जौनपुर : योगी सरकार में भ्रष्टाचार के खिलाफ कवायद जारी है. इसके बावजूद जिले में फर्जी नियुक्ती और वेतन गबन का मामला सामने आया है. जिले के संस्कृत विद्यालयों में खाली पड़े पदों पर हैं, जिसका फायदा अधिकारी उठा रहे हैं. जिले के ही एक संस्कृत विद्यालय में फर्जी नियुक्तियों के नाम पर हर माह लाखों रुपये गबन किए जाने की बात सामने आई है.
जिले में मड़ियाहूं के पास मोकलपुर में 1937 में स्थापित लक्ष्मीनारायण संस्कृत महाविद्यालय है. साल 2003 में विद्यालय के मैनेजर ने 5 शिक्षकों की तैनाती की थी, लेकिन इन शिक्षकों को आज तक वेतन जारी नहीं हुआ. इस महाविद्यालय के मैनेजर त्रिभुवन तिवारी को कमेटी ने चुना है, जिसको अधिकारियों ने भी माना है. अब इस महाविद्यालय में पिछले दिनों 9 नियुक्तियां कर दी गईं. यह नियुक्तियां फर्जी मैनेजर ने जिला विद्यालय निरीक्षक से मिलकर की. वो भी तब जब राज्यपाल की तरफ से इन विद्यालयों में नियुक्ति करने पर रोक लगाई गई है.
इन 9 नियुक्तियों को विभाग की ओर से साढ़े चार लाख रुपये से ऊपर का वेतन हर माह दिया जा रहा है. जबकि यह शिक्षक न तो कभी विद्यालय में तैनात थे और न ही कभी विद्यालय आए हैं. अधिकारी से सांठगांठ करके ये शिक्षक घर बैठे वेतन उठा रहे हैं और महाविद्यालय के असली शिक्षक आज 15 सालों से बिना वेतन पढ़ाने को मजबूर हैं. अब उनके लिए अपना परिवार चलाना भी मुश्किल हो रहा है. इस प्रकरण की शिकायत प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और राज्यपाल से लेकर जिलाधिकारी तक की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.
महाविद्यालय के शिक्षक मूलचंद मौर्य ने बताया कि उनकी नियुक्ति प्रबंधक ने 2003 में की थी. उस समय उनके साथ चार और शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी, लेकिन अब फर्जी तरीके से 9 नियुक्तियां कर दी गईं. इनको वेतन भी दिया जा रहा है. इसकी शिकायत हम लोगों ने हर स्तर पर कर ली, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. वहीं जिला विद्यालय निरीक्षक बृजेश मिश्रा ने बताया उनके संज्ञान में लक्ष्मी नारायण संस्कृत महाविद्यालय में फर्जी नियुक्ति की कोई शिकायत नहीं आई है. संस्कृत विद्यालय में कुछ नियुक्तियों के प्रयास हुए हैं, लेकिन नियुक्ति नहीं हो पाई है. न ही उनके समय पहले की हुई नियुक्तियों में वेतन जारी हुआ है.