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जौनपुर: खेत में फूलों की खेती, कर्ज लेकर की थी बुवाई - फूलों की खेती

उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में लॉकडाउन के चलते सबसे बड़ा नुकसान फूलों की खेती करने वाले किसानों को हुआ है. यहां के किसानों ने छह तरह के फूल उगाए थे, लेकिन डिमांड नहीं होने से ये फूल सूखते दिख रहे हैं.

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फूल की खेती किसानों के लिए बन रही शूल.
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Published : Apr 22, 2020, 5:28 PM IST

जौनपुर: जिले में लॉकडाउन लागू होने के बाद से जहां किसानों को काफी नुकसान हो रहा है तो वहीं फूल की खेती करने वाले किसान भी इससे अछूते नहीं हैं. मुगलकाल से फूलों की खेती करते आ रहे किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. नवरात्र से लेकर शादियों के मौसम तक यहां गुलाब, बेला और गेंदा के फूलों की भारी मांग रहती है, लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते फूल अब किसी काम के नहीं रहे.

फूलों की खेती करने वाले किसान परेशान.

आधा दर्जन किस्म के फूलों की खेती
इस जिले को लोग इत्र की नगरी भी कहते थे और यहां के इत्र अरब देशों तक जाते थे, जिसके चलते सैकड़ों की संख्या में किसान आधा दर्जन से अधिक फूलों की किस्म की खेती करते हैं. लेकिन लॉकडाउन के चलते इस बार यही फूल उन्हें अब शूल बनकर परेशान कर रहे हैं. नवरात्र से लेकर शादियों के मौसम तक गुलाब, बेला और गेंदा के फूलों की भारी मांग पूर्वांचल के कई जिलों में रहती है, लेकिन इस बार लॉकडाउन ने सब खत्म कर दिया. फूलों के खरीददार भी नहीं हैं, जिसके चलते किसान भी इन फूलों को अब नहीं तोड़ना चाहते. किसान की आंखों के सामने देखते ही देखते फूलों की खेती सूखती दिख रही है.

लॉकडाउन के चलते किसान भुखमरी की कगार पर
लॉकडाउन के चलते किसानी और खेती नहीं होने से फूलों के किसान भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं. गोमती नदी के किनारे शहर के चाचकपुर इलाके में करीब 600 साल से फूलों की खेती हो रही है. फूलों की आधा दर्जन किसमें यहां आज भी उगाई जाती है. जिन फूलों की खेती के बल पर किसानों को मार्च और अप्रैल महीने में अच्छी आमदनी होती थी, लेकिन लॉकडाउन के चलते इस बार सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया.

बड़ी संख्या में किसान हुए बेरोजगार
इस बार किसान फूलों को लेकर जिस तरह के सपने सजाए हुए थे, उनके सारे सपने कोरोना महामारी ने तोड़ दिए. अब किसान की आंखों के सामने ही उनकी फूलों की खेती सूख रही हैं. इन सूखते फूलों की खेती से कुछ किसान कर्ज में भी डूब गए हैं, क्योंकि कई किसानों ने कर्ज लेकर फूलों की खेती की थी जो कि अब पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है. वहीं फूलों की खेती से जुड़े हुए हजारों की संख्या में किसान बेरोजगार भी हो गए हैं

देवकली में फूलों की खेती करने वाले शिवम सिंह ने बताया कि इस बार जैसे ही उनके खेतों में फूल खिलकर तैयार हुए वैसे ही लॉकडाउन लग गया. ऐसे में फूलों को लेकर जिस तरीके की हमने उम्मीदें की थी, उन पर पानी फिर गया. वहीं फूलों के माध्यम से कई लोगों को रोजगार भी मिलता था, जिसे लॉकडाउन से काफी नुकसान पहुंचा है.

इस बार फूल की खेती में काफी नुकसान हुआ है. क्योंकि जैसे ही फूलों की खेती तैयार हुई लॉकडाउन लग गया. नवरात्र में उन्हें फूलों से अच्छी कमाई होती थी लेकिन इससे पहले ही लॉकडाउन शुरू हो गया था. कई किसानों ने तो कर्ज लेकर फूलों की खेती की थी, उनका भी काफी नुकसान हुआ है.
सभाजीत बिंद, फूल किसान

जौनपुर: जिले में लॉकडाउन लागू होने के बाद से जहां किसानों को काफी नुकसान हो रहा है तो वहीं फूल की खेती करने वाले किसान भी इससे अछूते नहीं हैं. मुगलकाल से फूलों की खेती करते आ रहे किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. नवरात्र से लेकर शादियों के मौसम तक यहां गुलाब, बेला और गेंदा के फूलों की भारी मांग रहती है, लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते फूल अब किसी काम के नहीं रहे.

फूलों की खेती करने वाले किसान परेशान.

आधा दर्जन किस्म के फूलों की खेती
इस जिले को लोग इत्र की नगरी भी कहते थे और यहां के इत्र अरब देशों तक जाते थे, जिसके चलते सैकड़ों की संख्या में किसान आधा दर्जन से अधिक फूलों की किस्म की खेती करते हैं. लेकिन लॉकडाउन के चलते इस बार यही फूल उन्हें अब शूल बनकर परेशान कर रहे हैं. नवरात्र से लेकर शादियों के मौसम तक गुलाब, बेला और गेंदा के फूलों की भारी मांग पूर्वांचल के कई जिलों में रहती है, लेकिन इस बार लॉकडाउन ने सब खत्म कर दिया. फूलों के खरीददार भी नहीं हैं, जिसके चलते किसान भी इन फूलों को अब नहीं तोड़ना चाहते. किसान की आंखों के सामने देखते ही देखते फूलों की खेती सूखती दिख रही है.

लॉकडाउन के चलते किसान भुखमरी की कगार पर
लॉकडाउन के चलते किसानी और खेती नहीं होने से फूलों के किसान भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं. गोमती नदी के किनारे शहर के चाचकपुर इलाके में करीब 600 साल से फूलों की खेती हो रही है. फूलों की आधा दर्जन किसमें यहां आज भी उगाई जाती है. जिन फूलों की खेती के बल पर किसानों को मार्च और अप्रैल महीने में अच्छी आमदनी होती थी, लेकिन लॉकडाउन के चलते इस बार सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया.

बड़ी संख्या में किसान हुए बेरोजगार
इस बार किसान फूलों को लेकर जिस तरह के सपने सजाए हुए थे, उनके सारे सपने कोरोना महामारी ने तोड़ दिए. अब किसान की आंखों के सामने ही उनकी फूलों की खेती सूख रही हैं. इन सूखते फूलों की खेती से कुछ किसान कर्ज में भी डूब गए हैं, क्योंकि कई किसानों ने कर्ज लेकर फूलों की खेती की थी जो कि अब पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है. वहीं फूलों की खेती से जुड़े हुए हजारों की संख्या में किसान बेरोजगार भी हो गए हैं

देवकली में फूलों की खेती करने वाले शिवम सिंह ने बताया कि इस बार जैसे ही उनके खेतों में फूल खिलकर तैयार हुए वैसे ही लॉकडाउन लग गया. ऐसे में फूलों को लेकर जिस तरीके की हमने उम्मीदें की थी, उन पर पानी फिर गया. वहीं फूलों के माध्यम से कई लोगों को रोजगार भी मिलता था, जिसे लॉकडाउन से काफी नुकसान पहुंचा है.

इस बार फूल की खेती में काफी नुकसान हुआ है. क्योंकि जैसे ही फूलों की खेती तैयार हुई लॉकडाउन लग गया. नवरात्र में उन्हें फूलों से अच्छी कमाई होती थी लेकिन इससे पहले ही लॉकडाउन शुरू हो गया था. कई किसानों ने तो कर्ज लेकर फूलों की खेती की थी, उनका भी काफी नुकसान हुआ है.
सभाजीत बिंद, फूल किसान

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