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कोरोना काल में भी सरकारी स्कूल पर 'नो एडमिशन' का लगा बोर्ड, जानें वजह

यूपी के जौनपुर जिले में एक ऐसा परिषदीय स्कूल है, जिसे लेकर हर अभिभावक की हसरत रहती है कि अपने बच्चे को यहां दाखिला दिलाया जाए. जिले के प्राथमिक विद्यालय जपटापुर में महंगे कॉन्वेंट स्कूलों को छोड़कर बच्चे प्रवेश ले रहे हैं. वहीं एडमिशन फुल होने के बाद स्कूल के गेट पर 'नो एडमिशन' का बोर्ड भी लगा दिया गया है.

जौनपुर के एक सरकारी स्कूल में लगा नो एडमिशन का बोर्ड.
जौनपुर के एक सरकारी स्कूल में लगा नो एडमिशन का बोर्ड.
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Published : Sep 5, 2020, 3:29 AM IST

जौनपुर: कॉन्वेंट स्कूलों में हर अभिभावक अपने बच्चे को दाखिला दिलाकर पढ़ाना चाहता है, लेकिन जनपद का एक ऐसा परिषदीय स्कूल है. यहां पर क्षेत्र का हर अभिभावक अपने बच्चे को पढ़ाने का सपना देखता है. लोग मजबूर हैं क्योंकि स्कूल में एडमिशन फुल का नोटिस बोर्ड लगा हुआ है. सुनने में अजीब जरूर लगता है, लेकिन यह हकीकत है. जनपद का प्राथमिक विद्यालय जपटापुर पूरे जिले में अच्छी पढ़ाई के साथ-साथ नई ऊंचाइयों को छू रहा है. स्कूल की खूबियों के चलते यहां पर महंगे कॉन्वेंट स्कूलों को छोड़कर बच्चे प्रवेश ले रहे हैं. यह सब कुछ अगर संभव हो पाया है तो इसके पीछे यहां के प्रधानाचार्य डॉक्टर सभाजीत यादव हैं, जिन्होंने साल 2013 में स्कूल की तरक्की का रास्ता बेहतर करने की ठान ली थी.

जिले के सरकारी स्कूल में लगा नो एडमिशन का बोर्ड.

स्कूल में पढ़ते हैं 600 से ज्यादा छात्र
प्रधानाचार्य डॉक्टर सभाजीत यादव ने अपनी मेहनत से स्कूल को इस मुकाम पर आज खड़ा कर दिया है कि यहां पर जनपद के सबसे ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं. आंकड़ों के मुताबिक जिले के किसी भी परिषदीय स्कूल में 500 से ज्यादा छात्र नहीं है, जबकि इस स्कूल में 600 से ज्यादा छात्र पढ़ते हैं और इस साल अब तक 120 नए बच्चों का एडमिशन हो चुका है. अब स्कूल के गेट पर ही एडमिशन क्लोज का बोर्ड भी लगा हुआ है, जिसके कारण यहां पर बहुत से अभिभावकों को हताशा भी हो रही है. यहां पर कॉन्वेंट स्कूलों में मौजूद सारी सुविधाएं मुफ्त में उपलब्ध हैं. ऐसे में हर अभिभावक अपने बच्चे को इसी स्कूल में पढ़ाना चाहता है.

स्कूल में एडमिशन क्लोज का लगा बोर्ड
जिले के परिषदीय स्कूल कोरोना के चलते बच्चों के लिए तरस रहे हैं. वहीं शाहगंज विकासखंड का जपटापुर प्राथमिक विद्यालय में एडमिशन क्लोज का बोर्ड लगा हुआ है, क्योंकि आज के दौर में भी इस स्कूल में वालंटियर के जरिए बच्चों को घरों पर ही पढ़ाया जा रहा है, जिसके कारण यहां पर प्रवेश लेने वाले छात्रों की लाइन लगी हुई है. अभी तक इस साल 120 नए एडमिशन हो चुके हैं. इनमें सबसे ज्यादा छात्र कॉन्वेंट स्कूलों से आए हैं. यह जनपद का एक मात्र प्राथमिक स्कूल है, जहां पर 600 बच्चे पढ़ते हैं.

स्मार्ट क्लास और टीएलएम द्वारा बच्चों को दी जाती है शिक्षा
इस प्राथमिक स्कूल के प्रधानाध्यापक सभाजीत यादव ने अपने स्कूल में पढ़ाई का ऐसा वातावरण तैयार किया है, जिसके कारण क्षेत्र के 10 किमी दूर से भी यहां पर पढ़ने के लिए छात्र आते हैं. यहां पढ़ने वाले छात्र अंग्रेजी भी फराटे दार तरीके से बोलते हैं तो यहां शिक्षक व शिक्षिकाएं भी स्मार्ट क्लास और टीएलएम के द्वारा बच्चों को अच्छी गुणवत्ता की शिक्षा देते हैं. वही इस स्कूल में कॉन्वेंट स्कूलों में मिलने वाली सारी सुविधाएं मौजूद हैं. स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों का प्रवेश भी टेस्ट के द्वारा ही होता है, जिसके कारण यहां पढ़ने वाला बच्चा कॉन्वेंट स्कूलों से भी अच्छा माना जाता है.

कॉन्वेंट स्कूलों से एडमिशन कराने आ रहे छात्र
स्कूल में अपने बच्चे का एडमिशन कराने आए अभिभावक मसूद अहमद बताते हैं कि वह अपने दो बच्चों का एडमिशन कराने इस स्कूल में आए हैं. उनका बच्चा इसके पहले बीएसडी पब्लिक स्कूल में पढ़ता था. जहां पर एक बच्चे की फीस 1300 होती थी, लेकिन इस स्कूल की चर्चा सुनकर वह अपने बच्चे का एडमिशन कराने आए हैं. लेकिन यहां पर एडमिशन भर चुका है. जिसके कारण उन्हें निराशा हाथ लगी है.

इस स्कूल में बहुत कुछ सीखने को मिलता है
यहां पढ़ने वाले छात्र प्रिंस जो कुछ दिनों पहले गैलेक्सी पब्लिक स्कूल से आए हैं. वह बताते हैं कि वहां पर अच्छी पढ़ाई नहीं होती थी, लेकिन यहां पर बहुत अच्छी पढ़ाई होती है और यहां बहुत कुछ सीखने को ही मिलता है.

स्कूल में कॉन्वेंट स्कूल से होती है अच्छी पढ़ाई
स्कूल की शिक्षिका आराधना पांडे बताती हैं कि यहां पर सभी शिक्षक पूरी मेहनत के साथ स्मार्ट क्लासेस, टीएलएम और लैपटॉप के माध्यम से अच्छी शिक्षा देने का प्रयास करते हैं, जिसकी बदौलत यहां पर बच्चों की लाइन लगी हुई है. उनके यहां एडमिशन क्लोज हो चुका है. उनका कहना है कि हमारे स्कूल में किसी भी कॉन्वेंट स्कूल से अच्छी पढ़ाई होती है, जिसके कारण यहां पर लोग अपने बच्चे का एडमिशन कराना चाहते हैं.

मैं 2013 में जब स्कूल में आया था, तो हमारे यहां केवल 100 बच्चे थे. कड़ी मेहनत और स्कूल को अच्छे दर्जे का स्कूल बनाने की विजन की बदौलत आज हमारे स्कूल में 600 से ज्यादा छात्र हैं. मेरे स्कूल में 10 अध्यापक हैं. पहली बार ऐसा हुआ है कि हमें एडमिशन क्लोज का नोटिस लगाना पड़ा है, क्योंकि हमारे स्कूल में हर अभिभावक अपने बच्चे को पढ़ाना चाहता है, जिसके चलते 10 किलोमीटर दूर से भी छात्र यहां पर पढ़ने के लिए आते हैं.
-डॉ. सभाजीत यादव, प्रधानाध्यापक

जौनपुर: कॉन्वेंट स्कूलों में हर अभिभावक अपने बच्चे को दाखिला दिलाकर पढ़ाना चाहता है, लेकिन जनपद का एक ऐसा परिषदीय स्कूल है. यहां पर क्षेत्र का हर अभिभावक अपने बच्चे को पढ़ाने का सपना देखता है. लोग मजबूर हैं क्योंकि स्कूल में एडमिशन फुल का नोटिस बोर्ड लगा हुआ है. सुनने में अजीब जरूर लगता है, लेकिन यह हकीकत है. जनपद का प्राथमिक विद्यालय जपटापुर पूरे जिले में अच्छी पढ़ाई के साथ-साथ नई ऊंचाइयों को छू रहा है. स्कूल की खूबियों के चलते यहां पर महंगे कॉन्वेंट स्कूलों को छोड़कर बच्चे प्रवेश ले रहे हैं. यह सब कुछ अगर संभव हो पाया है तो इसके पीछे यहां के प्रधानाचार्य डॉक्टर सभाजीत यादव हैं, जिन्होंने साल 2013 में स्कूल की तरक्की का रास्ता बेहतर करने की ठान ली थी.

जिले के सरकारी स्कूल में लगा नो एडमिशन का बोर्ड.

स्कूल में पढ़ते हैं 600 से ज्यादा छात्र
प्रधानाचार्य डॉक्टर सभाजीत यादव ने अपनी मेहनत से स्कूल को इस मुकाम पर आज खड़ा कर दिया है कि यहां पर जनपद के सबसे ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं. आंकड़ों के मुताबिक जिले के किसी भी परिषदीय स्कूल में 500 से ज्यादा छात्र नहीं है, जबकि इस स्कूल में 600 से ज्यादा छात्र पढ़ते हैं और इस साल अब तक 120 नए बच्चों का एडमिशन हो चुका है. अब स्कूल के गेट पर ही एडमिशन क्लोज का बोर्ड भी लगा हुआ है, जिसके कारण यहां पर बहुत से अभिभावकों को हताशा भी हो रही है. यहां पर कॉन्वेंट स्कूलों में मौजूद सारी सुविधाएं मुफ्त में उपलब्ध हैं. ऐसे में हर अभिभावक अपने बच्चे को इसी स्कूल में पढ़ाना चाहता है.

स्कूल में एडमिशन क्लोज का लगा बोर्ड
जिले के परिषदीय स्कूल कोरोना के चलते बच्चों के लिए तरस रहे हैं. वहीं शाहगंज विकासखंड का जपटापुर प्राथमिक विद्यालय में एडमिशन क्लोज का बोर्ड लगा हुआ है, क्योंकि आज के दौर में भी इस स्कूल में वालंटियर के जरिए बच्चों को घरों पर ही पढ़ाया जा रहा है, जिसके कारण यहां पर प्रवेश लेने वाले छात्रों की लाइन लगी हुई है. अभी तक इस साल 120 नए एडमिशन हो चुके हैं. इनमें सबसे ज्यादा छात्र कॉन्वेंट स्कूलों से आए हैं. यह जनपद का एक मात्र प्राथमिक स्कूल है, जहां पर 600 बच्चे पढ़ते हैं.

स्मार्ट क्लास और टीएलएम द्वारा बच्चों को दी जाती है शिक्षा
इस प्राथमिक स्कूल के प्रधानाध्यापक सभाजीत यादव ने अपने स्कूल में पढ़ाई का ऐसा वातावरण तैयार किया है, जिसके कारण क्षेत्र के 10 किमी दूर से भी यहां पर पढ़ने के लिए छात्र आते हैं. यहां पढ़ने वाले छात्र अंग्रेजी भी फराटे दार तरीके से बोलते हैं तो यहां शिक्षक व शिक्षिकाएं भी स्मार्ट क्लास और टीएलएम के द्वारा बच्चों को अच्छी गुणवत्ता की शिक्षा देते हैं. वही इस स्कूल में कॉन्वेंट स्कूलों में मिलने वाली सारी सुविधाएं मौजूद हैं. स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों का प्रवेश भी टेस्ट के द्वारा ही होता है, जिसके कारण यहां पढ़ने वाला बच्चा कॉन्वेंट स्कूलों से भी अच्छा माना जाता है.

कॉन्वेंट स्कूलों से एडमिशन कराने आ रहे छात्र
स्कूल में अपने बच्चे का एडमिशन कराने आए अभिभावक मसूद अहमद बताते हैं कि वह अपने दो बच्चों का एडमिशन कराने इस स्कूल में आए हैं. उनका बच्चा इसके पहले बीएसडी पब्लिक स्कूल में पढ़ता था. जहां पर एक बच्चे की फीस 1300 होती थी, लेकिन इस स्कूल की चर्चा सुनकर वह अपने बच्चे का एडमिशन कराने आए हैं. लेकिन यहां पर एडमिशन भर चुका है. जिसके कारण उन्हें निराशा हाथ लगी है.

इस स्कूल में बहुत कुछ सीखने को मिलता है
यहां पढ़ने वाले छात्र प्रिंस जो कुछ दिनों पहले गैलेक्सी पब्लिक स्कूल से आए हैं. वह बताते हैं कि वहां पर अच्छी पढ़ाई नहीं होती थी, लेकिन यहां पर बहुत अच्छी पढ़ाई होती है और यहां बहुत कुछ सीखने को ही मिलता है.

स्कूल में कॉन्वेंट स्कूल से होती है अच्छी पढ़ाई
स्कूल की शिक्षिका आराधना पांडे बताती हैं कि यहां पर सभी शिक्षक पूरी मेहनत के साथ स्मार्ट क्लासेस, टीएलएम और लैपटॉप के माध्यम से अच्छी शिक्षा देने का प्रयास करते हैं, जिसकी बदौलत यहां पर बच्चों की लाइन लगी हुई है. उनके यहां एडमिशन क्लोज हो चुका है. उनका कहना है कि हमारे स्कूल में किसी भी कॉन्वेंट स्कूल से अच्छी पढ़ाई होती है, जिसके कारण यहां पर लोग अपने बच्चे का एडमिशन कराना चाहते हैं.

मैं 2013 में जब स्कूल में आया था, तो हमारे यहां केवल 100 बच्चे थे. कड़ी मेहनत और स्कूल को अच्छे दर्जे का स्कूल बनाने की विजन की बदौलत आज हमारे स्कूल में 600 से ज्यादा छात्र हैं. मेरे स्कूल में 10 अध्यापक हैं. पहली बार ऐसा हुआ है कि हमें एडमिशन क्लोज का नोटिस लगाना पड़ा है, क्योंकि हमारे स्कूल में हर अभिभावक अपने बच्चे को पढ़ाना चाहता है, जिसके चलते 10 किलोमीटर दूर से भी छात्र यहां पर पढ़ने के लिए आते हैं.
-डॉ. सभाजीत यादव, प्रधानाध्यापक

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