जालौन: जिले में किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत लाभ न मिल पाने से डीएम ने नाराजगी जताई है. डीएम ने कहा कि पिछले वित्तीय वर्ष में सर्वे के दौरान यह पाया गया था कि कृषकों ने मौके पर मटर की फसल बोई थी और उसका प्रीमियम गेहूं का काटा गया है. ऐसे में आपदा के तहत बर्बाद हुई फसलों को किसान अपने बीमा क्लेम से वंचित रह गए. इस बार इस प्रकार की गलती न हो इसलिए डीएम ने विकास भवन सभागार में हुई बैठक में बैंक और बीमा कंपनियों के कर्मचारियों को सख्त निर्देश दिए.
उरई के विकास भवन सभागार में जिलाधिकारी डॉ. मन्नान अख्तर की अध्यक्षता में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की बैठक बुलाई गई. जिसमें कृषि अधिकारी को निर्देशित किया कि अगर किसान बीमा नहीं कराना चाहते हैं तो वह बैंक में सूचना दें. नहीं तो 31 जुलाई तक प्रीमियम बैंकों द्वारा किसानों के खातों से काट लिया जाएगा. इसके साथ ही जिलाधिकारी डॉ. मन्नान अख्तर ने निर्देशित किया कि बैंकों द्वारा कृषकों के खातों से उसी फसल का प्रीमियम काटा जाए, जो फसल किसान ने बोई है. सर्वे के दौरान यह पाया गया कि प्रीमियम मटर का काटा गया और जबकि किसान ने गेहूं बोया था. ऐसे में क्लेम के दौरान किसानों को दिक्कत का सामना करना पड़ता है.
एलडीएम सुरेंद्र सिंह बताया किसान सम्मान योजना के तहत 25340 किसानों के केसीसी जारी करने के लक्ष्य दिए गए थे. जिस के संदर्भ में 22601 फॉर्म को रिजेक्ट कर दिया गया है. शेष बचे हुए किसानों को केसीसी जल्द जारी कर दी जाएगी. इस पर जिलाधिकारी डॉ. मन्नान अख्तर ने एलडीएम को निर्देश दिया कि खारिज किए गए फॉर्म की वजह बताई जाए. साथ ही खरीफ की फसल के लिए योजना के तहत 57494 लाख रुपए का ऋण वितरण किया जाना था. जिसके बदले अभी तक 1176 लाखों रुपए का ऋण वितरित किया गया है, जो काफी कम है. जिलाधिकारी ने जिला अग्रणी बैंक के डायरेक्टर सुरेंद्र सिंह को निर्देश दिया है कि शासन से दिए गए लक्ष्य को शत प्रतिशत पूरा करने के प्रयास किए जाएं.