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जौनपुर: प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की हालत जर्जर, डर के साए में काम करते हैं कर्मचारी

उत्तर प्रदेश के जौनपुर स्थित धर्मापुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के भवन की हालत काफी जर्जर है. स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि कई दफा छत का प्लास्टर टूट कर गिर चुका है. ऐसे में कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है.

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धर्मापुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भवन की हालत जर्जर.
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Published : Aug 11, 2020, 1:39 PM IST

Updated : Aug 11, 2020, 4:39 PM IST

जौनपुर: कोरोना महामारी से लड़ने के लिए सरकारी अस्पताल और उसमें कार्यरत स्वास्थ्य कर्मी कोरोना योद्धा बनकर सामने आए हैं. वहीं सरकारी अस्पतालों पर भी इन दिनों काफी निर्भरता बढ़ी है, लेकिन जनपद के कुछ अस्पताल ऐसे भी हैं, जिनकी हालत काफी खराब है. ऐसा ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र धर्मापुर है, जिसकी हालत काफी जर्जर है. अस्पताल में ड्यूटी के दौरान ही कई बार छत का प्लास्टर टूट कर गिर चुका है. लिहाजा यहां पर काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मी काफी भयभीत रहते हैं.

धर्मापुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भवन की हालत जर्जर.


धर्मापुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर इलाज कराने के लिए करीब 25 से ज्यादा गांव निर्भर हैं, लेकिन अस्पताल की हालत जर्जर होने के कारण स्वास्थ्य कर्मी यहां काम करने को लेकर चिंतित रहते हैं. यहां वर्तमान में पांच स्वास्थ्य कर्मी काम कर रहे हैं, लेकिन ड्यूटी के दौरान वह डर के साए में काम करने को मजबूर हैं.

वार्ड बॉय सुरेश का कहना है कि कई बार ड्यूटी के दौरान ही छत का प्लास्टर टूट कर गिर गया है, जिसके कारण वह घायल होते-होते बचे हैं. वहीं फार्मासिस्ट राजेश कुमार बताते हैं कि सभी लोग जान हथेली पर लेकर काम करने को मजबूर हैं.

जौनपुर: कोरोना महामारी से लड़ने के लिए सरकारी अस्पताल और उसमें कार्यरत स्वास्थ्य कर्मी कोरोना योद्धा बनकर सामने आए हैं. वहीं सरकारी अस्पतालों पर भी इन दिनों काफी निर्भरता बढ़ी है, लेकिन जनपद के कुछ अस्पताल ऐसे भी हैं, जिनकी हालत काफी खराब है. ऐसा ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र धर्मापुर है, जिसकी हालत काफी जर्जर है. अस्पताल में ड्यूटी के दौरान ही कई बार छत का प्लास्टर टूट कर गिर चुका है. लिहाजा यहां पर काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मी काफी भयभीत रहते हैं.

धर्मापुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भवन की हालत जर्जर.


धर्मापुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर इलाज कराने के लिए करीब 25 से ज्यादा गांव निर्भर हैं, लेकिन अस्पताल की हालत जर्जर होने के कारण स्वास्थ्य कर्मी यहां काम करने को लेकर चिंतित रहते हैं. यहां वर्तमान में पांच स्वास्थ्य कर्मी काम कर रहे हैं, लेकिन ड्यूटी के दौरान वह डर के साए में काम करने को मजबूर हैं.

वार्ड बॉय सुरेश का कहना है कि कई बार ड्यूटी के दौरान ही छत का प्लास्टर टूट कर गिर गया है, जिसके कारण वह घायल होते-होते बचे हैं. वहीं फार्मासिस्ट राजेश कुमार बताते हैं कि सभी लोग जान हथेली पर लेकर काम करने को मजबूर हैं.

Last Updated : Aug 11, 2020, 4:39 PM IST
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