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जालौन: 250 किलोमीटर पैदल चलकर उरई पहुंचे मजदूरों ने सुनाई आपबीती

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Published : Mar 28, 2020, 8:55 PM IST

देश में लॉकडाउन होने के बाद बेरोजगार हुए मजदूर दिल्ली और नोएडा से वापस अपने घरों को लौट रहे हैं. सड़को पर वाहनों की आवाजाही बंद होने के कारण यह मजदूर पैदल ही अपने घरों को चल दिये हैं. ऐसे ही कुछ मजदूर 250 किलोमीटर पैदल चलकर आज जालौन के उरई पहुंचे.

workers reached orai after walking 250 km
पैदल जाते दिहाड़ी मजदूर

जालौनः नोएडा से चलकर कुछ मजदूर 250 किलोमीटर पैदल चलकर आज जालौन के उरई पहुंचे. यह दिहाड़ी मजदूर नोएडा में रहकर घरों की रंगाई और पुताई का काम करते थे. भूखे प्यासे इन मजदूरों को जिले के समाजसेवियों ने खाना उपलब्ध कराया और रास्ते के लिए आर्थिक सहयोग दिया.

लॉकडाउन की वजह से मजदूरी मिलना बंद
दिल्ली से पैदल चल कर लौटे मजदूर पुष्पेंद्र सिंह ने बताया कि वह नोएडा में घरों के अंदर रंगाई और पुताई का काम करते थे. लॉकडाउन होने की वजह से मजदूरी मिलना बंद हो गई है और सड़कों पर वाहन भी नहीं चल रहे हैं. इस वजह से वह अपने घर महोबा पैदल ही जा रहे हैं.

समाजसेवियों ने उपलब्ध कराया भोजन
पुष्पेंद्र ने बताया कि नोएडा से निकलने के बाद ही एक मालवाहक वाहन ने उन्हें एटा तक छोड़ दिया. इसके बाद वह 250 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर उरई तक पहुंचे. उन्होंने बताया 2 दिन के दिन-रात सफर करने के बाद यहां आए हैं और इस दौरान उन्हें खाने के लिए कुछ नहीं मिला. यहां पहुंचकर कुछ समाजसेवियों ने खाना उपलब्ध कराया और रास्ते के लिए आर्थिक सहयोग दिया. इसके बाद वह पैदल ही अपने गृह जनपद महोबा की ओर निकल पड़े.

जालौनः नोएडा से चलकर कुछ मजदूर 250 किलोमीटर पैदल चलकर आज जालौन के उरई पहुंचे. यह दिहाड़ी मजदूर नोएडा में रहकर घरों की रंगाई और पुताई का काम करते थे. भूखे प्यासे इन मजदूरों को जिले के समाजसेवियों ने खाना उपलब्ध कराया और रास्ते के लिए आर्थिक सहयोग दिया.

लॉकडाउन की वजह से मजदूरी मिलना बंद
दिल्ली से पैदल चल कर लौटे मजदूर पुष्पेंद्र सिंह ने बताया कि वह नोएडा में घरों के अंदर रंगाई और पुताई का काम करते थे. लॉकडाउन होने की वजह से मजदूरी मिलना बंद हो गई है और सड़कों पर वाहन भी नहीं चल रहे हैं. इस वजह से वह अपने घर महोबा पैदल ही जा रहे हैं.

समाजसेवियों ने उपलब्ध कराया भोजन
पुष्पेंद्र ने बताया कि नोएडा से निकलने के बाद ही एक मालवाहक वाहन ने उन्हें एटा तक छोड़ दिया. इसके बाद वह 250 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर उरई तक पहुंचे. उन्होंने बताया 2 दिन के दिन-रात सफर करने के बाद यहां आए हैं और इस दौरान उन्हें खाने के लिए कुछ नहीं मिला. यहां पहुंचकर कुछ समाजसेवियों ने खाना उपलब्ध कराया और रास्ते के लिए आर्थिक सहयोग दिया. इसके बाद वह पैदल ही अपने गृह जनपद महोबा की ओर निकल पड़े.

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