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जालौन : गोशाला में काम करेंगे जेल में बंद कैदी, सीधे खाते में पहुंचेगी मजदूरी

जिला कारागार के कैदियों के लिए अच्छी खबर है. शासन की तरफ से कैदियों से गौशालाओं में काम कराने की योजना पर काम चल रहा है. इसके लिए प्रदेश भर के चार कारागारों का चयन किया गया है. इसमें जालौन जिले की जिला कारागार भी चयनित हुआ है.

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कानपुर रेंज के डीआईजी जेल वेद प्रकाश त्रिपाठी जिला कारागार का किया औचक निरीक्षण.
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Published : Nov 24, 2020, 10:28 AM IST

जालौन : प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों की दिशा और दशा में सुधार लाने के लिए योगी सरकार की तरफ से अनूठा प्रयास शुरू किया जा रहा है. इसके लिए डीआईजी जेल वेद प्रकाश त्रिपाठी ने कार्य योजना तैयार कर ली है. इसके लिए प्रदेश के चार जिला कारागार को चयनित किया गया है. यहां जेल में बंद कैदियों के जरिये जिले की गौशालाओं में सेवा करने का मौका मिलेगा.

इससे बंदियों के जीवन में बदलाव के साथ रोजगार के अवसर पैदा होंगे. डीआईजी जेल इस योजना को जल्द ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष पेश करेंगे. स्वीकृति मिलने के बाद इसे लागू भी कर दिया जायेगा. इसकी जानकारी डीआईजी जेल वेद प्रकाश त्रिपाठी ने जालौन की उरई जेल का निरीक्षण करने के बाद दी.

दरअसल, कानपुर रेंज के डीआईजी जेल वेद प्रकाश त्रिपाठी उरई मुख्यालय के जिला कारागार का औचक निरीक्षण किया. इसके बाद पत्रकारों से वार्ता करने के दौरान उन्होंने बताया कि जो आदमी जेल में रहकर बाहर निकलता है, वह अपने बल पर खड़ा होकर रोजी-रोटी कमा सके, इसके लिए एक योजना बनाई गयी है. यह योजना है गोसेवा की. इसकी शुरुआत उत्तर प्रदेश के चार जनपद जालौन, बाराबंकी, लखीमपुर खीरी और फर्रुखाबाद में पहले चरण में शुरू की जाएगी.

इस योजना के जरिए जिले में मौजूद चार कान्हा गौशालाओं को चयनित किया गया है. जहां व्यवहार कुशल बंदियों को भेजा जाएगा. यहां उनको गोसेवा का प्रशिक्षण दिलाया जाएगा. इस दौरान उन्हें मजदूरी भी दी जाएगी, जो सीधे उनके खाते में जाएगी. डीआईजी ने बताया कि इस पहल का मकसद सिर्फ इतना है कि बन्दी जब जेल से बाहर आए तो वो अपने सेवा भाव के व्यवहार से अपना रोजगार शुरू करने में आसानी हो सके.

डीआईजी ने बताया की बंदियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उरई कारागार में कई तरह के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. इसमें प्रधानमंत्री कौशल योजना के तहत इलेक्ट्रिशियन की कार्यशाला आयोजित की जा रही है. इसमें 30 बंदियों को ट्रेनिंग दी जा रही है. यह बंदी जब अपने कारावास की अवधि पूरी करने के बाद बाहर आएंगे तो इलेक्ट्रिशियन के रूप में सेवा देकर अपने पैरों पर खड़े हो सकेंगे. जिला कारागार में चलाए जा रहे बंदियों के सुधार कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य यह है कि जब कैदी काम करेंगे तो इनका मन अपराध की तरफ नहीं भटकेगा. यह रचनात्मक कार्यों में लगेंगे तो समाज को इसका लाभ मिलेगा.

डीआईजी जेल ने बताया कि यह प्रोजेक्ट चार जनपदों से शुरू किया जाएगा और मुख्यमंत्री को इसका प्रपोजल भेजा जा रहा है. इसकी स्वीकृति होने पर इसको चालू किया जाएगा. प्रथम चरण में इसकी शुरुआत होने के बाद प्रदेश के अन्य जनपदों में इसको लागू किया जाएगा. इसके अलावा उनका कहना है कि इन जनपदों में देखा जाएगा कि कितनी क्षमता गौशाला में है. उस हिसाब से कैदियों को रखा जाएगा.

जालौन : प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों की दिशा और दशा में सुधार लाने के लिए योगी सरकार की तरफ से अनूठा प्रयास शुरू किया जा रहा है. इसके लिए डीआईजी जेल वेद प्रकाश त्रिपाठी ने कार्य योजना तैयार कर ली है. इसके लिए प्रदेश के चार जिला कारागार को चयनित किया गया है. यहां जेल में बंद कैदियों के जरिये जिले की गौशालाओं में सेवा करने का मौका मिलेगा.

इससे बंदियों के जीवन में बदलाव के साथ रोजगार के अवसर पैदा होंगे. डीआईजी जेल इस योजना को जल्द ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष पेश करेंगे. स्वीकृति मिलने के बाद इसे लागू भी कर दिया जायेगा. इसकी जानकारी डीआईजी जेल वेद प्रकाश त्रिपाठी ने जालौन की उरई जेल का निरीक्षण करने के बाद दी.

दरअसल, कानपुर रेंज के डीआईजी जेल वेद प्रकाश त्रिपाठी उरई मुख्यालय के जिला कारागार का औचक निरीक्षण किया. इसके बाद पत्रकारों से वार्ता करने के दौरान उन्होंने बताया कि जो आदमी जेल में रहकर बाहर निकलता है, वह अपने बल पर खड़ा होकर रोजी-रोटी कमा सके, इसके लिए एक योजना बनाई गयी है. यह योजना है गोसेवा की. इसकी शुरुआत उत्तर प्रदेश के चार जनपद जालौन, बाराबंकी, लखीमपुर खीरी और फर्रुखाबाद में पहले चरण में शुरू की जाएगी.

इस योजना के जरिए जिले में मौजूद चार कान्हा गौशालाओं को चयनित किया गया है. जहां व्यवहार कुशल बंदियों को भेजा जाएगा. यहां उनको गोसेवा का प्रशिक्षण दिलाया जाएगा. इस दौरान उन्हें मजदूरी भी दी जाएगी, जो सीधे उनके खाते में जाएगी. डीआईजी ने बताया कि इस पहल का मकसद सिर्फ इतना है कि बन्दी जब जेल से बाहर आए तो वो अपने सेवा भाव के व्यवहार से अपना रोजगार शुरू करने में आसानी हो सके.

डीआईजी ने बताया की बंदियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उरई कारागार में कई तरह के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. इसमें प्रधानमंत्री कौशल योजना के तहत इलेक्ट्रिशियन की कार्यशाला आयोजित की जा रही है. इसमें 30 बंदियों को ट्रेनिंग दी जा रही है. यह बंदी जब अपने कारावास की अवधि पूरी करने के बाद बाहर आएंगे तो इलेक्ट्रिशियन के रूप में सेवा देकर अपने पैरों पर खड़े हो सकेंगे. जिला कारागार में चलाए जा रहे बंदियों के सुधार कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य यह है कि जब कैदी काम करेंगे तो इनका मन अपराध की तरफ नहीं भटकेगा. यह रचनात्मक कार्यों में लगेंगे तो समाज को इसका लाभ मिलेगा.

डीआईजी जेल ने बताया कि यह प्रोजेक्ट चार जनपदों से शुरू किया जाएगा और मुख्यमंत्री को इसका प्रपोजल भेजा जा रहा है. इसकी स्वीकृति होने पर इसको चालू किया जाएगा. प्रथम चरण में इसकी शुरुआत होने के बाद प्रदेश के अन्य जनपदों में इसको लागू किया जाएगा. इसके अलावा उनका कहना है कि इन जनपदों में देखा जाएगा कि कितनी क्षमता गौशाला में है. उस हिसाब से कैदियों को रखा जाएगा.

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