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जौनपुर: सावन का तीसरा सोमवार, मन्दिरों पर उमड़ा भक्तों का जनसैलाब

जौनपुर के मछलीशहर के दियावानाथ महादेव मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिली. स्वयं-भू होने से मंदिर ऐतिहासिक माना जाता है और यहां दिल से मांगी गई मुराद पूरी होती है.

मन्दिरों पर उमड़ा भक्तों का जनसैलाब
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Published : Aug 5, 2019, 9:16 PM IST

जौनपुर: मछलीशहर के दियावानाथ महादेव मंदिर पर सावन के तीसरे सोमवार में भक्तों का जनसैलाब देखने को मिला. भक्त गंगाजल, बेलपत्र एवं पूजन सामग्री हाथ में लेकर ब्रम्ह मुहूर्त से ही पहुंचकर जलाभिषेक एवं पूजन कर रहे हैं. दियावानाथ मंदिर में शिवलिंग स्वयं-भू होने के कारण ऐतिहासिक माना जाता है.

शिव मंदिरों में दिखा भक्तों का जनसैलाब

मंदिर की स्थापना के पहले वहां एक वृक्ष था, जहां पर गांव के एक शख्स की गाय प्रतिदिन जाकर अपने दूध से शिवलिंग का अभिषेक करती थी. ग्रामीण जब इकठ्ठा हुए तो वहां पर शिवलिंग देखा और खुदाई करने लगे, लेकिन अंत तक नहीं पहुंच सके. शिवलिंग स्वयं-भू होने से मंदिर ऐतिहासिक माना जाता है और यहां दिल से मांगी गई मुराद पूरी होती है.

दियावानाथ मंदिर पर स्थित शिवलिंग स्वयं-भू हैं और एक पेड़ में मिले थे, मंदिर लगभग दो सौ वर्ष पुराना होने के कारण प्राचीन एवं ऐतिहासिक है. पूर्वजों द्वारा शिवलिंग देखने के बाद दियावानाथ महादेव मंदिर का निर्माण किया गया था.
-चन्द्रमा मिश्रा, पुजारी दियावानाथ मंदिर

जौनपुर: मछलीशहर के दियावानाथ महादेव मंदिर पर सावन के तीसरे सोमवार में भक्तों का जनसैलाब देखने को मिला. भक्त गंगाजल, बेलपत्र एवं पूजन सामग्री हाथ में लेकर ब्रम्ह मुहूर्त से ही पहुंचकर जलाभिषेक एवं पूजन कर रहे हैं. दियावानाथ मंदिर में शिवलिंग स्वयं-भू होने के कारण ऐतिहासिक माना जाता है.

शिव मंदिरों में दिखा भक्तों का जनसैलाब

मंदिर की स्थापना के पहले वहां एक वृक्ष था, जहां पर गांव के एक शख्स की गाय प्रतिदिन जाकर अपने दूध से शिवलिंग का अभिषेक करती थी. ग्रामीण जब इकठ्ठा हुए तो वहां पर शिवलिंग देखा और खुदाई करने लगे, लेकिन अंत तक नहीं पहुंच सके. शिवलिंग स्वयं-भू होने से मंदिर ऐतिहासिक माना जाता है और यहां दिल से मांगी गई मुराद पूरी होती है.

दियावानाथ मंदिर पर स्थित शिवलिंग स्वयं-भू हैं और एक पेड़ में मिले थे, मंदिर लगभग दो सौ वर्ष पुराना होने के कारण प्राचीन एवं ऐतिहासिक है. पूर्वजों द्वारा शिवलिंग देखने के बाद दियावानाथ महादेव मंदिर का निर्माण किया गया था.
-चन्द्रमा मिश्रा, पुजारी दियावानाथ मंदिर

Intro:मछलीशहर के दियावा नाथ महादेव मंदिर पर सावन के तीसरे सोमवार को भक्तो का भारी जनसैलाब देखा गया,ब्रम्ह मुहूर्त से ही भक्ति पंक्ति में खड़े होकर अपने आराध्य देव को जलाभिषेक कर रहे है,दियावानाथ मंदिर में शिवलिंग स्वयं भू होने के कारण ऐतिहासिक है।Body:मछलीशहर के दियावानाथ महादेव मंदिर पर सावन के तीसरे सोमवार की भक्तो की भारी जनसैलाब देखी गई,भक्त अपने हाथों में जल गंगाजल,बेलपत्र एंव आदि पूजन सामग्री हाथ मे लेकर ब्रम्ह मुहूर्त से ही पहुचकर जलाभिषेक एंव पूजन कर रहे है,दियावानाथ मंदिर में शिवलिंग स्वयं भू होने के कारण ऐतिहासिक माना जाता है,मंदिर की स्थापना के पहले वहां मनवा का बृक्ष था जहां पर गाव के ही एक शख्स की गाय प्रतिदिन जाकर अपने दुथ से शिवलिंग का अभिषेक करती थी,जिसे देख ग्रामीण जब इकठ्ठा हुए तो वहां पर शिवलिंग देखा और खोदाई करने लगे लेकिन अंत तक नही पहुच सके,शिवलिंग स्वयं भू होने से मंदिर ऐतिहासिक माना जाता है और यहां दिल से माँगी गई मुराद पूरी होती है।

वाइट
दियावा मंदिर स्वयं भू दियावा नाथ मंदिर पर स्थित शिवलिंग स्वयं भू है और एक मनवा के पेड़ में मिला था,मंदिर लगभग दो सौ वर्ष पुराना होने के कारण प्राचीन एंव ऐतिहासिक है,पूर्वजो द्वारा शिवलिंग देखने के बाद दियावानाथ महादेव मंदिर का निर्माण किया गया था।
चन्द्रमा मिश्रा
पुजारी दियावानाथ मंदिरConclusion:अखिलेश श्रीवास्तव
मछलीशहर
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