुल का निर्माण हुआ था.

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