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कोरोना ने बैंड बजाने वालों का बजाया 'बैंड', बेरोजगार हुए कलाकार

उत्तर प्रदेश के जौनपुर में कोरोना काल में लगभग 5 हजार से ज्यादा शादियां हुई हैं, लेकिन बारात बगैर बैंड-बाजा के फीकी सी लग रही थी. ऐसे में कोरोना ने उन कलाकारों पर भी सितम ढाया है, जो बैंड-बाजा बजाकर अपना घर चलाते थे. देखिए यह रिपोर्ट...

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कोरोना काल में बेरोजगार हो गए बैंड कलाकार.
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Published : Aug 22, 2020, 8:42 PM IST

जौनपुर: कोरोना वैश्विक महामारी के चलते हर उद्योग का हर क्षेत्र प्रभावित हुआ है. कोरोना की वजह से सभी त्योहारों और शादियों के तरीकों में भी काफी बदलाव आया है. बदले नियमों के चलते काफी लोग बेरोजगार भी हुए हैं. भारत में शादियों को भी एक उत्सव की तरह ही मनाया जाता है. हर व्यक्ति के अपनी शादी को लेकर कुछ सपने होते हैं, लेकिन कोरोना के कारण सबके सपने धूमिल हो गये. शादियों में बैंड बजाने और आतिशबाजी करने वालों पर भी इसका असर पड़ा है. ऐसा ही माहौल जौनपुर में भी है.

भारत में लोग अपनी शादियों में दिल खोलकर खर्चा करते हैं. नाच-गाने के लिए बैंड और आतिशबाजी के लिए भी बड़ा बजट होता है, जिससे काफी लोगों की रोजी-रोटी भी चलती है, लेकिन इस बार कोरोना काल में हुई शादियों में ऐसा कुछ नहीं हुआ. कोरोना की नई गाइडलाइंस के तहत शादियों में दिखावे का दौर बंद हो गया, जिसके कारण लोगों ने शादियों में बैंड-बाजा, आतिशबाजी और गाड़ियों की संख्या को भी कम कर दिया गया है. यहां तक की घर में लगने वाली लाइटों और टेंट हाउस का आकार भी छोटा हो गया. जनपद में सबसे ज्यादा बैंड पार्टी के लोग प्रभावित हुए हैं, क्योंकि इस बार जनपद में 5000 से ज्यादा शादियां कोरोना काल में हुईं, लेकिन इन शादियों में एक भी बैंड नहीं बजा, जिसके कारण बैंड में काम करने वाले लोग अब पेट पालने के लिए मेहनत मजदूरी करने पर मजबूर हैं. इस बार बैंड बजाने वालों का कोरोना वायरस ने बैंड बजा दिया है.

कोरोना काल में बेरोजगार हो गए बैंड कलाकार.

कोरोना ने धुनों पर लगाई रोक
कोरोना के चलते इस बार शादियों के लिए अलग से नियम बनाए गए, जिसके कारण भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बारातियों की संख्या भी निर्धारित कर दी गई. इन्हीं वजहों से जनपद में इस बार 5000 से ज्यादा शादियां तो हुईं, लेकिन इन शादियों में होने वाला खर्च पहले से आधा हो गया. शादियों को लेकर हर साल सबसे ज्यादा तैयारी बैंड पार्टी के लोग करते हैं, क्योंकि नई धुन तैयार करने के लिए उन्हें काफी मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन इस बार तो ऐसा हाल हुआ की नई धुन का बजना तो दूर कोरोना ने सभी तरह की धुन पर रोक लगा दी.

मजदूरी करने को मजबूर कलाकार
जनपद के सबसे मशहूर बैंड पार्टी में प्रिंस बैंड का नाम शामिल है. इस बैंड पार्टी में 32 लोग काम करते हैं और यह अपनी एक शादी की बुकिंग में 35 से 40 हजार लेते हैं, जिसकी वजह से इन्हें हर साल गर्मी के मौसम में शादियों में 2 से 3 लाख की कमाई भी होती है, लेकिन इस बार उनके यहां 35 शादियों की बुकिंग तो जरूर थी, लेकिन बैंड बजाने का मौका एक भी शादी में नहीं मिला. सारी बुकिंग कैंसिल हो गईं और वह दाने-दाने को मोहताज हो गए. लॉकडाउन में उन्होंने अपने बैंड पार्टी में काम करने वाले लोगों की मदद अपने गहने बेचकर की है, लेकिन अब सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि सर्दियों में होने वाली शादियों को लेकर उनके लिए कुछ नियम में सहूलियत दी जाए. यही हाल कई और बैंड पार्टियों का है, जो शादियों की खुशी में पंजाबी बैंड बजाकर लोगों को नाचने पर मजबूर करते हैं, लेकिन इस बार न उनका बैंड बजा और न ही एक रुपये की कमाई हुई, बल्कि अब वह खुद मजदूरी करने को मजबूर हैं.

बैंड पार्टी के कलाकारों ने बयां किया दर्द
मोहम्मद अनवर बताते हैं कि वह पंजाबी बैंड बजाते हैं, लेकिन इस बार कोरोना के चलते सारी बुकिंग कैंसिल हो गई. पूरी गर्मी के मौसम में एक भी जगह बैंड बजाने का मौका नहीं मिला.

प्रिंस बैंड पार्टी के संचालक मोहम्मद कादिर बताते हैं कि इस बार कुल 35 बुकिंग हुईं थी, लेकिन कोरोना वायरस के कारण सारी बुकिंग कैंसिल हो गईं. इस लॉकडाउन में उन्होंने किसी तरह अपने गहने बेचकर पार्टी में काम करने वाले लोगों की मदद की थी, लेकिन अब उन्हें सरकार से मदद की दरकार है.

शहर के मशहूर बैंड पार्टी गंगा जमुना बैंड के संचालक पप्पू मास्टर बताते हैं कि कोरोना वायरस ने उनकी हालत काफी खराब कर दी है. गर्मियों में एक भी शादी में उन्हें बैंड बजाने का मौका नहीं मिला. सर्दियों के मौसम में यही हाल रहा तो वह लोग भुखमरी की कगार पर पहुंच जाएंगे.

बैंड कलाकार ब्रजेश ने बताया कि वे बैंड पार्टी में काम करते थे, लेकिन कोरोना वायरस के चलते इस बार कोई काम नहीं मिला. अब वे दूसरे की गाड़ी चलाते हैं, जिससे उनके परिवार का खर्चा चल रहा है.

जौनपुर: कोरोना वैश्विक महामारी के चलते हर उद्योग का हर क्षेत्र प्रभावित हुआ है. कोरोना की वजह से सभी त्योहारों और शादियों के तरीकों में भी काफी बदलाव आया है. बदले नियमों के चलते काफी लोग बेरोजगार भी हुए हैं. भारत में शादियों को भी एक उत्सव की तरह ही मनाया जाता है. हर व्यक्ति के अपनी शादी को लेकर कुछ सपने होते हैं, लेकिन कोरोना के कारण सबके सपने धूमिल हो गये. शादियों में बैंड बजाने और आतिशबाजी करने वालों पर भी इसका असर पड़ा है. ऐसा ही माहौल जौनपुर में भी है.

भारत में लोग अपनी शादियों में दिल खोलकर खर्चा करते हैं. नाच-गाने के लिए बैंड और आतिशबाजी के लिए भी बड़ा बजट होता है, जिससे काफी लोगों की रोजी-रोटी भी चलती है, लेकिन इस बार कोरोना काल में हुई शादियों में ऐसा कुछ नहीं हुआ. कोरोना की नई गाइडलाइंस के तहत शादियों में दिखावे का दौर बंद हो गया, जिसके कारण लोगों ने शादियों में बैंड-बाजा, आतिशबाजी और गाड़ियों की संख्या को भी कम कर दिया गया है. यहां तक की घर में लगने वाली लाइटों और टेंट हाउस का आकार भी छोटा हो गया. जनपद में सबसे ज्यादा बैंड पार्टी के लोग प्रभावित हुए हैं, क्योंकि इस बार जनपद में 5000 से ज्यादा शादियां कोरोना काल में हुईं, लेकिन इन शादियों में एक भी बैंड नहीं बजा, जिसके कारण बैंड में काम करने वाले लोग अब पेट पालने के लिए मेहनत मजदूरी करने पर मजबूर हैं. इस बार बैंड बजाने वालों का कोरोना वायरस ने बैंड बजा दिया है.

कोरोना काल में बेरोजगार हो गए बैंड कलाकार.

कोरोना ने धुनों पर लगाई रोक
कोरोना के चलते इस बार शादियों के लिए अलग से नियम बनाए गए, जिसके कारण भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बारातियों की संख्या भी निर्धारित कर दी गई. इन्हीं वजहों से जनपद में इस बार 5000 से ज्यादा शादियां तो हुईं, लेकिन इन शादियों में होने वाला खर्च पहले से आधा हो गया. शादियों को लेकर हर साल सबसे ज्यादा तैयारी बैंड पार्टी के लोग करते हैं, क्योंकि नई धुन तैयार करने के लिए उन्हें काफी मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन इस बार तो ऐसा हाल हुआ की नई धुन का बजना तो दूर कोरोना ने सभी तरह की धुन पर रोक लगा दी.

मजदूरी करने को मजबूर कलाकार
जनपद के सबसे मशहूर बैंड पार्टी में प्रिंस बैंड का नाम शामिल है. इस बैंड पार्टी में 32 लोग काम करते हैं और यह अपनी एक शादी की बुकिंग में 35 से 40 हजार लेते हैं, जिसकी वजह से इन्हें हर साल गर्मी के मौसम में शादियों में 2 से 3 लाख की कमाई भी होती है, लेकिन इस बार उनके यहां 35 शादियों की बुकिंग तो जरूर थी, लेकिन बैंड बजाने का मौका एक भी शादी में नहीं मिला. सारी बुकिंग कैंसिल हो गईं और वह दाने-दाने को मोहताज हो गए. लॉकडाउन में उन्होंने अपने बैंड पार्टी में काम करने वाले लोगों की मदद अपने गहने बेचकर की है, लेकिन अब सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि सर्दियों में होने वाली शादियों को लेकर उनके लिए कुछ नियम में सहूलियत दी जाए. यही हाल कई और बैंड पार्टियों का है, जो शादियों की खुशी में पंजाबी बैंड बजाकर लोगों को नाचने पर मजबूर करते हैं, लेकिन इस बार न उनका बैंड बजा और न ही एक रुपये की कमाई हुई, बल्कि अब वह खुद मजदूरी करने को मजबूर हैं.

बैंड पार्टी के कलाकारों ने बयां किया दर्द
मोहम्मद अनवर बताते हैं कि वह पंजाबी बैंड बजाते हैं, लेकिन इस बार कोरोना के चलते सारी बुकिंग कैंसिल हो गई. पूरी गर्मी के मौसम में एक भी जगह बैंड बजाने का मौका नहीं मिला.

प्रिंस बैंड पार्टी के संचालक मोहम्मद कादिर बताते हैं कि इस बार कुल 35 बुकिंग हुईं थी, लेकिन कोरोना वायरस के कारण सारी बुकिंग कैंसिल हो गईं. इस लॉकडाउन में उन्होंने किसी तरह अपने गहने बेचकर पार्टी में काम करने वाले लोगों की मदद की थी, लेकिन अब उन्हें सरकार से मदद की दरकार है.

शहर के मशहूर बैंड पार्टी गंगा जमुना बैंड के संचालक पप्पू मास्टर बताते हैं कि कोरोना वायरस ने उनकी हालत काफी खराब कर दी है. गर्मियों में एक भी शादी में उन्हें बैंड बजाने का मौका नहीं मिला. सर्दियों के मौसम में यही हाल रहा तो वह लोग भुखमरी की कगार पर पहुंच जाएंगे.

बैंड कलाकार ब्रजेश ने बताया कि वे बैंड पार्टी में काम करते थे, लेकिन कोरोना वायरस के चलते इस बार कोई काम नहीं मिला. अब वे दूसरे की गाड़ी चलाते हैं, जिससे उनके परिवार का खर्चा चल रहा है.

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