जौनपुर: जिले में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) पर स्वच्छ गोमती अभियान के अध्यक्ष गौतम गुप्ता ने गंभीर आरोप लगाए हैं. अपने आवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर गौतम गुप्ता ने इस प्रोजेक्ट पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि इसके भुगतान को लेकर विभाग और फर्म की मिलीभगत कर भ्रष्टाचार का किया गया है.
स्वच्छ गोमती अभियान के अध्यक्ष ने लगाया आरोप
गौतम गुप्ता ने प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करते हुए कहा कि सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ की मंशा है कि प्रदेश में भ्रष्टाचार समाप्त हो जाए, लेकिन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट भ्रष्टाचार में डूब चुका है. उन्होंने कहा कि जौनपुर शहरी क्षेत्र में नमामि गंगे के तहत बन रहे कूटरचित 30 MLD के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट व अमृत योजना तहत शहरी क्षेत्र में डाले जा रहे सीवर लाइन कार्य में व्यापक पैमाने पर झोलझाल हो रहा है. इसी क्रम में स्वच्छ गोमती अभियान द्वारा उपरोक्त पूरे भ्रष्टाचार मामले को उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका भी योजित की गई है. जिसपर उच्च न्यायालय द्वारा संज्ञान भी लिया गया है.
लॉकडाउन के दौरान न्यायालय बन्द होने के कारण मामला लम्बित है. लॉकडाउन के दौरान ही एसटीपी व सीवर लाइन कार्य में स्वच्छ गोमती अभियान द्वारा शासन स्तर पर की गई शिकायत के आधार पर ही तत्कालीन अधिशासी अभियंता जलनिगम सुनील यादव को यहां से हटाकर उनके विरुद्ध दण्डात्मक जांच व कार्रवाई भी चल रही है.
अनुमानित लागत से अधिक कराया गया भुगतान
गौतम गुप्ता ने जल निगम के आलाधिकारी और कार्यदाई फार्म पर सांठगांठ कर सरकार व जनता की गाढ़ी कमाई पर चूना लगाने का आरोप लगाया है. गौतम गुप्ता का आरोप है कि अमृत योजना के अंतर्गत जौनपुर शहर में सीवर डालने का काम करने वाली फर्म टेक्नोक्राफ्ट की पहली रनिंग बिल के माध्यम से लगभग 4.10 का भुगतान किया गया है. जबकि कार्य की अनुमानित लागत लगभग 3.40 करोड़ ही है. विभाग ने फर्म के साथ सांठगांठ कर पैसों की बंदरबांट की योजना बनाई थी. गौतम गुप्ता ने यह भी आरोप लगाया कि फर्म ने अतिरिक्त पैसों में अधिकारियों को हिस्सेदार बनाने से मना कर दिया और इसकी पंचायत भी कुछ दिनों पूर्व बड़े मान्य लोगों के संरक्षण में की गई थी. अतिरिक्त धनराशि का भुगतान फर्म व अधिकारियों की सांठगांठ से बैरिकेडिंग और टिम्बरिंग के नाम पर की गई थी, जबकि एकदम पुष्ट जानकारी के अनुसार मौके पर न तो बैरिकेडिंग थी और न ही टिम्बरिंग.