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जालौन: किसानों के लिए बारिश बनी मुसीबत, चना और मसूर की फसल के लिए नुकसानदायक बारिश - जालौन लगातार बारिश से जनजीवन अस्तव्यस्त

उत्तर प्रदेश के जालौन में लगातार हो रही बारिश के कारण किसानों की चना, मटर, मूंग की फसल बर्बाद होने की कगार पर है. वहीं यह बारिश सरसों में माहू का प्रकोप भी लगा सकती है.

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किसानों के लिए बारिश बनी मुसीबत.
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Published : Jan 16, 2020, 5:22 PM IST

जालौनः जिले में पिछले दो दिन से हो रही मूसलाधार बारिश के कारण तापमान में भारी गिरावट आ गई है, जिससे एक बार फिर लोगों को ठंड की मार झेलनी पड़ रही है. बारिश के कारण किसानों की रबी की फसल पर काफी बड़ा असर पड़ा है. इस बारिश से जहां गेहूं की फसल को फायदा पहुंचेगा. वहीं दलहनी फसल चना, मटर, मूंग की फसलों को काफी नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है.

किसानों के लिए बारिश बनी मुसीबत.

बारिश बनी किसानों के लिए मुसीबत
जालौन में पिछले 2 दिन से हो रही बारिश का सबसे ज्यादा असर किसानों पर देखने को मिल रहा है. दिसंबर महीने में भारी ओलावृष्टि और बारिश के कारण किसानों की फसल बर्बाद हो गई थी. इस बारिश की वजह से 33 गांव के किसानों की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई.

जनवरी के प्रथम सप्ताह से ही शुरू हुई बारिश के कारण चना, मटर और मसूर की फसल बर्बादी की कगार पर आ गई है. किसानों की मानें तो यह बारिश उनके लिए नुकसान करने वाली है.

इसे भी पढ़ें- हमीरपुर : बे-मौसम बारिश ने बढ़ाई किसानों की चिंता, पानी से दलहनी फसलों को नुकसान

सरसों में माहू का प्रकोप
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. अमित कनौजिया ने बताया कि यह बारिश किसानों के लिए फायदेमंद और नुकसान दोनों साबित हो सकती है. मौसम न खुल पाने के कारण सरसों में माहू का प्रकोप लग सकता है. इससे किसानों को सचेत होने की जरूरत है. वहीं यह बारिश आलू की खेती के लिए भी नुकसानदायक साबित हो सकती है.

जालौनः जिले में पिछले दो दिन से हो रही मूसलाधार बारिश के कारण तापमान में भारी गिरावट आ गई है, जिससे एक बार फिर लोगों को ठंड की मार झेलनी पड़ रही है. बारिश के कारण किसानों की रबी की फसल पर काफी बड़ा असर पड़ा है. इस बारिश से जहां गेहूं की फसल को फायदा पहुंचेगा. वहीं दलहनी फसल चना, मटर, मूंग की फसलों को काफी नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है.

किसानों के लिए बारिश बनी मुसीबत.

बारिश बनी किसानों के लिए मुसीबत
जालौन में पिछले 2 दिन से हो रही बारिश का सबसे ज्यादा असर किसानों पर देखने को मिल रहा है. दिसंबर महीने में भारी ओलावृष्टि और बारिश के कारण किसानों की फसल बर्बाद हो गई थी. इस बारिश की वजह से 33 गांव के किसानों की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई.

जनवरी के प्रथम सप्ताह से ही शुरू हुई बारिश के कारण चना, मटर और मसूर की फसल बर्बादी की कगार पर आ गई है. किसानों की मानें तो यह बारिश उनके लिए नुकसान करने वाली है.

इसे भी पढ़ें- हमीरपुर : बे-मौसम बारिश ने बढ़ाई किसानों की चिंता, पानी से दलहनी फसलों को नुकसान

सरसों में माहू का प्रकोप
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. अमित कनौजिया ने बताया कि यह बारिश किसानों के लिए फायदेमंद और नुकसान दोनों साबित हो सकती है. मौसम न खुल पाने के कारण सरसों में माहू का प्रकोप लग सकता है. इससे किसानों को सचेत होने की जरूरत है. वहीं यह बारिश आलू की खेती के लिए भी नुकसानदायक साबित हो सकती है.

Intro:जिले में 2 दिन से हो रही बारिश थमने का नाम नहीं ले रही है कहीं पर रुक रुक कर तो कहीं पर मूसलाधार बारिश के कारण तापमान में भारी गिरावट आ गया है जिससे एक बार फिर ठंड की मार लोगों को झेलनी पड़ रही है बारिश होने से जनजीवन अस्तव्यस्त होने के साथ ही किसानों की रबी की फसल पर बड़ा असर पड़ा है इस बारिश से जहां गेहूं की फसल को फायदा पहुंचेगा तो वही दलहनी फसल चना मटर मूंग की फसलों को काफी नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है


Body:जालौन में 2 दिन से हो रही बारिश का सबसे ज्यादा असर किसानों पर देखने को मिल रहा है क्योंकि दिसंबर महा में भारी ओलावृष्टि और बारिश के कारण किसानों की फसल बर्बाद हो गई थी इस बारिश की वजह से 33 गांव के किसान पूरी तरह से बर्बाद हो गए थे लेकिन जैसे ही मौसम में थोड़ा बदलाव आया किसान अपनी गेहूं की फसल बोने का मन बना रहे थे लेकिन जनवरी के प्रथम सप्ताह से ही शुरू हुई बारिश अभी जाने के बाद भी जारी है लेकिन किसान गेहूं की फसल नहीं हो पाए हैं जिन किसानों ने जैसे कैसे करके फसल को वो दिया था अब इस बारिश से परेशान हैं जिस कारण उनकी चना मटर मसूर की फसल बर्बादी की कगार पर आ गई है और उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है किसानों की मानें तो यह बारिश उनके लिए नुकसान करने वाली है कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ अमित कनौजिया बताते हैं कि यह बारिश किसानों के लिए फायदेमंद और नुकसान दोनों साबित हो सकती है मौसम ना खुल पाने की वजह से सरसों में माहू का प्रकोप सरसों में लग सकता है इससे किसानों को सचेत होने की जरूरत है वहीं यह बारिश आलू की खेती के लिए भी नुकसानदायक साबित हो सकती है

बाइट रामकुमार कौशिक किसान

बाइट डॉ अमित कनौजिया कृषि वैज्ञानिक


Conclusion:
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