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जलमग्न हो गई नमामि गंगे योजना के अंतर्गत 8 करोड़ की परियोजना - घाट का पुनर्निर्माण

यूपी के जौनपुर में 8 करोड़ की लागत से 650 मीटर के दायरे में नमामि गंगे योजना के अंतर्गत घाट का पुनर्निर्माण किया जाना था. लेकिन बारिश के कारण वह क्षेत्र अब जलमग्न हो चुका है. एक महीने के अंदर जितना भी काम हुआ वह सब पानी में डूब चुका है.

जलमग्न हो गई परियोजना.
जलमग्न हो गई परियोजना.
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Published : Aug 15, 2021, 12:10 PM IST

जौनपुर: पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लखनऊ रिवरफ्रंट की तर्ज पर जिले में घाट का निर्माण कार्य हो रहा था. लगभग 8 करोड़ की लागत से 650 मीटर के दायरे में घाट का पुनर्निर्माण किया जाना था. बजरंग घाट से लेकर सद्भावना पुल तक इसको लेकर तैयारियां भी हो गई थीं. लखनऊ रिवर फ्रंट की तर्ज पर जौनपुर के घाट भी जगमगाते लेकिन, करोड़ों की लागत की यह परियोजना नदी का जलस्तर बढ़ने के कारण जलमग्न हो गई. जौनपुर के शाही पुल से लेकर सद्भावना पुल तक के बीच में बांस बल्ली लगाकर नदी के पानी को ड्रेन किया जा रहा था. घाट के पास का पानी ड्रेन करने के बाद घाट का निर्माण किया जाता. विगत 5 जुलाई को इसका शिलान्यास भी राज्यमंत्री गिरीश यादव द्वारा किया गया था.

इस संदर्भ में योजना में कार्यरत इंजीनियर पुरुषोत्तम गुप्ता ने बताया कि वाटर लॉगिंग के जरिए पानी को बाहर निकाल कर घाटों का पुनर्निर्माण किया जाएगा और कुछ जगहों पर पक्के घाट भी बनाए जाएंगे. उन्होंने बताया कि लगभग 650 मीटर के दायरे में यह काम किया जाएगा. बड़ी संख्या में मजदूर लगाकर जो काम शुरू किया गया था, अब वह सब बेकार हो चुका है. नदी के बढ़ते जलस्तर के कारण जिस एरिया से वॉटर लॉगिंग की गई थी उसमें पुनः पानी भर गया है. बढ़ते जलस्तर के कारण यह योजना जलमग्न हो गई है. इस एक महीने में इसमें जो भी काम हुआ वह अब पानी में डूब चुका है.

इस पूरे मामले में सियासी चुटकी लेते हुए कांग्रेस के जिला अध्यक्ष फैसल हसन तबरेज कहते हैं कि सत्ताधारी दल के नेता बिना किसी दूरदृष्टि के काम कर रहे थे. मानसून में गोमती नदी का जलस्तर बढ़ जाता है, ऐसे में इतनी लागत से इस तरह की परियोजना को शुरू करने की जल्दबाजी आखिर क्यों थी. उन्होंने कहा कि रिवरफ्रंट की तर्ज पर काम करने से निश्चित रूप से पर्यटन को बढ़ावा मिलता लेकिन, आगामी विधानसभा चुनाव को करीब आता देख गलत वक्त पर इस योजना का शिलान्यास किया गया.

जौनपुर: पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लखनऊ रिवरफ्रंट की तर्ज पर जिले में घाट का निर्माण कार्य हो रहा था. लगभग 8 करोड़ की लागत से 650 मीटर के दायरे में घाट का पुनर्निर्माण किया जाना था. बजरंग घाट से लेकर सद्भावना पुल तक इसको लेकर तैयारियां भी हो गई थीं. लखनऊ रिवर फ्रंट की तर्ज पर जौनपुर के घाट भी जगमगाते लेकिन, करोड़ों की लागत की यह परियोजना नदी का जलस्तर बढ़ने के कारण जलमग्न हो गई. जौनपुर के शाही पुल से लेकर सद्भावना पुल तक के बीच में बांस बल्ली लगाकर नदी के पानी को ड्रेन किया जा रहा था. घाट के पास का पानी ड्रेन करने के बाद घाट का निर्माण किया जाता. विगत 5 जुलाई को इसका शिलान्यास भी राज्यमंत्री गिरीश यादव द्वारा किया गया था.

इस संदर्भ में योजना में कार्यरत इंजीनियर पुरुषोत्तम गुप्ता ने बताया कि वाटर लॉगिंग के जरिए पानी को बाहर निकाल कर घाटों का पुनर्निर्माण किया जाएगा और कुछ जगहों पर पक्के घाट भी बनाए जाएंगे. उन्होंने बताया कि लगभग 650 मीटर के दायरे में यह काम किया जाएगा. बड़ी संख्या में मजदूर लगाकर जो काम शुरू किया गया था, अब वह सब बेकार हो चुका है. नदी के बढ़ते जलस्तर के कारण जिस एरिया से वॉटर लॉगिंग की गई थी उसमें पुनः पानी भर गया है. बढ़ते जलस्तर के कारण यह योजना जलमग्न हो गई है. इस एक महीने में इसमें जो भी काम हुआ वह अब पानी में डूब चुका है.

इस पूरे मामले में सियासी चुटकी लेते हुए कांग्रेस के जिला अध्यक्ष फैसल हसन तबरेज कहते हैं कि सत्ताधारी दल के नेता बिना किसी दूरदृष्टि के काम कर रहे थे. मानसून में गोमती नदी का जलस्तर बढ़ जाता है, ऐसे में इतनी लागत से इस तरह की परियोजना को शुरू करने की जल्दबाजी आखिर क्यों थी. उन्होंने कहा कि रिवरफ्रंट की तर्ज पर काम करने से निश्चित रूप से पर्यटन को बढ़ावा मिलता लेकिन, आगामी विधानसभा चुनाव को करीब आता देख गलत वक्त पर इस योजना का शिलान्यास किया गया.

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