जालौन: जिलाधिकार डॉ. मन्नान अख्तर और पुलिस अधीक्षक डॉ. यशवीर सिंह की अध्यक्षता में मंगलवार को राजकीय इंटर कॉलेज में किशोरी शिक्षा समाधान योजना की कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में उन लड़कियों को सम्मानित किया गया जिन्होंने परिवार की खराब आर्थिक स्थिति के कारण अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी. लेकिन अब इस योजना के तहत अपनी आगे की पढ़ाई कर रही हैं. इसके साथ ही इस योजना के माध्यम से 20 लड़कियों को चयनित कर उनकी पढ़ाई का जिम्मा समाजसेवियों और अधिकारियों ने लिया.
छात्राओं को किया गया सम्मानित
इस मौके पर जिलाधिकारी ने बच्चों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि, शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है जिससे बच्चे अपनी पढ़ाई पूरी कर सशक्त बन सकते हैं. साथ ही जिलाधिकारी डॉ मन्नान अख्तर ने उन मेधावी छात्राओं को सम्मानित किया जिनकी पढ़ाई का जिम्मा समाजसेवियों और अधिकारियों ने अपने खर्चे पर उठा रखा है. यह वह छात्राएं हैं जिन्होंने आर्थिक स्थिति कमजोर होने की वजह से कक्षा आठ के बाद अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ दी थी. लेकिन जिलाधिकारी की पहल से उन लड़कियों को इस योजना से जोड़ा गया जो पढ़ाई पूरी कर अपने सपनों को पूरा करना चाहती हैं.
जिले में तीन साल पहले हुई योजना की शुरुआत
किशोरी शिक्षा समाधान योजना की शुरुआत जालौन जिले में तीन साल पहले जिलाधिकारी डॉ मन्नान अख्तर के प्रयासों से हुई थी. योजना के तहत उन लड़कियों को चिन्हित किया गया जिन्होंने बीहड़ क्षेत्र में रहने के कारण अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी या जिनके माता-पिता ने आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण अपनी बच्चियों की पढ़ाई बीच में ही छुड़ा दी थी.
लड़कियों की पढ़ाई के लिए प्रशासन उपलब्ध करा रहा सभी संसाधन
उरई मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर बाबूपुर गांव की रहने वाली अनिष्का जाटव ने बताया कि वह उस गांव से आती है जहां बालिकाओं की शिक्षा पर जोर नहीं दिया जाता है. अनिष्का ने कहा कि, मेरे माता-पिता आर्थिक रूप से कमजोर हैं, इसलिए कक्षा आठ के बाद मेरी पढ़ाई छूट गई थी. लेकिन जिलाधिकारी डॉ मन्नान अख्तर की किशोरी शिक्षा योजना से मुझे कस्तूरबा विद्यालय में दाखिला मिला और आने जाने के लिए प्रशासन की तरफ से वाहन भी उपलब्ध कराया गया. इसके साथ ही प्रशासन की तरफ से मुझे अन्य साधन उपलब्ध कराए गए. जिसकी वजह से मैंने दसवीं में 80 प्रतिशत अंक प्राप्त कर 11वीं में दाखिला लिया है. मेरी पढ़ाई का पूरा जिम्मा प्रशासनिक अधिकारियों की देखरेख में समाजसेवी उठा रहे हैं.
दो वर्षों में 250 लड़कियों ने योजना के तहत पूरी की 10वीं तक की पढ़ाई
जिलाधिकारी डॉ मन्नान अख्तर ने बताया कि जिले में ज्यादातर छात्राएं 9वीं और 10वी में अपनी पढ़ाई छोड़ देती हैं, क्योंकि स्कूल उनके गांव से दूर पड़ता है. बीहड़ क्षेत्रों में रहने की वजह से लड़कियां स्कूल नहीं पहुंच पाती हैं. सुविधाओं की कमी को देखते हुए प्रशासन ने किशोरी शिक्षा समाधान योजना के तहत लड़कियों का दाखिला कस्तूरबा गांधी स्कूल में कराया, जहां उनको रहने की सुविधा दी गई. पिछले 2 वर्षों में ऐसी ढाई सौ लड़कियों की पढ़ाई 10वीं तक की पढ़ाई को पूरा कराया गया है और आज वह 11वीं में दाखिला ले चुकी हैं. उनकी पढ़ाई का जिम्मा समाजसेवी और प्रशासनिक अधिकारी मिलकर उठा रहे हैं. जिससे बच्चियों को सशक्त बनाकर उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत किया जा सके. आज ऐसी 19 लड़कियों को सम्मानित किया गया जो जिले के अलग-अलग ब्लॉक से आती हैंं आज समाजसेवियों की तरफ से उन्हें बुक्स, बैग, मोबाइल और साइकिल दिया गया है.